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सेशन जज के निर्देश पर जजों ने किया नई चैंबर बिल्डिंग का निरीक्षण

कंस्ट्रक्शन समिति नई बिल्डिग में दो खाली स्थानों की नीलामी करना चाहती थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 08:49 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:49 AM (IST)
सेशन जज के निर्देश पर जजों ने किया नई चैंबर बिल्डिंग का निरीक्षण
सेशन जज के निर्देश पर जजों ने किया नई चैंबर बिल्डिंग का निरीक्षण

जागरण संवाददाता, पानीपत

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सेशन जज मनीषा बतरा के आदेश पर चार जजों की कमेटी ने कोर्ट परिसर स्थित फेस टू में बने चैंबरों की बिल्डिंग का निरीक्षण किया। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी उनके साथ रहे। कनेक्टिविटी में क्या है बाधा, इस बाबत द लायर चैंबर कंस्ट्रक्शन समिति (फेज टू) के पदाधिकारियों और कांट्रैक्टर को सेशन जज एग्रीमेंट लेटर सहित तलब कर सकती हैं।

फेज-टू में बने 130 चैंबरों को कोर्ट कांप्लेक्स कोरिडोर से कनेक्टिविटी नहीं मिलने के कारण नई और पुरानी बिल्डिंग के बीच कोरिडोर विकल्प है। देरी होने पर कुछ वकीलों ने चैंबर कंस्ट्रक्शन कमेटी हाई कोर्ट से शिकायत की थी। अगस्त 2019 में हाई कोर्ट कमेटी ने सेशन जज, डीसी, जिला बार एसोसिएशन के प्रधान और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को पत्र भेजकर,कनेक्टिविटी में आ रही बाधाओं को खत्म कर, समाधान के आदेश दिए थे। सोमवार को एडीजे प्रवीन कुमार, सुमित गर्ग, एसीजेएम तरुण सिघल, जेएमआइसी प्रथम श्रेणी ज्योति ग्रोवर और पीडब्ल्यूडी के एसडीओ सत्यप्रकाश बंसल ने बिल्डिंग का निरीक्षण किया।

नई-पुरानी बिल्डिग के बीच कोरिडोर की संभावनाएं देखी। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में द लायर चैंबर कंस्ट्रक्शन समिति(फेज टू)के पदाधिकारियों, काट्रैक्टर को नोटिस जारी कर रिकॉर्ड सहित बुलाया जा सकता है। कनेक्टिविटी बार के लिए चुनौती

पुरानी और नई बिल्डिंग के बीच प्रत्येक मंजिल पर कोरिडोर बनाने के लिए पुरानी बिल्डिंग के कई चैंबर खाली कराने पड़ेंगे। चैंबरों के लिए मची आपाधापी में बार के लिए भी यह चुनौती है। नंबर में खूब गर्माया था मामला

कंस्ट्रक्शन समिति नई बिल्डिंग में दो खाली स्थानों की नीलामी करना चाहती थी। प्राप्त रकम से नई बिल्डिंग का बाकी कार्य पूरा कराने का प्लान था। जबरदस्त विरोध के कारण नीलामी ठंडे बस्ते में चली गई। टेंडर में शामिल कार्य पूरे नहीं होने से वकीलों में रोष है। कोट :

चैंबर कंस्ट्रक्शन कमेटी हाई कोर्ट का पत्र मिलने के बाद से अब तक चार बार दोनों इमारतों को जाकर देख चुका है। दोनों इमारतों के वैकेंट जगह एक सीध में नहीं हैं, तीन-चार फुट का अंतर है। कोरिडोर समिति को बनवाना है, पदाधिकारी कुछ राह नहीं देते।

सुरजीत, जेई-पीडब्ल्यूडी


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