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पानीपत में दिल दहलाने वाला खौफनाक मंजर, सांडों ने बुजुर्ग को सीगों से उठाकर पटक-पटक मार डाला

पानीपत के काबड़ी में सांडों लड़ रहे थे। काबड़ी गांव में पत्नी के साथ किराये पर रहने वाले बुजुर्ग किसी काम से निकले थे। इनकी कोई संतान नहीं है। सांडों ने सींगों से उठाकर मार डाला। इसी एरिया में पहले भी हो चुकी ऐसी घटना।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 11:16 PM (IST)
पानीपत में दिल दहलाने वाला खौफनाक मंजर, सांडों ने बुजुर्ग को सीगों से उठाकर पटक-पटक मार डाला
काबड़ी गांव में बुजुर्ग को सांड ने मार डाला।

पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत में बेसहारा सांड अब लोगों की जान लेने लगे हैं। शहर से लेकर गांव तक इनकी वजह से हादसे हो रहे हैं। काबड़ी क्षेत्र में इनका आतंक बढ़ गया है। दो सांड आपस में भिड़ गए। इसी बीच, वहां से एक बुजुर्ग निकल रहे थे। सांड उनकी तरफ दौड़ पड़े। सींगों से पटक-पटक कर उन्हें मार डाला। उनके कान व मुंह से खून बह निकला था। उन्हें बचाया नहीं जा सका। मामला काबड़ी गांव का है। इसी एरिया में कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग की सांड की वजह से मौत हो गई थी।

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पानीपत में काबड़ी में रामचंद्र पत्नी के साथ किराये पर रहते थे। मूल रूप से सोनीपत के रहने वाले हैं। बीस वर्ष पहले काबड़ी में आ गए थे। इनकी कोई संतान नहीं है। दोनों पति-पत्नी पेंशन की राशि से गुजारा करते थे। बुजुर्ग 80 वर्षीय रामचंद्र किसी काम से बाहर निकले थे। बाहर ही सांड आपस में भिड़े हुए थे। एक-दूसरे से इनके सिंग भिड़े हुए थे। रामचंद्र को लगा कि उन्हें कुछ नहीं कहेंगे। तभी सांड दौड़ते हुए उनकी तरफ ही आ गए। उन्हें सिंगों से कुचल दिया।

बचाया नहीं जा सका

आसपास खड़े लोगों ने रामचंद्र को लहूलुहान देखा तो किसी तरह सांडों को वहां से दूर किया। सांडों पर पानी बरसाया गया। रामचंद्र को तुरंत सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां से उन्हें खानपुर मेडिकल रेफर किया गया। हालत अधिक खराब थी। उन्हें एनसी मेडिकल कालेज ले जाया गया। पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।

कुलदीप नगर में हो चुकी मौत

काबड़ी एरिया में बुजुर्ग मौजीराम की इसी तरह मौत हो चुकी है। उन्हें सांड ने पटक-पटक कर मार डाला था। इससे पहले सौंधापुर में एक बुजुर्ग को सांड ने पटका। नगर निगम गोवंशी पकड़ तो रही है लेकिन इनकी संख्या इतनी अधिक है कि इन्हें गोशाला तक पहुंचाते-पहुंचाते छह महीने से साल तक का समय लग जाएगा। तब तक हादसे होते रहेंगे। युद्धस्तरीय अभियान चलाकर ही लोगों को बचाया जा सकता है।


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