पानीपत, [विजय गाहल्‍याण] । कद छह फीट आठ इंच। इसी वजह से लाखू बुआना गांव के 20 वर्षीय प्रिंस को उसके दोस्त लंबू कहकर चिढ़ाते थे। उसने सोचा ऐसे खेल में भविष्य बनाएं, जिसमें लंबा कद सहायक हो। इसके बाद वालीबॉल खेलना शुरू किया और चैंपियन बन गया। अब उसका नाम देश के नामचीन खिलाडिय़ों में शुमार है। प्रिंस चेन्नई में हुई प्रो. वालीबॉल लीग के न सिर्फ बेस्ट पांच खिलाडिय़ों में शुमार हुआ, बल्कि 7.30 लाख रुपये की बोली के साथ उत्तर भारत का सबसे मंहगा खिलाड़ी भी बना। यू मुंबा टीम मिली। 

चिढ़ाने वाले दोस्त अब प्रिंस की तारीफ करते नहीं थकते हैं। कई दोस्तों ने तो प्रिंस से प्रेरित होकर वालीबॉल खेलना भी शुरू कर दिया है। लंबे कद का ये खिलाड़ी एशियन वालीबॉल चैंपियनशिप में शिरकत करने के साथ-साथ आल इंडिया यूनिवर्सिटी में स्वर्ण और जूनियर नेशनल में कांस्य पदक जीत चुका है। 

पिता से ली वॉलीबॉल खेलने की प्रेरणा 
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के बीए फाइनल के छात्र प्रिंस मलिक ने बताया कि पिता बलवान सिंह दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और अंतरराष्ट्रीय वालीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। भाई प्रीतम और बहन प्रियंका एमबीबीएस कर रहे हैं। उसे भी परिजनों ने पढ़ाई करने की नसीहत दी। मगर उसकी इच्छा वालीबॉल खिलाड़ी बनने की थी। पिता ने हौसला बढ़ाया तो पांच साल पहले वालीबॉल खेलना शुरू किया। लंबाई का फायदा मिला और सफलता मिली। 

हाथ का अंगूठा टूटने पर भी नहीं छोड़ा अभ्यास 
प्रिंस ने बताया कि 2018 में एशियन वालीबॉल चैंपियनशिप से एक महीने पहले दायें हाथ का अंगूठा टूट गया था। डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी पर उसने मैदान जाना नहीं छोड़ा। चैंपियनशिप में खेला और देश की टीम को टॉप-8 में पहुंचाया। वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कोच दलेल सिंह से वालीबॉल के गुर सीख रहा है और सुबह, दोपहर व शाम को दो-दे घंटे अभ्यास करता है। अगला लक्ष्य एशियन वालीबॉल चैंपियनशिप में देश की टीम को विजेता बनाना है।  

प्रिंस के ब्लाक को भेद पाना आसान नहीं
जिला वालीबॉल संघ के सचिव नरेंद्र महराणा का कहना है कि प्रिंस वालीबॉल के मैदान में सेंटर ब्लॉकर के तौर पर खेलता है। विरोधी खिलाड़ी बॉल से अटैक करते तो प्रिंस बॉल को ब्लॉक कर जमीन पर गिरने से रोक देता है। अच्छे से अच्छे अटैकर भी प्रिंस के ब्लाक को नहीं भेद पाते हैं। प्रिंस की लंबाई और फुर्ती ही कामयाबी का कारण है।

Edited By: Ravi Dhawan