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फ्रांस से राफेल को अंबाला ला रहे जांबाजों में कुंजपुरा का छात्र भी, जानें कौन हैं विंग कमांडर मनीष

फ्रांस से अंबाला एयरबेस तक राफेल ला रहे वायुसेना के जांबाजों में शामिल विंग कमांडर मनीष कुमार करनाल के कुंजपुरा सैनिक स्‍कूल के छात्र रहे हैं। जानें मनीष के बारे में खास बातें।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 12:20 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 12:32 PM (IST)
फ्रांस से राफेल को अंबाला ला रहे जांबाजों में कुंजपुरा का छात्र भी, जानें कौन हैं विंग कमांडर मनीष
फ्रांस से राफेल को अंबाला ला रहे जांबाजों में कुंजपुरा का छात्र भी, जानें कौन हैं विंग कमांडर मनीष

करनाल, [अश्विनी शर्मा]। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर जो पांच लड़ाकू राफेल विमान आज पहुंच रहे हैं उन्‍हें लाने वालों में एक को करनाल के सैनिक स्कूल कुंजपुरा के छात्र हैं। राफेल को फ्रांस से लाने वाले भारतीय वायुसेना के जांबाजों में विंग कमांडर मनीष कुमार लेकर आ रहे हैं। लिहाजा हरियाणा में दोहरी खुशी है। एक तो प्रदेश के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पांच राफेल आ रहे हैं और दूसरा प्रदेश में ही शिक्षा हासिल करने वाले मनीष कुमार इसे लेकर आ रहे हैं। मनीष मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बकवा गांव के रहने वाले हैं।

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सैनिक स्कूल कुंजपुरा में पढ़ाई के दौरान ही मनीष कुमार की मेधा का दिया जाने लगा था उदाहरण

मनीष कुमार ने 1993 में सैनिक स्कूल कुंजपुरा में दाखिला लिया था और वर्ष 2000 में पास आउट हुए थे। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर एनडीए की परीक्षा पास की और वायुसेना में भर्ती हुए। जैसे ही यह खबर मिली कि इस स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र मनीष कुमार राफेल लेकर अंबाला आ रहे हैं तो पूरेे स्कूल में खुशी की लहर दौड़ गई। शिक्षकों को फिर मनीष की याद आ गई। वे एक दूसरे को फोन कर और वाट्सएप संदेश भेजकर बधाई देने लगे।

हिंदी मीडियम से आकर अंग्रेजी मीडियम में दिखाई उड़ान

मनीष कुमार सैनिक स्कूल कुंजपुरा में दाखिल होने से पहले हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ते थे, जबकि यहां पूरा पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में था। कई बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे। यहीं से मनीष ने अपनी उड़ान शुरू कर दी थी। वह बहुत कम दिनों में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगे थे।

आहिस्ता-आहिस्ता करके वह पढ़ाई, खेल व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में आगे बढ़ते चले गए। तत्कालीन प्रिंसिपल कमांडर वीके वर्मा छात्रों को मनीष का उदाहरण देते हुए कहते थे कि सीखने की जिद ठान ली जाए तो फिर कुछ भी किया जा सकता है। यह बात मनीष को देखकर समझी जा सकती है।

 

शिक्षकों के थे चहेते

मनीष कुमार अपनी प्रतिभा की वजह से शिक्षकों के चहेता रहे। गणित के शिक्षक बैद्यनाथ झा कहते हैं कि मनीष ऐसे छात्र थे, जिनसे सभी शिक्षक परिचित थे। अमूमन 80 छात्रों के बैच में सभी छात्रों को याद रखना मुश्किल हो जाता है। लेकिन मनीष को वह शिक्षक भी जानते थे, जो उनको पढ़ाते भी नहीं थे। शारीरिक शिक्षा के अध्यापक अजय गनोत्रा का कहना है कि मनीष बॉक्सिंग खेलना पसंद करते थे। वह एक आज्ञाकारी छात्र थे। वह हर कार्य को अग्रणी होकर करने में विश्वास रखते थे।

स्ट्राकिंग फाइटर पायलट हैं मनीष

मनीष कुमार राफेल से पहले जगुआर के फाइटर पायलट रहे हैं और एयरफोर्स के स्ट्राकिंग फाइटर पायलट हैं। उनकी काबिलियत को देखते हुए ही उन्हें राफेल की कमान सौंपी गई है।

मनीष के पिता भी सेना से रिटायर्ड

विंग कमांडर मनीष मूल रूप से बलिया जिले के बकवा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता मदन सिंह सेना में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। पढ़ाई के समय प्रश्नोत्तरी व बॉक्सिंग में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा था। एनडीए के परीक्षा परिणाम में पूरे भारत में तीसरे स्थान पर रहे थे।


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