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शहरों की छोटी सरकार पर अदालत का बड़ा फैसला, असर पूरे हरियाणा पर

नई वार्डबंदी का नोटिफिकेशन रद। पहली नोटिफिकेशन पर प्रिंसिपल सेक्रेटरी खुद सुनेंगे आपत्तियां। इस हिसाब से नगर निगम का चुनाव फिलहाल टलना तय। 26 नए वार्ड बनाए गए हैं।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 03:27 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 03:37 PM (IST)
शहरों की छोटी सरकार पर अदालत का बड़ा फैसला, असर पूरे हरियाणा पर
शहरों की छोटी सरकार पर अदालत का बड़ा फैसला, असर पूरे हरियाणा पर

जागरण संवाददाता, पानीपत : सरकार ने आखिरकर नगर निगम की नई वार्डबंदी के अपने दो नोटिफिकेशन को वापस ले लिया है। अब पहली नोटिफिकेशन (11 अप्रैल 2018) पर ही नगर निगम का चुनाव कराया जाएगा। सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल बलदेव राज महाजन ने हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट में पहली वार्डबंदी को सही होना बताया है। हाई कोर्ट ने इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पहली नोटिफिकेशन की तरह डीसी दावे और आपत्तियों पर सुनवाई नहीं करेंगी। सरकार के प्रमुख सचिव सुनवाई कर इन पर स्‍पीकिंग ऑर्डर करेंगे। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सत्ता पक्ष की परेशानी बढ़ गई है।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिविजन बैंच में जस्टिस राकेश कुमार जैन और अनुपेंद्र ग्रेवाल की खंडपीठ में शुक्रवार को सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल बलदेव राज महाजन ने अपनी रिपोर्ट पेश की। याची पक्ष की तरफ से एडवोकेट अजय कंसल ने अपना पक्ष रखा। डिविजन बैंच ने एजी की रिपोर्ट पर अपना फैसला याची पक्ष के हक में दिया। एडवोकेट अजय कंसल ने बताया कि नगर निगम की वार्डबंदी में जनता की अनदेखा की गई थी। इसमें अनदेखी हाई कोर्ट के सामने स्पष्ट भी हो गई है। हाई कोर्ट ने इन दोनों प्वाइंटों पर जोर दिया। बताते चलें कि इस फैसले को दूसरे जिले भी उदाहरण देकर आगे आ सकते हैं।

नंबर-एक
हाई कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की रिपोर्ट के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि डीसी इस तरह के फैसले नहीं दे सकती। उनको केवल दावे और आपत्तियों को लेकर उच्चाधिकारियों के पास भेजना था। चूंकि नोटिफिकेशन उनसे उच्च अधिकारी द्वारा जारी किया गया है। उन्होंने इनमें सुनवाई कर लागू करते हुए अपनी शक्तियों को दुरुपयोग किया है।

नंबर-दो
कोई भी वार्ड या जगह निर्धारित करते समय सीधी लाइन खींचना पर्याप्त नहीं है। उसकी भौगोलिक स्थिति भी देखनी जरूरी है। नगर निगम अधिकारियों ने सीधी लाइन खींचकर वार्डबंदी कर दी। यह चिंता का विषय है। इससे वार्डोँ या कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दिक्कत आ सकती है। सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने से पहले दावे और आपत्तियों पर सुनवाई करना जरूरी होता है।

नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों के सामने मुश्किलों का पहाड़
प्रमुख सचिव को पहले नोटिफिकेशन पर प्राप्त 123 दावे और आपत्तियों को सुनकर इनके स्‍पीकिंग ऑर्डर पास करने होंगे। इसी नोटिफिकेशन के आधार पर वार्डों में वोटों का निर्धारण किया जाएगा। इसके बाद फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। नगर निगम अधिकारियों ही नहीं कर्मचारियों के सामने वोटों का निर्धारण करना किसी पहाड़ पर चढऩे से कम नजर नहीं आ रहा। अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल के बाद इस पर वोटों का निर्धारण एक महीने में किया था।

भाजपा नेताओं की थी सबसे ज्यादा आपत्तियां
11 अप्रैल 2018 को नई वार्डबंदी की पहली नोटिफिकेशन को सत्ता में बैठी भाजपा ने ही गलत ठहराया था। खुद भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद विज ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने इस बात को रखा था। सीएम ने डीसी को वार्डबंदी बदलने की कही थी। इसके बाद वार्डबंदी को बदला गया, लेकिन भाजपा के निवर्तमान पार्षद लोकेश नांगरू और पूर्व पार्षद रामकुमार सैनी ने आरोप लगाया कि कुटानी रोड का कुछ हिस्सा गलत तरीके से जोड़ा गया है। उनका आरोप भी था कि अधिकारियों द्वारा बनाई गई वार्डबंदी में छेड़छाड़ की गई है। इसके बाद नए सिरे से वार्डबंदी को फाइनल किया गया। भाजपा नेताओं का ही कहना था कि पहली वार्डबंदी के अनुसार भाजपा के ज्यादातर उम्मीदवारों का जीत पाना मुश्किल है।


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