हिंद केसरी थानेदार और हवलदार का जज्बा देख रह जाएंगे दंग, फर्ज के अखाड़े में लगा रहे सेवा का दांव
हिंद केसरी थानेदार सोहन पहलवान और हवलदार सुरेंद्र सिंह समय मिलते ही अखाड़े में अभ्यास करते हैं। इसके बाद ड्यूटी पर डटकर कोरोना से लड़ रहे।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। कोरोना को हराने में पुलिस के जवान दिन-रात जुटे हैं। उनके सामने शरीर को फिट रखना बड़ी चुनौती है। साथ ही आमजन की सुरक्षा और जरूरतमंदों की सेवा का जुनून भी है। ऐसे में भी दो पहलवान भाई ड्यूटी के साथ समय मिलते ही लंगोटी बांधकर अखाड़े में उतर जाते हैं। इससे वे अगले दिन की ड्यूटी के लिए शरीर को माकुल बना लेते हैं।
ऐसा कर रहे हैं हिंद केसरी बिजली निगम विजिलेंस में थानेदार मॉडल टाउन के सोहन पहलवान। उनकी उम्र 45 को पार कर चुकी है, लेकिन कुश्ती के प्रति जज्बा कम नहीं है। ड्यूटी सोनीपत क्षेत्र में है। समय मिलते ही सोनीपत, गोहना या फिर पानीपत में विर्क नगर के अखाड़े में अभ्यास करने पहुंच जाते हैं। प्रतिदिन 1200 बार डंबल और 200 दंड बैठक लगाते हैं। अखाड़े में कस्सी चलाते हैं। इसी तरह से उनके छोटे भाई सेक्टर-25 निवासी सुरेंद्र सिंह सीआइडी में हवलदार हैं और पानीपत में कार्यरत हैं। ड्यूटी खत्म करने बाद दो घंटे अखाड़े में जाकर अभ्यास करते हैं। ये दोनों भाई उन युवकों को आइना दिखाते हैं, जो कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। वजन बढ़ रहा है। पदक जीतने में दिक्कत होगी।
मजाक करने वाले युवाओं को देते हैं पटकनी
सोहन पहलवान ने बताया कि उम्र को देखकर कई युवा पहलवान मजाक करते हैं कि पहलवान जी अब पहले वाली बात नहीं रही। वे उन्हें बातों की बजाय अखाड़े में चित कर समझा देते हैं। लॉकडाउन में युवाओं के पास समय का अभाव नहीं है। वे घर पर भी लगातार अभ्यास कर सकते हैं। वीडियो कॉलिंग कर कोच से सलाह भी ले सकते हैं।
सोहन की सफलता
-पांच बार भारत केसरी खिताब विजेता।
-दो बाद हिंद केसरी बने।
-ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में सात स्वर्ण पदक।
- नेशनल गेम्स में तीन स्वर्ण पदक।
-फेडरेशन कप में चार स्वर्ण पदक।
सुरेंद्र की सफलता
-इंडिया पुलिस गेम्स में स्वर्ण पदक।
-सब जूनियर व जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण व रजत पदक।
-नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में रजत व कांस्य पदक।
-पांच बार जिला केसरी खिताब विजेता।