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जिनके साथ रहता है UP & Bihar, Haryana में उसकी ही जय जयकार Panipat News

हरियाणा में रहकर काम कर रहे उत्‍तर प्रदेश और बिहार में लोग राजनीति का चयन करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में उन्‍हें इग्‍नोर नहीं किया जा सकता।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 09:55 AM (IST)
जिनके साथ रहता है UP & Bihar, Haryana में उसकी ही जय जयकार Panipat News
जिनके साथ रहता है UP & Bihar, Haryana में उसकी ही जय जयकार Panipat News

पानीपत, [अरविन्द झा]। चुनावी रणभूमि में उतरे महारथी एक-एक वोट को अपने पक्ष में करने की जिद्दोजहद में जुटे हैं। हर तबके को साधने का प्रयास जारी है, मगर एक तबका ऐसा भी है जिस पर भले ही सीधी नजर न पड़े, मगर हरियाणा की राजनीति में उसका दखल बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के उद्योगों व कारोबारी संस्थानों में काम करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के मतदाता विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के आठ जिलों में पांच लाख से अधिक पूर्वांचली वोटर हैं। इन वोटरों पर डोरे डालने के लिए उम्मीदवार अलग से बैठकें भी कर रहे हैं। कोई नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है।

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प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव होना है। गुरुग्राम और फरीदाबाद के साथ-साथ पानीपत, सोनीपत, यमुनानगर, रोहतक, अंबाला और करनाल के औद्योगिक संस्थानों में पूर्वाचल के लोगों की खासी तादाद मौजूद है। ऑटो इंडस्ट्री हब फरीदाबाद की आबादी 22 लाख है। छह विधानसभा में से तिगांव, बड़खल, एनआइटी, बल्लभगढ़ और फरीदाबाद में करीब तीन लाख पूर्वाचली वोटर हैं। यहां स्लम एरिया में रहने वाले 50 हजार परिवारों में से भी ज्यादातर के वोट बने हुए हैं। इसी तरह आइटी हब गुरुग्राम में 60 हजार से अधिक वोटर होने के अनुमान है। यहां 30 से 35 फीसद आबादी पूर्वाचल की है। अकेले आइटी सेक्टर में दो लाख लोग काम करते हैं। इनमें से 80 हजार लोग बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं।

जीटी रोड बेल्ट पर आएं तो सोनीपत के राई विधानसभा क्षेत्र में 30 हजार पूर्वाचली वोटर बताए जा रहे हैं। हैंडलूम नगरी पानीपत की बाहरी कालोनियों में 70 से 80 फीसद आबादी पूवार्ंचलवासियों की है। पानीपत शहरी सीट पर 18 से 20 हजार और ग्रामीण सीट पर 40 से 45 हजार पूर्वाचली मतदाता हर चुनाव में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते आए हैं। वहीं, यमुनानगर में प्लाइवुड इंडस्ट्री व रेलवे वर्कशॉप में भी पूर्वाचली वोटरों की संख्या कम नहीं है। अंबाला कैंट क्षेत्र में करीब 10 से 15 हजार मतदाता हैं।

  • भारी पड़े थे पूर्वाचल के वोटर
  • फरीदाबाद की एनआइटी विधानसभा सीट पर 2009 में चुनाव जीतने वाले शिवचरणलाल शर्मा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री एसी चौधरी को पराजित किया था। इसके पीछे कारण यही था कि उन्हें पूर्वांचली होने का लाभ मिला और बाहरी सभी वोट उनके पक्ष में ही पड़े थे।
  • 1995 में फरीदाबाद के पहले महापौर सूबेदार सुमन का नाता भी पूर्वाचल से ही था।
  • परिसीमन के बाद 2009 में पानीपत ग्रामीण विधानसभा सीट से ओपी जैन ने 1996 में पूवार्ंचल के 35 से 40 हजार वोटरों के सहारे चुनाव जीता था। दूसरे प्रदेशों वोटरों ने ही ओपी जैन को विजयी बनाया था।
  • वर्ष 2014 में राई (सोनीपत) विस सीट पर रोचक चुनावी मुकाबले में पूर्वांचल के लगभग 14 हजार वोटरों के सहारे कांग्रेस प्रत्याशी जयतीर्थ दहिया ने जीत का सेहरा पहना था। यहां इनेलो के इंद्रजीत दहिया महज 3 वोट से चुनाव हार गए थे।

पूर्वांचली वोटरों के दर पर दस्तक

मौजूदा परिदृश्य से साफ है कि इस बार भी पूर्वांचल के वोटर उम्मीदवारों के लिए जीत का रास्ता खोलेंगे। शायद यही वजह है कि सभी छोटे-बड़े दलों के नेता इनके दर पर कई-कई बार दस्तक दे चुके हैं। भाजपा प्रत्याशी जहां पांच साल में कराए गए विकास कार्यो की बदौलत वोट मांग रहे हैं। वहीं दूसरे दलों के उम्मीदवार भी पूर्वांचलवासियों के महापर्व छठ में योगदान के लिए आगे आते रहे हैं। चुनाव परिणाम के तत्काल बाद ही छठ का त्योहार भी है। पूर्वांचल संस्थाओं के प्रतिनिधि भी समाज हित में नेताओं की भागीदारी पर चर्चा कर रहे हैं।


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