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सिचाई के लिए अमृत बनकर निकलेगा सरोवर का गंदा पानी

जागरण संवाददाता समालखा खंड में अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। पहले चर

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:13 PM (IST)
सिचाई के लिए अमृत बनकर निकलेगा सरोवर का गंदा पानी
सिचाई के लिए अमृत बनकर निकलेगा सरोवर का गंदा पानी

जागरण संवाददाता, समालखा :

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खंड में अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में 10 सरोवर का टेंडर खुला है। इनमें पानी निकासी से लेकर खोदाई का काम चल रहा है। 15 अगस्त तक इनका काम पूरा करना है। वैसे खंड के दो दर्जन तालाबों को अमृत सरोवर में तब्दील करने की योजना है। केंद्र और राज्य सरकार की यह संयुक्त योजना है। तालाब का क्षेत्रफल कम से कम दो एकड़ होना जरूरी है।

उल्लेखनीय है कि गांवों में गंदे पानी की विकराल होती समस्याओं से निजात दिलाने के लिए सरकार ने अमृत सरोवर योजना की शुरूआत की है। खंड के 32 पंचायतों में दो दर्जन तालाबों का चयन किया जा रहा है। पहले चरण में मनाना, चुलकाना, भोड़वाल माजरी, गढ़ीछाज्जू, आट्टा, जौरासी खास, राक्सेड़ा, हथवाला, करहंस और मच्छरौली के 10 तालाबों से इसका शुभारंभ किया गया है। इनमें कुछ तालाबों में पानी निकासी तो कुछ में मिट्टी खोदाई का काम शुरू किया गया है। बड़े गांव में दो तालाबों का चुनाव योजना के तहत हुआ है।

वैट लैंड तकनीक से होगा शोधन

गांव के गंदे पानी को अमृत सरोवर तक ले जाया जाएगा। उसके कचरे को बाहर निकाला जाएगा। फिर 10 गुना 15 मीटर के दो गड्ढों में डाला जाएगा। जहां शिल्ट के जमने के बाद पानी 50.39 मीटर लंबे और 11.14 मीटर चौड़े वैटलैंड में जाएगा। वैटलैंड में पेड़-पौधे, ईंट-पत्थर, रेत आदि से छनने के बाद उसे तालाब में इकट्ठा किया जाएगा। वहां से पंप के माध्यम से खेतों में सिचाई की जाएगी। पब्लिक हेल्थ और कृषि विभाग के अधिकारी पानी की गुणवत्ता की जांच करेंगे। बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड(बीओडी), टीडीएस और पीएच आदि का अनुपात ठीक होने पर पानी के उपयुक्त होने पर मुहर लगाएंगे। पट्टीकल्याणा, बिहौली, नरायणा, गढ़ीत्याग्यान आदि में आबादी के बीच आने वाले जोहड़ को अमृत सरोवर में बदला जाएगा।

वर्जन-पंचायती राज के एसडीओ राकेश डागर कहते हैं। जिले में 53 तालाबों को अमृत सरोवर बनाया जाएगा, जिनमें 24 समालखा खंड के हैं। तालाब की पटरी पर सैर करने का ट्रैक बनेगा। हरियाली का पूरा प्रबंध होगा। ग्रामीणों को गंदे पानी की निकासी, सैर व हरियाली का एक साथ लाभ मिलेगा। जलसंरक्षण को पंख लगेगा।


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