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थैंक्‍यू आयुष्मान, नवजात की लौटाई सांसें, दो महीने पहले जन्‍मी, साढ़े तीन घंटे झेला आपरेशन

पानीपत में आयुष्‍मान योजना की वजह से एक नवजात की जान बच गई। सात दिन नवजात एडवांस वेंटिलेटर पर रही। मजदूर परिवार के घर आई खुशी। पांच डाक्‍टरों की टीम ने साढ़े तीन घंटे तक आपरेशन करके बच्‍ची की जान बचाई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 09:17 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 09:17 AM (IST)
थैंक्‍यू आयुष्मान, नवजात की लौटाई सांसें, दो महीने पहले जन्‍मी, साढ़े तीन घंटे झेला आपरेशन
दो माह की नवजात बच्‍ची को बचा लिया गया।

पानीपत, जागरण संवाददाता। आयुष्मान कार्ड ने एक नवजात बच्ची की जान बचा ली। मजदूर परिवार के घर पर खुशियां वापस लौट आईं। पानीपत शहर के निजी अस्पताल में सतमासी (सात माह के गर्भ के बाद जन्मे) बच्चे की आंत फट गई। पांच डाक्टरों की टीम ने साढ़े तीन घंटे आपरेशन कर डेढ़ किलोग्राम वजनी बच्चे की जान बचाने में सफलता हासिल की। जिस नवजात बच्ची का आपरेशन हुआ, उसका परिवार करनाल के पोपड़ा गांव का रहने वाला है। स्वजन सुरेंद्र ने बताया कि बच्ची का जन्म करनाल के कल्पना चावला अस्पताल में हुआ। बच्ची को सांस नहीं ले पाने व दूध नहीं पीने की शिकायत पैदा हुई। एंबुलेंस चालक ने पानीपत के निजी अस्पताल के बारे में बताया।

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यहां लाए तो एडवांस वेंटिलेटर पर रखा गया। पांच डाक्टर बाल रोग विशेषज्ञ डा. गीरिश अरोड़ा व डा. अजय जागलान, पीडियाट्रिक सर्जन डा. संदीप जागलान ने आपरेशन शुरू किया। बच्ची की बेहोशी की जिम्मेवारी सीनियर एनेस्थेटिक डा. रचना गर्ग ने संभाली। आपरेशन के बाद बच्ची को तीन दिन फिर वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद डाक्टरों की टीम ने 26 नवंबर को तक देखरेख की और बच्ची को फिट घोषित कर दिया। अब शनिवार को परिवार के सदस्यों छुट्टी मिल जाएगी।

आयुष्मान कार्ड पर बढ़ा भरोसा

बच्ची के पिता सुरेंद्र ने बताया कि आयुष्मान कार्ड को बने डेढ़ साल हो गया था। पता नहीं था कि यह चलेगा या नहीं। वह मजदूरी करते हैं। इतना खर्च नहीं कर पाते। इसके बाद बाद जब पानीपत के रेनबो अस्पताल में आयुष्मान कार्ड दिखाया तो डाक्टरों ने दाखिल कर लिया। फिर बिना कोई चार्ज के मुफ्त आपरेशन हुआ। अस्पताल के डा. गीरिश अरोड़ा ने जागरण को बताया कि जैसे-जैसे दिन बच्चे के गुजरते जा रहे थे, बच्ची की पेट की सूजन परेशानी का कारण बनी हुई थी। आखिरकार आपरेशन सफल रहा। आयुष्मान कार्ड की वजह से परिवार पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ा।


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