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आढ़ती और इंजीनियर के बेटों ने मारी जेईई मेंस में बाजी

जेईई मेनस की परीक्षा में जिले से भी अनेक बच्चों ने बाजी मारी है। इनमें कोई आढ़ती कोई इंजीनियर तो कोई लेक्चरॉर का बेटा है। सभी का सपना एडवांस क्लीयर कर आइआइटी में एडमिशन पा इंजीनियरिग की लाइन में आगे बढ़ बड़ी कंपनियों बड़े पदों तक पहुंचना है। वहीं बच्चों की उपलब्धि पर अभिभावकों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 08:30 AM (IST)
आढ़ती और इंजीनियर के बेटों ने मारी जेईई मेंस में बाजी
आढ़ती और इंजीनियर के बेटों ने मारी जेईई मेंस में बाजी

जागरण संवाददाता, पानीपत

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जेईई मेंस की परीक्षा में जिले के कई बच्चों ने बाजी मारी है। इनमें कोई आढ़ती, कोई इंजीनियर तो कोई लेक्चरर का बेटा है। सभी का सपना एडवांस क्लीयर कर आइआइटी में एडमिशन पाकर इंजीनियरिग की लाइन में आगे बढ़ बड़ी कंपनियों बड़े पदों तक पहुंचना है। बच्चों की उपलब्धि पर अभिभावकों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। संयम का इंजीनियर बनना है लक्ष्य

सफीदों के रहने वाले संयम सिगला ने 99.75 प्रतिशतक अंक के साथ आइआइटी जेईई मेंस की परीक्षा पास की। वो डीएवी सफीदों में 12वीं की पढ़ाई कर रहे हैं। उसके पिता अनिल कुमार जहां आढ़ती है, वहीं मां अंजू रानी गृहिणी है। संयम ने बताया कि वो पानीपत स्थित आकाश मेडिकल आइआइटी जेईई फाउंडेशन में कोचिग ले रहा है। शनिवार और रविवार के अलावा उसी दिन कोचिग लेने आता है, जिस दिन स्कूल की छुट्टी होती है। बाकी उसने घर पर ही हर रोज करीब दस घंटे पढ़ाई की। उसी मेहनत का ये नतीजा है। उसे परीक्षा में पास होने के साथ इतने अंक आने की पूरी उम्मीद थी। संयम ने बताया कि उसका लक्ष्य एडवांस की परीक्षा क्लीयर कर आइआइटी मुम्बई से कंप्यूटर साइंस करने के बाद किसी बड़ी कंपनी में बड़े पैकेज पर जाना है। इंजीनियरिग को लेकर उसका बचपन से ही सपना था। वहीं बेटे की उपलब्धि पर पिता अनिल सिगला की खुशी का ठिकाना नहीं है। पिता की राह पर विश्वजीत

शहर की भाटिया कॉलोनी के रहने वाले राजेंद्र सिंह जागड़ा पब्लिक हेल्थ भिवानी में अधीक्षण अभियंता (एसई) है। बड़े की तरह छोटे बेटे विश्वजीत भी उन्हीं की राह पर है। विश्वजीत ने आइआइटी जेईई मेंस की परीक्षा में 99.36 प्रतिशतक अंक हासिल किए। वो 12वीं (नॉन अटेंडिग) की पढ़ाई करने के साथ पिछले डेढ़ साल से उक्त परीक्षा की तैयारी को लेकर रेगुलर कोचिग ले घर पर रोज करीब पांच घंटे पढ़ाई कर रहा था। उसे परीक्षा उत्तीर्ण के साथ इतने अंक आने की पुरी उम्मीद थी। उसने बताया कि पिता इंजीनियर के साथ बड़े भाई सिद्धार्थ भी इंजीनियर है। इसलिए उसने भी इंजीनियरिग की राह को चुना। वो कम्यूनिकेशन इंजीनियर बनना चाहते है। उनकी माता कमलेश ने हिदी और इतिहास एमए की है। पढ़ा लिखा परिवार होने का भी विश्वजीत को इस उपलब्धि में पूरा फायदा मिला। लेक्चरर का बेटा बनेगा इंजीनियर

करनाल के गुड़ा गांव स्थित राजकीय सीसे स्कूल के गणित लेक्चरर ओमप्रकाश के इकलौते बेटे वैभव ने 99 प्रतिशतक अंक के साथ जेईई मेंस परीक्षा में कामयाबी पाई है।

वैभव नॉन मेडिकल में 12 वीं की पढ़ाई कर रहा है। उसने बताया कि इंजीनियर बनना उसका बचपन का ही सपना है। उसे पूरा करने के लिए वो स्कूल के अलावा शनिवार व रविवार को इंस्टीट्यूट में कोचिग लेने के साथ घर पर करीब दस घंटे पढ़ाई करता है। फिलहाल एडवांस क्लीयर कर आइआइटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिग करना उसका लक्ष्य है। उसकी बड़ी बहन प्रतिभा रानी भी बीएससी कर रही है।


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