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देश में न रहे मास्क की कमी, 25 करोड़ मास्क के लिए 7 हजार टन कच्चा माल बनाकर भेजा

Indian Oil Corporation Limited की नेफ्था क्रैकर यूनिट द्वारा मास्क तैयार करने के लिए 7000 टन बनाकर इसे कंपनियों को सप्लाई किया जा रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 01:21 PM (IST)
देश में न रहे मास्क की कमी, 25 करोड़ मास्क के लिए 7 हजार टन कच्चा माल बनाकर भेजा
देश में न रहे मास्क की कमी, 25 करोड़ मास्क के लिए 7 हजार टन कच्चा माल बनाकर भेजा

पानीपत [रवि धवन]। शहरों में आदेश जारी होने लगे हैं कि बिना मास्क के बाहर नहीं निकलना। वायरस से बचने के लिए सर्जिकल मास्क जरूरी है। पर क्या आप जानते हैं कि इन मास्क को बनाने के लिए कच्चा माल कहां से आता है। इसे बनाती है इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (Indian Oil Corporation Limited) की नेफ्था क्रैकर यूनिट।

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Lockdown की वजह से नेफ्था क्रैकर प्लांट को भी बंद किया जाना था। एकाएक यूनिट को पता चला कि देश को मास्क की जरूरत है, कालाबाजारी बढ़ सकती है, तभी विशेष टीमें लगाकर न केवल प्लांट को कुछ दिन के लिए बंद होने से रोका, बल्कि दो हजार टन कच्चे माल का ज्यादा उत्पादन भी किया। 7000 टन बनाकर इसे कंपनियों को सप्लाई किया जा रहा है। इतना ही नहीं, लॉकडाउन के दौरान इस माल को पहुंचाने के लिए जरूरी अनुमति भी कंपनी के अधिकारी ही लेकर दे रहे हैं। आइये, पढ़ते हैं ये खास रिपोर्ट।

क्रूड ऑयल से नेफ्था, इससे एथलीन और प्रोपलीन, प्रोपलीन से पोलीप्रोपलीन और पोलीप्रोपलीन से नॉन वूवन बनता है। आपने देखा होगा मार्केट में ऐसे बैग मिलते हैं, जिनसे हवा आर-पार हो जाता है। आप जो सर्जिकल मास्क पहनते हैं, उनसे भी हवा आर-पार हो जाती है। ये मास्क तीन से चार लेअर में बने होते हैं, जिससे वायरस आगे नहीं जा पाता। जो कच्चा माल रिफाइनरी ने बनाया है, उसे पीपी होमो 1350 वाइजी ग्रेड कहते हैं।

कच्चे माल से ये सब होता है

रिफाइनरी की ओर से पोली प्रोपलीन का दाना उपलब्ध कराया जाता है। इससे नॉन वूवन पोली प्रोपलीन रोल बनता है, जिसे कपड़े की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यह 8 से 60 जीएसएम तक बन सकता है। जीएसएम यानी, उसकी थिकनेस का आकलन। इन रोलों की मदद से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां फेस मास्क बना सकती हैं। वैसे आपको बता दें कि बच्चे को आप जो डाइपर पहनाते हैं, वाइप्स इस्तेमाल करते, मेडिकल और सेनेटरी टिशू हैं, उसमें भी इसी का इस्तेमाल होता है।

इतने मास्क बना सकेंगे

सात हजार टन कच्चे माल का अगर केवल मास्क बनाने में ही उपयोग करेंगे तो करीब 25 करोड़ मास्क बनाए जा सकेंगे। यह तो केवल आइओसीएल पीआरपीसी की एक पहल से ऐसा हुआ है। जरूरत पड़ने पर और भी उत्पादन किया जा सकता है। फिलहाल लॉकडाउन के नियम का पालन किया जा रहा है।

एक महीने में पांच हजार, कुछ दिन में दो हजार टन उत्पादन

रिफाइनरी टीम की सजगता और सक्रियता इतनी ज्यादा रही कि एक महीने में तो पांच हजार टन का उत्पादन किया, वहीं दो दिन में ही दो हजार टन का कच्चा माल तैयार कर दिया। दरअसल, लॉकडाउन के कारण प्लांट को बंद किया जाना था। पर देश की जरूरत को देखते हुए एक यूनिट को चालू रखा गया और कम समय में उत्पादन बढ़ाया।

Indian Oil Corporation Limited के कार्यकारी निदेशक जीसी सिकदर का कहना है कि कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए हम सभी को अपना-अपना योगदान देना होगा। रिफाइनरी की टीम इस सेवा में लगी है। सभी कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रबंध करने के बाद ही हमने मास्क के कच्चे माल का उत्पादन किया है। जरूरत पडऩे पर देश के काम के लिए पीछे नहीं हटेंगे। संकट से निपटने के लिए रिफाइनरी कंधे से कंधा मिलाकर देश के साथ खड़ी है और अपना सर्वस्व योगदान देंगे।

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