धुंध में धीमी हो जाएगी ट्रेन, नहीं रहेगा हादसे का डर
उत्तर रेलवे ने धुंध में बडे बडे हादसे रोकने के लिए नई तकनीक ईजाद कर ली है। इसके लिए कोहरे में कम दृश्यता से निपटने के लिए मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन में फॉग सिग्नल डिवाइस लगाए हैं।
पानीपत [अजय सिंह] कोहरे में ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन रेलवे के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन अब उत्तर रेलवे ने इससे निपटने की तैयारी कर ली है। धुंध में बडे बडे हादसे रोकने के लिए नई तकनीक ईजाद कर ली है। कोहरे में कम दृश्यता से निपटने के लिए मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन में फॉग सिग्नल डिवाइस लगाए हैं। डिवाइस की मदद से चालक को दो किलोमीटर पहले ही दृश्यता कम होने का पता चल जाएगा। धुंध में फॉग सिग्नल डिवाइस से ट्रेन की स्पीड स्वत: 75 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी। दृश्यता कम होने की वजह से चालक को सिग्नल देखने में परेशानी होती है। चालक व अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जीपीएस आधारित फॉग सिग्नल डिवाइस से चालक सतर्क होगा। सिग्नल नजदीक होने की चेतावनी देने के लिए जल्द ही ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) के खंभों पर चमकीले संकेतक लगाने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
घने कोहरे में डेटोनेटर का सहारा
चालक को सतर्क करने के लिए डेटोनेटर (पटाखे) का भी प्रयोग किया जाएगा। घने कोहरे वाले क्षेत्र में सिग्नल से कुछ दूरी पर कर्मचारी मौजूद रहते हैं। जो ट्रैक पर डेटोनेटर रख देते हैं। ट्रेन का पहिया ऊपर से गुजतरे ही तेज आवाज होती है। इससे चालक को सिग्नल के पास होने का पता चल जाता है।