Move to Jagran APP

खुदाई में मिली शिवलिंग और नंदी की मूर्ति राजपूत काल की, ईंटें दो हजार साल पुरानी Panipat News

खदान में खुदाई आठवीं-नौवीं शताब्दी के बाद राजपूत काल की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। पुरातत्वविदों ने कहा राजपूत काल में ही इस तरह की मूर्तियां बनाई जाती थी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 12:53 PM (IST)
खुदाई में मिली शिवलिंग और नंदी की मूर्ति राजपूत काल की, ईंटें दो हजार साल पुरानी  Panipat News
खुदाई में मिली शिवलिंग और नंदी की मूर्ति राजपूत काल की, ईंटें दो हजार साल पुरानी Panipat News

पानीपत/करनाल, जेएनएन। फरीदपुर गांव में खनन के दौरान 30 फीट की गहराई में मिली पौराणिक मूर्तियां आठवीं-नौवीं शताब्दी और 11वीं व 12वीं शताब्दी के मध्य रहे राजपूत काल के समय की हैं। वहीं खोदाई में मिली ईंटों को कुषाण काल का माना जा रहा है। 

prime article banner

पुरातत्वविदों का कहना है कि राजपूत काल में इस तरह की मूर्तियां बनाई जाती थी। अध्ययन में सामने आया है कि इस काल में बनी ईंटों के पीछे उंगलियों के निशान होते थे, जो खोदाई में मिली ईंटों पर भी हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि ये ईंटें लगभग दो हजार साल पहले की हैं।

karnal

देर रात खदान से मिली थीं मूर्तियां

रविवार देर रात फरीदपुर गांव के पास रेत की खदान में खोदाई के दौरान शिवलिंग व मूर्तियां निकली थीं। सूचना के बाद जांच के लिए प्रशासन व पुरातत्व विभाग की टीम गांव में पहुंची। पुरातत्व विभाग हरियाणा के अधिकारी शुभम मलिक व बीडीपीओ प्रेम सिंह जांच दल के साथ रेत की खान में गए। अधिकारियों ने उस जगह का मुआयना किया, जहां पर खोदाई में शिवलिंग व स्तंभ मिले थे। पुरातत्व विभाग के दल ने खोदाई में मिलीं ईंटों का निरीक्षण किया। खदान के बाद पुरातत्व विभाग की टीम गांव के देवी मंदिर में पहुंचीं, जहां पर ग्रामीणों ने शिवलिंग व नंदी की मूर्तियों को स्थापित कर दिया था। 

karnal

शिव स्वरूप को सौंपने को नहीं तैयार ग्रामीण

पुरातत्व अधिकारी शुभम मलिक ने बारीकी से पौराणिक धरोहरों की जांच की। उन्होंने कहा कि यहां मिली प्राचीन कला कृतियों का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। शुभम मलिक ने कहा कि सभी कला कृतियों का विस्तृत अध्ययन होना है। ऐसे में इनकी सुरक्षा बेहद अहम है। मूर्तियों की कस्टडी को लेकर ग्रामीणों व अधिकारियों के बीच लंबी बातचीत हुई। ग्रामीण किसी भी सूरत में शिव स्वरूप को पुरातत्व विभाग को सौंपने को तैयार नहीं हैं।

 karnal

14 सदस्यीय कमेटी ने ली मूर्तियों की जिम्मेदारी

लोगों की आस्था को देखते हुए प्रशासन के अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकाला। प्राचीन कला मूर्तियों की सुरक्षा के मद्देनजर गांव में 14 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। यह मूर्तियां कमेटी की कस्टडी में रहेगी और इनके स्वरूप में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK