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जागरूकता का दिखा असर, किसानों ने फानों को खेत में मिलाकर की गेहूं की बिजाई

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : दैनिक जागरण व जिला प्रशासन की ओर से फसल कटाई के बाद बचे अवशेष को आग से बचाने के लिए चलाए गए जागरूकता अभियान का असर दिखने लगा है।

By Edited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:56 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:58 PM (IST)
जागरूकता का दिखा असर, किसानों ने फानों को खेत में मिलाकर की गेहूं की बिजाई
जागरूकता का दिखा असर, किसानों ने फानों को खेत में मिलाकर की गेहूं की बिजाई

जेएनएन, पानीपत : दैनिक जागरण व जिला प्रशासन की ओर से फसल कटाई के बाद बचे अवशेष को आग से बचाने के लिए चलाए गए जागरूकता अभियान का असर दिखने लगा है। इस अभियान में गांव सलपानी खुर्द की पंचायत के साथ आने पर ज्यादातार किसानों ने फानों को मिट्टी में मिलाकर गेहूं की बिजाई की है। फानों को मिट्टी में मिलाकर बिजाई करने के बाद अब गेहूं की फसल मिट्टी से बाहर निकलनी शुरू हो गई है। गांव के ज्यादातर खेतों में जीरो ट्रिल और हैप्पी सीडर से बिजाई की गई है। इससे मिट्टी की सेहत में सुधार होने और पर्यावरण प्रदूषित न होने पर किसान भी संतुष्ट हैं।

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गांव सलपानी खुर्द के सरपंच एवं इस्माईलाबाद सरपंच एसोसिएशन के ब्लाक अध्यक्ष हरमनप्रीत ¨सह ने कहा कि दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए जागरूकता अभियान का असर अब दिखने लगा है। गांव के ज्यादातर किसानों ने फानों को आग लगाने की बजाय इन्हें मिट्टी में मिलाकर ही बिजाई की है। गांव के सभी किसानों को इस बात की जानकारी हो गई है कि फानों में आग लगाने से मिट्टी को नुकसान पहुंचता और खेत की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। अपनी मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों ने नये कृषि यंत्रों की मदद से खेत में ही दबाया है। इस अभियान के लिए लगातार दैनिक जागरण ने किसानों को जागरूक किया और फानों को मिट्टी में मिलाने के फायदे भी बताए गए हैं। 

दो साल से नहीं जला रहे फाने 
किसान सुखपाल ¨सह ने कहा कि वह पिछले दो साल से फानों को आग नहीं लगा रहे हैं। फानों को आग न लगाने पर एक ओर तो पर्यावरण प्रदूषित होने से बच रहा है दूसरी ओर किसान का खेत भी सुधर रहा है। किसान को खेत से अच्छी फसल के लिए इसकी मिट्टी में पाई जाने वाली खामियों को पहचान कर उन्हें दूर करना होगा। इसके बाद ही खेत से अच्छी पैदावार ली जा सकती है। खेत की मिट्टी में फाने मिलाने पर मिट्टी की सेहत में सुधार होकर इसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। 

नई विधि को अपनाना जरूरी
किसान पंजाब सिंह ने कहा कि अब किसानों को नई विधि अपनानी होगी। परंपरागत खेती में बदलाव लाकर ही खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। आधुनिक कृषि यंत्र इस खेती में काफी हद तक मददगार हो सकते हैं। इसके किसान को भी अपडेट रहना जरूरी है। अच्छी पैदावार के लिए खेत की मिट्टी का उपजाऊ होना जरूरी है। इसको उपजाऊ बनाने के लिए सभी जरूरी उपाय करने होंगे। 

मिट्टी की ऊपरी सतह हो रही सख्त
किसान निशान ¨सह ने कहा कि उन्होंने दैनिक जागरण समाचार पत्र में कृषि विशेषज्ञों की ओर से दिए गए सुझावों से इस बात की जानकारी मिली है कि फानों में आग लगाने से मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त हो रही और इसके तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। मिट्टी की सतह सख्त होने पर इसकी पानी सोखने की क्षमता कम हो रही है। इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ रहा और बरसात के दिनों में पानी धरती के अंदर जाने की बजाय बाढ़ का रूप ले रहा है। इसके साथ-साथ तापमान में बढ़ोतरी होने पर मित्र कीट भी सतह को छोड़ कर गहराई में जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि पौधे को पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। 

किसानों को जागरूक होना होगा
ग्रामीण रिंकू ने कहा कि किसानों को जागरूक होना होगा। फानों को आग लगाने पर पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषित होने पर सांस के रोगियों को सांस लेने में परेशानी होती है। लोगों को आंखों में जलन होना आम है। इस प्रदूषण के चलते कई तरह की बीमरियां बढ़ती हैं। ऐसे में फानों को आग लगाने से बचना चाहिए। 

सरकार किसान को दे सब्सिडी
किसान सुरजीत सिंह ने कहा कि फानों को खेत की मिट्टी में दबाने के लिए खेत की छह से आठ बार जुताई करनी पड़ती है। ऐसे में किसान का खर्च बढ़ गया है। सरकार को चाहिए कि वह किसान को राहत देने के लिए ज्यादा से ज्यादा कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए। इतना ही नहीं फानों को आग से बचाने के लिए विशेष सब्सिडी जारी की जाए, ताकि किसान पर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सके।

आधुनिक यंत्र उपलब्ध करवाना जरूरी
किसान सतविंदर सिंह ने कहा कि फानों को खेत में दबाने पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए नये आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने होंगे। इस काम को जितना आसान किया जाएगा, उतना ही किसान इसे अपनाएगा। पुराने यंत्रों के साथ फानों को मिट्टी में मिलाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस काम में समय भी ज्यादा लगता है। कृषि विशेषज्ञों को इस क्षेत्र में और काम करना होगा, ताकि बेहतर परिणाम सामने आ सकें।


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