शुगर मिल व डिस्ट्रलरी सील होगी, 31 जनवरी से पहले देनी होगी रिपोर्ट
जागरण संवाददाता पानीपत पर्यावरणीय मानदंडों की गंभीर उल्लंघना मिलने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्य
जागरण संवाददाता, पानीपत :
पर्यावरणीय मानदंडों की गंभीर उल्लंघना मिलने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने को-ओपरेटिव शुगर मिल व उसमें लगी डिस्ट्रलरी को बंद करने के निर्देश दिए हैं। गत बुधवार को ये निर्देश जारी किए गए। जांच में शुगर मिल व उसकी दूसरी यूनिट जल, वायु अधिनियम के साथ ईपी अधिनियम का उल्लंघन करते मिले। पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के लिए मिल को हर्जाना देना होगा। अगली सुनवाई 22 फरवरी 2021 को होगी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लिखा शुगर मिल को पत्र
स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी के दिशा निर्देश के अनुसार शुगर मिल प्रबंधन को पत्र लिखा है। इस पत्र में शुगर मिल के कारण हो रहे पर्यावरण नुकसान की जानकारी दी गई है। साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को पूरा न करने में जो कमियां पाई गई है, उनसे मिल प्रबंधन को अवगत करवाया है।प्रदूषण से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए एक्शन प्लान शुगर मिल से मांगा गया है। एक्शन प्लॉन के मुताबिक कार्य कर शुगर मिल को 31 जनवरी से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिपोर्ट देनी होगी। इन दिनों पैराई का सीजन नहीं है। शुगर मिल बंद है। डिस्ट्रीलरी चल रही है।
ये मिली कमियां
-बोरवेल से पानी लिया जा रहा है। बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) से एनओसी नहीं ली गई।
-शुगर मिल में पुराने बॉयलरों का उपयोग हो रहा है। वायु प्रदूषण फैला रहे हैं।
-सीपीसीबी के क्लोजर नोटिस के बाद भी मिल प्रदूषण फैलाती मिली
-यूनिट पीसीबी की कंसेंट के मुताबिक स्टैंडर्ड पूरे नहीं कर रहा
-ईटीपी के निकले पानी की निकासी का उचित प्रबंधन नहीं
-ट्रीट किए हुए पानी को बागवानी के लिए प्रयोग किया जाना है। इसके लिए लाइन बिछी हुई है, जो टूटी हुई है।
-पानी के लिए व्यापक सिचाई प्रबंधन योजना तैयार नहीं की गई।
-ईटीपी साइट के स्थान पर अन्य स्थान पर ऊर्जा मीटर लगा हुआ है। ईटीपी के लिए तेल व जाल की सुविधा नहीं दी गई। उचित बराबरी पर टैंक नहीं बनाया गया।
-डिस्टलरी का दूषित पानी सीवर के मैनहोल में डाला जा रहा ''एनजीटी ने शुगर मिल की डिस्टलरी को बंद करने के निर्देश दिए हैं। डिस्ट्रीलरी को बंद करने किया जाएगा। शुगर मिल को चलने के लिए मानकों को पूरा करना होगा। इसके लिए पत्र लिखा गया है।''
शैलेंद्र अरोड़ा, रीजनल ऑफिसर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पानीपत।