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भाईचारा के नाम से बना रखा है वाट्सएप ग्रुप, आरटीए टीम की लोकेशन की जा रही शेयर

आरटीए के इंस्पेक्टर पूरण चंद कालाआंब रोड पर ओवरलोडिंग वाहनों को रोकने के लिए गश्त कर रही थी। उनकी गाड़ी के पीछे ही एक कार लगी हुई थी। शक होने पर कार को रुकवाने लगे तो वह भागने लगा। जिस पर टीम ने पीछा कर चालक अकरम को पकड़ा।

By Pankaj KumarEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 11:40 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 11:40 AM (IST)
भाईचारा के नाम से बना रखा है वाट्सएप ग्रुप, आरटीए टीम की लोकेशन की जा रही शेयर
आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस ने जांच की शुरू।

यमुनानगर, जेएनएन : वाट्सएप ग्रुपों में आरटीए की चेकिंग टीम की लोकेशन शेयर की जा रही है। देर रात चेकिंग टीम ने साढौरा निवासी अकरम को पकड़ा। वह भाईचारा के नाम से बनाए वाट्सएप ग्रुप में लोकेशन भेज रहा था। आरोपित के खिलाफ इंस्पेक्टर पूरण चंद की शिकायत पर केस दर्ज हुआ। हालांकि उसे थाने से ही जमानत मिल गई।
आरटीए के इंस्पेक्टर पूरण चंद कालाआंब रोड पर ओवरलोडिंग वाहनों को रोकने के लिए गश्त कर रही थी। उनकी गाड़ी के पीछे ही एक कार लगी हुई थी। यह कार कभी उनकी गाड़ी के आगे, तो कभी पीछे हो जाती। शक होने पर कार को रुकवाने लगे, तो वह भागने लगा। जिस पर टीम ने पीछा कर चालक अकरम को पकड़ा। उसका मोबाइल चेक किया, तो उसमें भाईचारा के नाम से ग्रुप बना हुआ था। जिसमें उसने गाड़ी की लोकेशन भेजी थी। इंस्पेक्टर पूरण चंद ने बताया कि आरोपित अकरम की वजह की ओवरलोडिंग गाड़ियों को पकड़ने में दिक्कत आ रही थी। जब आरोपित से मोबाइल लिया, तो उसने वापस छीन लिया और उसमें से चैट डिलीट करने की भी कोशिश की। जिस भाईचारा ग्रुप में वह लोकेशन शेयर करता है। उसमें दस सदस्य जुड़े हुए थे।

पहले भी पकड़े जा चुके लोकेशन शेयर करने वाले 
अवैध खनन कर राजस्व को चूना लगाने वाले वाट्सएप ग्रुपों में चेकिंग टीमों की लोकेशन शेयर करते हैं। पहले भी इस तरह के वाट्सएप ग्रुप पकड़े जा चुके हैं। जगाधरी थाने में तत्कालीन खनन निरीक्षक अश्वनी चौहान ने केस दर्ज कराया था। जिसमें बीबीपुर निवासी उस्मान अली, मुरसलीन, अकरम व मुकारमपुर निवासी जब्बार को पकड़ा गया। इन आरोपितों के मोबाइल में हलचल, साइलेंट व जय माता की नाम से ग्रुप बने हुए थे। जिसमें टीम की गाडिय़ों की लोकेशन शेयर की जाती थी।

चेकिंग टीमों की गाड़ियों के नंबर इनके पास 
हरिओम वन व टू, श्रीराम, राधे श्याम नाम से भी ऐसे ही ग्रुप चल रहे हैं। जो माइनिंग व आरटीए अधिकारियों की गाडिय़ों की लोकेशन शेयर करते हैं। इन ग्रुप में नंबर एड कराने के लिए भी फीस निर्धारित है। बताया जा रहा है कि हर सदस्य से दो हजार रुपए लिए जाते हैं। इन ग्रुपों में भी 200 से 250 लोग जुड़े हुए हैं। ग्रुप चलाने वाले लोग बड़े ही शातिर हैं। पुलिस, आरटीओ, एडीसी, एसडीएम, डीसी, एसपी, डीएफसी, खनन विभाग, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स व एसआइटी टीम पर जितनी भी गाडिय़ां है। सभी के नंबर इनके पास हैं।

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