Move to Jagran APP

सबरीमाला में प्रवेश नहीं, यहां एक ऐसा मंदिर जहां महिला ही गुरु और महिलाएं ही सेवक

पानीपत में है प्रेम मंदिर। पाकिस्‍तान में हुई थी स्‍थापना। विभाजन के बाद लैय्या बिरादरी ने यहां मंदिर बनवाया। परंपरा को नहीं छोड़ा। हर वर्ष मेले में देशभर से पहुंचते हैं संत।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 12:26 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 08:20 PM (IST)
सबरीमाला में प्रवेश नहीं, यहां एक ऐसा मंदिर जहां महिला ही गुरु और महिलाएं ही सेवक
सबरीमाला में प्रवेश नहीं, यहां एक ऐसा मंदिर जहां महिला ही गुरु और महिलाएं ही सेवक

जेएनएन, पानीपत। एक तरफ है केरल का सबरीमाला मंदिर। जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा। वहीं, दूसरी तरफ एक ऐसा मंदिर भी है, जहां गुरु ही महिला है। यानी गददी पर महिला को परमाध्‍यक्ष के रूप में स्‍वीकार किया गया है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। श्रद़धा भाव से हर साल यहां विशाल वार्षिकोत्‍सव मनाया जाता है। तब शंकाराचार्य से लेकर देश के बड़े संत मौजूद होते हैं। मंदिर में महिला को परमाध्‍यक्ष देखकर कभी किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई, बल्कि इसे सराहा ही है। पानीपत में स्थित इस मंदिर की परमाध्‍यक्ष और मंदिर बनने की कहानी आप भी पढ़ें।

loksabha election banner

ये है पानीपत का श्री प्रेम मंदिर। मंदिर का पूरा संचालन महिलाओं के हाथों में है। लैय्या बिरादरी ने 1957 में प्रेम मंदिर की स्थापना की थी। बंटवारे से पहले इस मंदिर की स्थापना शांति देवी महाराज ने पाकिस्तान में की थी। उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है कि प्रेम मंदिर का संचालन महिलाओं के हाथों में रहेगा। बंटवारे के बाद पानीपत में प्रेम मंदिर की स्थापना के एक कमरे में की गई। पाकिस्तान से क्लेम मिलने के बाद 1957 में पानीपत में  प्रेम मंदिर बनाया गया। 10 साल तक मंदिर एक छोटे से कमरे में चला।

prem temple

पानीपत का प्रेम मंदिर।

रात को नहीं ठहर सकते पुरुष
वर्तमान में पानीपत में तीन स्थानों पर प्रेम मंदिर बने हुए हैं। अन्य शहरों में भी प्रेम मंदिर की स्थापना की गई है। प्रेम मंदिर में दिन भी पुरुष आ सकते हैं। रात को मंदिर परिसर में पुरुष ठहर नहीं सकते। मंदिर में रामायण का अखंड पाठ होता है साथ ही गुरुग्रंथ का पाठ होता है।  इन मंदिरों में बाल ब्रह्मचारी महिलाओं के साथ-साथ विधवा महिलाएं रामनाम की सेवा में लगी रहती हैं। महिलाओं की उत्थान में मंदिर विशेष भूमिका निभा रहे हैं। गरीब कन्याओं का विवाह भी करवाया जाता है।

 मंदिरों में महिलाओं की प्रवेश पर रोक नहीं हो : कांता महाराज
वर्तमान में मंदिर की पांचवीं पातशाही कांता देवी महाराज का कहना है कि सबरी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं होनी चाहिए। धर्म की रक्षा में महिलाओं की योगदान कम नहीं है। महिलाओं की बिना समाज अधूरा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.