जांच से कमियों का पता लगा, पूर्ति करने पर बढ़ी पैदावार
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों के लिए सार्थक साबित हुआ है।
जागरण संवाददाता, समालखा:
मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों के लिए सार्थक साबित हुआ है। इससे न केवल किसान खेत की मिट्टी में कमियों को जान पा रहे हैं, बल्कि उसे पूरा कर अपनी आमदनी को भी बढ़ा रहे हैं। जिले के गांव जाटल निवासी किसान सतपाल सिंह और रमेश ने मृदा की जांच करा जरूरत के हिसाब से खाद का प्रयोग किया। खर्च कम होने के साथ उनकी आमदनी भी बढ़ गई। अब वो धान और गेहूं की फसल पर हर सीजन में अच्छी बचत कर रहे हैं। ऐसे बढ़ी आमदनी
किसान सतपाल सिंह ने बताया कि वह 15 सालों से खेती कर रहा है। हाल में भी दस एकड़ में गन्ने और दस में गेहूं की बिजाई की हुई है। दोनों फसल में अंधाधुंध यूरिया और डीएपी खाद डालता था। साल भर पहले मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाने पर पता चला की खेत को यूरिया और डीएपी खाद की जरूरत नहीं के बराबर है। उसने सीधे आधा कम कर दिया तो एक सीजन में करीब 15 हजार रुपये तक खाद खर्च कम हो गया। साथ ही पैदावार में एक से डेढ़ क्विंटल तक बढ़ोतरी हुई तो उससे भी 50 हजार से ऊपर की आमदनी बढ़ गई। आधा कर दिया खाद डालना
किसान रमेश ने बताया कि करीब चार एकड़ में खेती करता हूं। डेढ़ साल पहले मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया। उसमें पता चला की खेत में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक है। उसके बाद से यूरिया न के बराबर डालना शुरू कर दिया तो फायदा ही फायदा हुआ। उसने बताया कि प्रति एकड़ दो बैग यूरिया खाद का खर्च कम हो गया। वहीं धान की पैदावार जहां पहले 18 क्विंटल तक होती थी, वो 22 क्विटल तक जा पहुंची। ऐसे में प्रति एकड़ 10 हजार से ज्यादा की आमदनी बढ़ गई। साथ में फसल में आने वाली बीमारियों से भी पीछा छूट गया।