तंज को छोड़ मेहनत से बनीं प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती रेफरी
सिवाह गांव की पहलवान बहू तृप्ता भारद्वाज अब किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। वे प्रदेश की पहली महिला कुश्ती अंतरराष्ट्रीय रेफरी हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए डगर कठिन थी। हौसला नहीं खोया और लक्ष्य की ओर बढ़ती रही। विश्व ख्याति प्राप्त पहलवान मास्टर चंदगीराम की बेटी सोनिका कालीरमण को कुश्ती करते देख तृप्ता ने पहलवान बनने की ठान ली।
विजय गाहल्याण, पानीपत:
सिवाह गांव की पहलवान बहू तृप्ता भारद्वाज अब किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। वे प्रदेश की पहली महिला कुश्ती की अंतरराष्ट्रीय रेफरी हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए डगर कठिन थी। हौसला नहीं खोया और लक्ष्य की ओर बढ़ती गई। विश्व ख्यातिप्राप्त पहलवान मास्टर चंदगीराम की बेटी सोनिका कालीरमण को कुश्ती करते देख तृप्ता ने पहलवान बनने की ठान ली। वर्ष 2003 में जींद के ब्राह्मवास गांव के फौजी पिता श्रीभगवान ने उन्हें चंदगीराम के अखाड़े में छोड़ दिया। शरीर से कमजोर होने पर रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने तंज कसे कि हड्डी तुड़वा लेगी। उनके पिता को नसीहत दी कि दिल्ली जाकर बेटी बिगड़ जाएगी। परिवार की बदनामी हो जाएगी। खेल छुड़ाकर पढ़ाई कराकर शादी करा दें।
पिता ने किसी की परवाह नहीं की और बेटी को राष्ट्रीय चैंपियन बनाने का सपना देखा। तृप्ता ने भी पिता के विश्वास को टूटने नहीं दिया और कड़ा अभ्यास कर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण, आल इंडिया यूनिवर्सिटी में रजत और राज्य स्तर प्रतियोगता में पांच पदक जीते।
पति ने साथ दिया, स्टेट चैंपियन बनी
तृप्ता ने बताया कि 2005 में उनकी शादी सिवाह के अनिल भारद्वाज के साथ हो गई। पति, ससुर रामनिवास और सास सरोज ने कुश्ती के अभ्यास के लिए पूरी आजादी दी। इसी वजह से वह कुश्ती कोच का कोर्स कर पाई और नवंबर 2019 में चीन में हुई अंडर-15 एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में रेफरी रही। उसकी बेटी 11 वर्षीय श्रुति और 7 वर्षीय हर्षिता है। श्रुति स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी हैं।
ननद-भाभी लड़कियों को सिखाते हैं कुश्ती के गुर
तृप्ता से प्रेरित होकर ननद संगीता ने कुश्ती का अभ्यास शुरू कर दिया है। गांव की अन्य कई लड़कियों ने भी उन्हें ही आदर्श मानकर कुश्ती की ट्रेनिग शुरू कर दी है। बड़ी ननद अंतरराष्ट्रीय पहलवान संतोष गौतम विश्व पुलिस गेम्स में दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुकी हैं। अब ननद व भाभी लड़कियों को कुश्ती की ट्रेनिग भी देती हैं। कई पहलवान राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुकी हैं।