कन्यादान से पहले पिता ने उठाया सामाजिक सरोकार का यह कदम
यमुनानगर में ऐसे ही एक शख्स हैं बरसान गांव निवासी देवी चंद। बेटी अलका का कन्यादान करने से पहले रक्तदान करने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले को रिश्तेदारों ने भी सिर-आंखों पर लिया।
नितिन शर्मा ’ यमुनानगर
जीवन अनमोल है, यह सभी जानते हैं। अगर किसी की जिंदगी खतरे में पड़ जाए तो बचाने की हर संभव कोशिश भी होती है, लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो जिंदगी और मौत के बीच की इस छटपटाहट को गहराई से महसूस करते हैं।
ऐसे ही एक शख्स हैं बरसान गांव निवासी देवी चंद। इन्होंने बेटी अलका कंबोज का कन्यादान करने से पहले रक्तदान करने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले को रिश्तेदारों ने भी सिर-आंखों पर लिया और शादी के दिन (12 दिसंबर 2018) सुबह 30 यूनिट रक्तदान किया। रक्तदान करने वालों के चेहरे पर दोहरी खुशी की चमक थी। एक बेटी की शादी और दूसरी जो खून उन्होंने डोनेट किया वह थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के काम आएगी। देवीचंद अब तक 72 बार रक्तदान कर चुके हैं।
यहां से मिली प्रेरणा
देवी चंद का कहना है कि उन्होंने जिले के कई अस्पतालों में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को रक्त की कमी के कारण तड़पते देखा है। कई परिवार तो ऐसे देखे जो खून का इंतजाम तक कर पाने में सक्षम नहीं थे। बच्चों का यह दर्द उनके दिल में बैठ गया। उन्होंने ऐसे बच्चों की टिस कम करने की ठानी। ऐसा करने के लिए वे श्रीब्लड डोनर वेलफेयर फाउंडेशन के सदस्य बन गए। इस टीम में 50 से ज्यादा सदस्य हैं। फाउंडेशन जो भी ब्लड एकत्र करता है वह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को दिया जाता है। यमुनानगर में भी 60 से अधिक बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं।
करनाल से आई बारात
देवी चंद की बेटी अलका कंबोज की शादी करनाल के फूंसगढ़ निवासी अंकित कंबोज के साथ हुई है। अलका जेबीटी है जबकि अंकित इंजीनियर हैं।
इन्होंने दिया रक्त
देवीचंद ने मंडप के बराबर में ब्लड कैंप लगाया। बारात आने के बाद सबसे पहले उन्होंने रक्तदान किया। फिर लड़की के भाई अरुण व मां मीना ने रक्तदान किया। इसके बाद अन्य रिश्तेदार भी आगे आए। सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह का कहना है कि यह अच्छा प्रयास है।