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Success Story: लोग नहीं चाहते थे बाक्‍सर बने, बेटी ने हार नहीं मानी, गोल्‍ड मेडल जीतकर दिया जवाब

अंबाला कैंट में एसडी कन्या महाविद्यालय स्कूल में पढ़ने वाली ज़ोया की बाक्सिंग में रुचि थी। लोगों ने परिवार वालों को मना किया। माता पिता ने भरोसा जताया तो ज़ोया ने रिंग में उतरकर प्रतिद्वंद्वी को नाकआउट कर गोल्‍ड मेडल जीता।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2022 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2022 07:18 PM (IST)
Success Story: लोग नहीं चाहते थे बाक्‍सर बने, बेटी ने हार नहीं मानी, गोल्‍ड मेडल जीतकर दिया जवाब
हरियाणा अंबाला की रहने वाली बाक्‍सर ज़ोया।

अंबाला, जागरण संवाददाता। बेशक उम्र अभी छोटी है, लेकिन हौसले बुलंद हैं। बाक्सिंग रिंग में आते ही टारगेट सिर्फ जीत ही है। महज तेरह साल की उम्र में तीन मेडल जीत चुकी हैं, जिनमें से दो नाकआउट और एक अंकों के आधार पर जीते हैं। सपना देश की दिग्गज बाक्सर मैरी काम जैसी खिलाड़ी बनने का है। इसी सफर पर अपने कदम को आगे बढ़ा चुकी ज़ोया अब पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहती।

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पिता पेंट का काम करते हैं, जबकि मां गृहणी है। लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन माता-पिता ने किसी की नहीं सुनी और बेटी को बाक्सिंग रिंग में उतार दिया।

ज़ोया ने बताया कि करीब एक साल पहले उन्होंने अपने माता-पिता के सामने इच्छा रखी थी कि वह बाक्सिंग के खेल में आना चाहती है। मां ने ज़ोया के पिता के साथ बात की। एक समुदाय विशेष के इस परिवार ने फैसला ले लिया कि वे अपनी बेटी के सपनों को उड़ान देंगे। उन्होंने बेटी को बाक्सिंग के खेल में आने की इजाजत दे दी।

परिवार ने तो इजाजत दे दी, लेकिन कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि बेटी को क्यों खेल के मैदान में उतार रहे हो। लेकिन स्वजनों ने किसी की नहीं सुनी और नौ माह पहले उसे खेल विभाग के तहत बाक्सिंग कोच संजय के पास कोचिंग के लिए भेज दिया। नौ महीने में ज़ोया ने वह कर दिखाया, जिसके लिए रिंग में बाक्सिंग ग्लव्ज़ डालकर रिंग में उतरी थीं।

तीन प्रतियोगिताओं के फाइनल में पहुंची और जीत हासिल की। ज़ोया ने एक कांस्य पदक सहित दो गोल्ड मेडल जीत लिए। दो फाइनल तो नाकआउट के आधार पर जीते, जबकि एक में अंकों के आधार पर जीत मिली।

ज़ोया ने कहा कि बाक्सिंग के खेल में उतरने का मकसद यही है कि इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचना है। इसके लिए तैयारी कर दी है और परिवार ने भी पूरा साथ दिया है। माता-पिता का कहना है कि करिंग में उतरने से पहले ही जीत का इरादा होना चाहिए, फिर चाहे प्रतिद्वंद्वी चाहे कोई भी हो। जीत का यही मंत्र लेकर रिंग में उतरती हैं और जीत हासिल करती हैं। उन्हाेंने कहा कि उसका सपना है कि वह इंटरनेशनल लेवल पर खेलना है। वह मैरीकाम जैसी बाक्सर बनना चाहती हैं।


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