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17 को आढ़तियों को सरकार से जवाब का इंतजार, 18 को हरियाणा में राज्‍यव्‍यापी हड़ताल

सरकार के खिलाफ आ‍ढ़तियों ने विरोध शुरू कर दिया है। 17 तक सरकार के जवाब का इंतजार है। आढ़ती पूरे हरियाणा में 18 को राज्‍यव्‍यापी हड़ताल शुरू कर देंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 07:25 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 07:25 PM (IST)
17 को आढ़तियों को सरकार से जवाब का इंतजार, 18 को हरियाणा में राज्‍यव्‍यापी हड़ताल
17 को आढ़तियों को सरकार से जवाब का इंतजार, 18 को हरियाणा में राज्‍यव्‍यापी हड़ताल

पानीपत/कैथल, [पंकज आत्रेय]। तीन अध्यादेशों, लस्टर लोस और आढ़त की राशि नहीं देने के विरोध में आढ़तियों ने 18 सितंबर से राज्यव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान कर रखा है। सरकार को इससे पहले पांच दिन का समय दिया गया था।

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चेतावनी दी थी कि यदि 17 सितंबर तक उनकी यह तीनों मांगें नहीं मानी गईं तो इस सीजन में प्रदेश की किसी भी मंडी में खरीद नहीं होगी। इसके साथ ही प्रदेश के राइस मिलर्स और निर्यातकों ने भी मंडी से चार प्रतिशत टैक्स के साथ धान खरीदने से मना कर दिया है। अभी तक 1338 मिलर्स में से किसी ने भी पंजीकरण नहीं कराया है। उनका कहना है कि पंजाब में जब मंडी टैक्स एक प्रतिशत हो सकता है तो हरियाणा में चार प्रतिशत क्‍यों। सरकारी अनाज मंडियों का बहिष्कार कर निर्यातकों ने अपनी मंडी बनाने का भी विचार शुरु कर दिया है।

चावल निर्यातक संघ के वरिष्ठ सदस्य नरेंद्र मिगलानी ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को ज्ञापन देकर मांग की है कि चार प्रतिशत की मार्केट फीस को खत्म किया जाए। किसानों के भुगतान के लिए 72 घंटे की बजाय एक हफ्ते का समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार ने खुद अपनी एजेंसियों को 15 दिन का समय दिया हुआ है। मिगलानी ने कहा कि मिलर्स और निर्यातकों ने इस बार तय किया है कि चार प्रतिशत का टैक्स नहीं देना है। टैक्स देकर निर्यातक संभव ही नहीं होगा।

नहीं खरीदेंगे एक भी दाना

हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के कार्यकारी प्रधान रजनीश चौधरी ने बताया कि चार दिन बीत जाने पर भी उनके पास सरकार की ओर से वार्ता के लिए कोई न्योता नहीं आया है। इससे साफ है कि सरकार उनसे बात नहीं करना चाहती। चौधरी ने कहा कि दो दिन के इंतजार के बाद वे अपने निर्धारित एलान के अनुसार हड़ताल कर देंगे। इस लड़ाई में अब आढ़तियों के साथ राइस मिलर्स एसोसिएशन भी आ गई है। हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अमरजीत छाबड़ा ने बताया कि वे सरकार के निर्णय के खिलाफ हड़ताल पर चल रहे हैं। किसी भी मिलर ने इस बार अभी तक पंजीकरण नहीं कराया है। लिहाजा वे परमल धान नहीं खरीदेंगे।

लस्टर लॉस का 160 करोड़ बकाया

आढ़तियों का कहना है कि प्रदेश सरकार की तरफ आढ़तियों के लस्टर लोस के 160 करोड़ रुपये लंबित हैं। आढ़त पर 42 करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज है। जब तक सरकार उनके एक-एक पैसे का भुगतान नहीं कर देती, किसी भी स्तर पर कोई बातचीत नहीं होगी। शुक्रवार से प्रदेश की सभी मंडियां अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी जाएंगी।

राइस मिलर्स का एेलान, धान खरीद से पहले चाहिए समाधान

हरियाणा प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता चेयरमैन अमरजीत छाबड़ा ने की। बैठक में मिलर्स की मांगों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। छाबड़ा ने बताया कि हाल ही में कुरुक्षेत्र में प्रदेश की दोनों राइस मिल एसोसिएशन की संयुक्त मीटिंग करके एक मंच तैयार किया। सभी मिलर्स ने कस्टम मिलिंग राइस (सीएमआर) पॉलिसी के लिए कई मुख्य मुद्दों पर सहमति बनाई। फैसला लिया गया कि जब तक इन मुद्दों को सरकार नहीं मानती, तब तक कोई भी मिलर न तो रजिस्ट्रेशन करवाएगा और न ही सीएमआर का काम करेगा। उनकी मांगों में वर्ष 2019-20 के सीएमआर के रुके बिलों का भुगतान करने, कोरोना के चलते कई कारणों से रुके चावल पर लगाया होल्डिंग चार्ज वापस करने, एफडी की शर्त कम करके पहले टन पर सात लाख रुपये और उसके बाद तीन लाख प्रति टन करने, धान के बदले कोई प्रॉपर्टी गिरवी नहीं रखने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

सरकार चोर कहती है

बैठक में मिलर्स राजेंद्र सिंह, रमेश चंद्र, सचिन मित्तल, प्रवीण बंसल, अमरजीत चीका, सतीश कंसल, सुशील गुप्ता, महिंद्र गर्ग, ओम प्रकाश जैन, अंकित मिगलानी, रमेश सिंधवानी, जय भगवान, महावीर सिंगला, तरसेम गर्ग, नरेश होडल, प्रवीण बटार खिजराबाद, अशोक काला नारायणगढ़ ने कहा कि पीवीआर के नाम पर 10 से 20 गाड़ियों उनके मिलों में आती हैंं और प्रताड़ित किया जाता है। सरकार उन्हें चोर कहती है, जबकि वे सम्मानजनक तरीके से कारोबार करते हुए लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मंडियों से खुद 17 प्रतिशत की नमी वाला धान खरीदकर उन तक पहुंचाए।

चावल ले लो पैसे मत काटो

सचिन मित्तल ने कहा कि दो साल से उनके कैरेट तक का किराया सरकार ने नहीं दिया है। उनकी मांग है कि 18 रुपये प्रति कैरेट प्रति माह का किराया किया जाए। नमी कट के नाम पर उनके पैसे न काटें। वे इसकी एवज में चावल देने को तैयार हैं। फिजिकल वेरिफिकेशन में ही धान की नमी चेक हो और सूख तीन प्रतिशत तक वैध की जाए। उनके मिलिंग के रेट आज भी 10 रुपये ही हैं, इसे बढ़ाकर प्रति क्विंटल 100 रुपये किए जाएं। मिलर्स ने कहा कि जो मंडियां बॉर्डर पर हैं, उनके साथ लगते दूसरे राज्यों के किसानों का रजिस्ट्रेशन हरियाणा के किसानों के साथ ही शुरु होना चाहिए। कोरोना के मद्देनजर इस बार सीएमआर का समय 30 सितंबर 2021 निर्धारित हो।


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