Chandra Grahan 2020 Timing साल का पहला चंद्र ग्रहण होगा उपच्छाया ग्रहण, मिथुन राशि और पुनर्वसु नक्षत्र में होगा घटित Panipat News
10 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण है। ये चंद्रग्रहण उपच्छाया ग्रहण होगा। यह मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में घटित होगा।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। इस बार का चंद्र ग्रहण कुछ खास है। इसे आंशिक छाया ग्रहण बताया गया है। चंद्र ग्रहण को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है। इनमें पहला है पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा है आंशिक चंद्र ग्रहण और तीसरा है आंशिक छाया चंद्र ग्रहण। उपच्छाया ग्रहण वो ग्रहण होता है जो पूर्ण ग्रहण और आंशिक ग्रहण के मुकाबले काफी कमजोर होता है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार चंद्र ग्रहण मिथुन राशि और पुनर्वसु नक्षत्र में घटित होगा।
उपच्छाया चंद्रग्रहण हम साफतौर पर नहीं देख सकते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा। चंद्रमा के आगे धूल की एक परत-सी छा जाएगी। यह चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को रात 10:37 बजे शुरू होगा और 11 जनवरी को 02:42 तक चलेगा। यानी यह पहला ग्रहण चार घंटे 5 मिनट तक चलेगा। यह चंद्रग्रहण गुरु के नक्षत्र पुनर्वसु में और मिथुन राशि मे घटित होगा।
जानिए ग्रहण की श्रेणियों के बारे में
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर पडऩे वाली सूर्य की किरणें रुक जाती हैं, और पृथ्वी की पृच्छाया उस पर पडऩे लगती है इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं। छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी एक सीध में अपने उपग्रह चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर पडऩे वाली सूर्य की किरणें रुक जाती हैं, और पृथ्वी की पृच्छाया उस पर पडऩे लगती है, जिससे वह पूरी तरह दिखना बंद हो जाता है। लेकिन इस बार पडऩे वाला ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा, जिसमें चांद पूरी तरह छिपेगा नहीं है और ना ही चंद्रमा की काली छाया पृथ्वी पर पड़ेगी। दरअसल आंशिक छाया वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण और आंशिक चंद्र ग्रहण से भी कमजोर होता है। इसलिए इसे साफतौर पर देखा नहीं जा सकता।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण
26 दिसंबर को आप सूर्य ग्रहण की दिलचस्प खगोलीय घटना ङ्क्षरग ऑफ फायर देख चुके हैं। अब सूर्य ग्रहण के 2 सप्ताह बाद वोल्फ मून ग्रहण देखने को मिलेगा। यह उत्तरी अमेरिका में नहीं बल्कि यूरोप, अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया में शुक्रवार 10 जनवरी को देखने को मिलेगा। इस ग्रहण की खास बात यह है कि यह उपच्छाया ग्रहण होगा।
सावधानी बरतनी जरूरी
वर्ष 2020 का पहला चंद्र ग्रहण शुक्रवार को होगा। यह मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में घटित होगा। यह भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, अर्जेंटीना जैसे देशों में दिखाई देगा। कॉस्मेटिक एस्ट्रो पिपली (कुरुक्षेत्र) के निदेशक ज्योतिष एवं वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि यह मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। इसको ग्रहण नहीं कहा जा सकेगा। मांद्य यानी मंद पडऩे की क्रिया को कहते हैं। 10 जनवरी को होने वाले ग्रहण में चंद्रमा का छवि धूमिल होती प्रतीत होगी। चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग मटमैला जैसा हो जाएगा। इस क्रिया में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा जिस कारण से ग्रहण का सूतक काल प्रभावी नहीं रहेगा।
प्रयागराज में माघ मेले का भी शुभारंभ
10 जनवरी से प्रयागराज में माघ मेले की भी शुरुआत हो रही है। यह पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 21 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा। ऐसा भी माना जाता है कि पौष माह की पूर्णिमा पर स्नान और ध्यान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं।
गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान
ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को नुकीली चीजों जैसे चाकू, कैंची, सूई का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। महिलाओं को घर के बाहर निकलने से भी बचना चाहिए। उसके ग्रहण देख लेने से सीधा असर उसके होने वाले बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। ग्रहण के दौरान बना खाना नहीं खाना चाहिए। ग्रहण के बाद नहाना चाहिए। ऐसा न करने पर उसके शिशु को त्वचा संबधी रोग लग सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए।
नहीं होगा कोई खास प्रभाव
शिवशक्ति ज्योतिष केंद्र चीका के संचालक सुल्तान शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक चंद्र ग्रहण के घटित होने से पूर्व चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में अवश्य प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है। उसके बाद ही वह पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। तभी उसे वास्तविक ग्रहण कहा जाता है। 10 जनवरी को चंद्रमा वास्तविक छाया में प्रवेश न करके उपच्छाया में प्रवेश करेगा। इस दिन पूर्णिमा को चंद्रमा उपच्छाया में प्रवेश कर, उपच्छाया शंकू से ही बाहर निकल जाएगा। इस उपच्छाया के समय चन्द्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ेगा, काला नहीं होगा। शास्त्री ने बताया कि धर्म शास्त्रकारों ने इस प्रकार के उप ग्रहणों, उपच्छाया में चंद्र ङ्क्षबब पर मालिन्य मात्र छाया आने के कारण उन्हें ग्रहण की कोटि में नहीं रखा। इस उपच्छाया ग्रहण की समयावधि में चन्द्रमा की चांदनी में केवल कुछ धुंधलापन आएगा। इस प्रकार के उपच्छाया ग्रहण मे सूतक, स्नान, दान आदि के महत्व का विचार भी नहीं होगा। इस उपच्छाया ग्रहण का आरंभ समय रात्रि 10 बजकर 38 मिनट, मध्य रात्रि 12 बजकर 50 मिनट व मोक्ष रात्रि दो बजकर 42 मिनट पर होगा।