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Success Story: जोश और जनून ने वेटर से बना दिया इंजीनियर, कबाड़ी से कंडम बाइक ले बनाई सुपर इलेक्ट्रिक बाइक

अंबाला के संभालकी गांव के विक्रम ने वेटर का काम किया। इसके बाद कबाड़ी से दो हजार में कंडम बाइक ली। उसे एक इलेक्ट्रिक बाइक तैयार कर दी। ये बाइक 10 रुपये के खर्च में 80 किमी तक का सफर कर सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag ShuklaPublished: Thu, 06 Oct 2022 07:00 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 07:00 PM (IST)
Success Story: जोश और जनून ने वेटर से बना दिया इंजीनियर, कबाड़ी से कंडम बाइक ले बनाई सुपर इलेक्ट्रिक बाइक
विक्रम द्वारा तैयार बाइक को दिखाते हुए आइटीआइ के प्रिंसिपल भूपिंद्र सिंह व अन्य स्टाफ के साथ विक्रम। जागरण

अंबाला शहर, [उमेश भार्गव]। सोच और जज्बा हो तो कुछ भी संभव है। कुछ ऐसा ही जज्‍बे और जुनून से वेटर ने बड़े-बड़े इंजीनियरों को हैरान कर दिया। अंबाला के संभालकी गांव का निवासी 21 वर्षीय विक्रम अंबाला छावनी के एक होटल में वेटर का काम करता है। वेटर का काम करते-करते ही उसने इंजीनियरों को भी मात दे दिया। सालभर में अपनी इलेक्ट्रिक बाइक भी तैयार कर डाली।

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10 रुपये 80 किमी का सफर

इस बाइक पर करीब 56 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं और करीब 2-3 हजार रुपये और खर्चे का अनुमान है। बाइक डेढ़ यूनिट में 80 किलोमीटर 80 की स्पीड से चल सकती है। इस तरह करीब 10-11 रुपये में 80 किलोमीटर का सफर इस बाइक के जरिए तय कर सकते हैं। इस बाइक को लेकर वह वीरवार को अपनी आइटीआइ में पहुंचा था और अपने आइडिया से प्रिसिपल भूपेंद्र सिंह सांगवान व स्टाफ को अवगत करवाया।

जोश और जनून ने बनाया दिया इंजीनियर

दरअसल विक्रम के पिता श्याम लाल मजदूरी करते हैं, मां गृहिणी हैं। छोटा भाई 10वीं में पढ़ रहा है। 2019 में आइटीआइ अंबाला शहर प्लास्टिक प्रोसेसिंग आपरेटर का कोर्स किया था। पढ़ाई के साथ-साथ शाम को वेटर का काम भी करता था। कोर्स करने के बाद इसके बाद गुरुग्राम में एक कंपनी में काम भी मिल गया। लेकिन वहां विक्रम की हालत खराब हो गई।

यूट्यूब से आया आइडिया

कई दिन बिस्तर से ही नहीं उठ सका। देखरेख के लिए कोई नहीं था तो अंबाला अपने घर वापस आना पड़ा। काफी समय बाद स्वास्थ्य ठीक हुआ। इसके बाद मोहड़ा स्थित एक नामी कंपनी में मजदूरी शुरू कर दी। इसी बीच उसने यूट्यूब पर इलेक्ट्रिक बाइक बनाने का तरीका देखा और खुद की बाइक बनाने की ठान ली।

पहले मजदूरी कर जुटाए रुपये

मोहड़ा स्थित एक नामी कंपनी में काम करते हुए विक्रम ने करीब 25 हजार रुपये जुटाए लिए। इसके बाद यहां से नौकरी छोड़कर दोबारा से अंबाला छावनी स्थित होटल में वेटर का काम करने लगा। यहां वह शाम को आता था और उसे 300 रुपये मिल जाते थे। यहां पर उसने होटल मालिक से 20 हजार रुपये उधार मांगे। क्योंकि विक्रम पहले भी काम कर चुका था तो होटल संचालक ने रुपये दे दिए। इसके बाद 2 हजार रुपये में कबाड़ी से कंडम हो चुकी स्पलेंडर बाइक ली।

एक साल से तैयार कर रहा बाइक

आनलाइन ही उसने 26 हजार 700 रुपये में मोटर और कंट्रोलर मंगवाया। इसके अलावा करीब 22 हजार रुपये में खुद की बैटरी तैयार की। इसके लिए उसने सेल और बैटरी होल्डर मंगवाए। 23 सीरिज की लिथियम फास्फेट बैटरी बनाई। इसमें 1 सेल 3.2 वोल्टेज का है यानी 72 वोल्टेज की बैटरी तैयार की जोकि 24 एम्पियर की बनती है। इस बैटरी की 10 साल की सर्विस लाइफ है। बैटरी के अलावा 1700 रुपये का टायर डलवाया। पैसे की दिक्कत के चलते एक साल बाइक तैयार करने में लग गया। कुछ पैसे यार दोस्तों से भी उधार लिए।

थ्री स्पीड मोड बटन से चलती है बाइक

विक्रम द्वारा तैयार बाइक 3 स्पीड में चलती है। इसमें थ्री स्पीड बटन हैं। पहले बटन से 1 से 40 स्पीड़, दूसरे से 60 तक और दूसरे से 80 की स्पीड तक। इसमें गियर लगाने लगी जरूरत नहीं पड़ती। खास बात यह है कि बाइक की आवाज भी नहीं आती और बाइक साइकिल की तरह बिना आवाज के चलती है।

स्टार्टअप शुरू करने का सपना लेकिन बजट की दिक्कत

दैनिक जागरण संवाददाता से विशेष बातचीत में विक्रम ने बताया कि वह खुद का स्टार्टअप करना चाहता है लेकिन इसके लिए उसके पास टूल किट और मशीनें खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। साथ ही इस काम के लिए वर्कशाप की भी जरूरत है। इतना पैसा उसके पास नहीं है। यदि कहीं से मदद मिले तो वह अपनी खुद की बाइक तैयार कर सकता है।

अभी बाइक में यह काम है बाइक

विक्रम ने बताया कि अभी उसकी बाइक में बैटरी बाक्स लगना है। साइड कवर के साथ बाइक की पेंङ्क्षटग भी करवानी है। करीब 60 हजार रुपये में आसानी से बाइक तैयार की जा सकती है। एक बार बाइक तैयार करवाने के बाद 10 साल तक खर्च जीरो है या जो खर्च होगा वह थोड़ा बहुत बाइक की मेंटेनेंस पर होगा।

"विक्रम आइटीआइ का छात्र रहा है। लेकिन इस समय वह वेटर है क्योंकि गुरुग्राम की जिस कंपनी में वह आइटीआइ करने के बाद लगा था वहां वह बीमार पड़ गया था। अब उसने खुद की इलेक्ट्रिक बाइक तैयार की है। हम स्टार्टअप के तहत जैसे भी मदद संभव होगी उसकी करवाएंगे। विक्रम की मदद के लिए कंपनियों से भी बात की जाएगी।"

भूप्रिंद्र सिंह, प्रिंसिपल, आइटीआइ, अंबाला शहर


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