ये भी गजब! पंचायत चुनाव सामने, पोल खुलने का डर, इसलिए विकास का राज ही नहीं खोल रहे
सरकार की उपलब्धि गिनाने में पंचायत को अपनी पोल खुलने का डर। पंचायतों में लगना है विकास पट्ट। सरकार की कार्यों से रूबरू होगी जनता। विकास पट्ट में वर्तमान सरपंच के कार्यकाल के कार्यों का होगा लेखाजोखा। सरपंच इसे लगवाने को ही तैयार नहीं है।
पानीपत, जेएनएन। पंचायत चुनाव सामने हैं। अपने विकास कार्य गिनवाकर दोबारा वोट लेने का मौका होता है। पर यहां तो हालात उलट ही हैं। सरपंच चाहते ही नहीं कि उनके विकास कार्य गिनवाए जाएं। यही वजह है कि पंचायतें विकास पट्ट ही नहीं लगवा रहीं। ये हालात तो तब हैं, जब सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि पट्ट लगाने ही होंगे।
गौरव पट्ट की तरह अब खंड के सभी पंचायतों में विकास पट्ट लगेगा। वर्तमान सरपंच के कार्यों का उसमें उल्लेख होगा। ग्रामीण पंचायत को मिली ग्रांट से रूबरु होंगे। यह बात सरपंचों को रास नहीं आ रही है। महीनों पहले के आदेश को अभीतक अमल में नहीं लाया गया है। सरपंचों की अनदेखी के बाद पंचायती राज अधिकारी ने सभी ग्राम सचिवों को तत्काल प्रभाव से पंचायत भवन और सार्वजनिक स्थल पर विकास का ब्योरा लिखवाने के निर्देश दिए थे। उसे भी एक माह बीत गए हैं। किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है, जिससे यह परवान नहीं चढ़ा है।
एक दशक से बंद है बोर्ड लगाने का काम
उल्लेखनीय है कि पहले भी विकास कार्यों की जानकारी के लिए गली और सड़कों पर बोर्ड लगाए जाते थे। विगत एक दशक से यह बंद था। ग्रामीणों को पंचायत के विकास कार्यों की जानकारी नहीं मिलत रही थी। अब दोबारा इसे शुरू करने के निर्देश सरकार से मिले हैं।
महीनों बाद भी अमल नहीं कर रही पंचायत
स्टील पट्ट के निर्माण में समय लगने से अभी पंचायत भवन की दीवार पर ही इसे लिखवाने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन इसमें सरपंचों को रुचि नहीं है। वे सभी विकास कार्यों का ब्योरा सार्वजनिक करना नहीं चाहते हैं, जबकि जनता में इसके प्रति जिज्ञासा है। इससे हर व्यक्ति को सरकार के विकास कार्यों की जानकारी मिलेगी। सत्ता के प्रति उनका विश्वास बढे़गा।
सरपंचों को पोल खुलने का डर
सरकार के उक्त आदेश को कई माह हो चुके हैं। अधिकारी भी पंचायत और ग्राम सचिव को कई बार बता चुके हैं। पंचायत फंड नहीं होने का बहाना करने पर पंचायत को अपने भवन और सार्वजनिक दीवार पर ही विकास कार्यों का उल्लेख करने को कहा गया था। फिर भी किसी ने इसकी सुध नहीं ली। कार्यों की लागत सहित पूरा उल्लेख सार्वजनिक होने से सरपंचों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। लोग आरटीआइ का सहारा ले सकते हैं। सरपंच की पोल खोल सकते हैं।