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पोक्सो केसों में एक माह में दर्ज हो बयान

जला न्यायावादी राजेश चौधरी ने भी पानीपत की पोक्सो कोर्ट के सरकारी वकील सहायक जिला न्यायवादी को इस बाबत पत्र जारी किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 06:14 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 06:14 AM (IST)
पोक्सो केसों में एक माह में दर्ज हो बयान
पोक्सो केसों में एक माह में दर्ज हो बयान

जागरण संवाददाता, पानीपत : पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश अरविद सिंह सांगवान ने सभी जिलों के न्यायवादी को आदेश दिए हैं कि पोक्सो के केसों में पीड़िता और मुख्य गवाह के बयान एक माह (केस में चार्ज लगने के बाद)के भीतर होने चाहिए। न्यायाधीश ने मॉडल टाउन, पानीपत के एक केस में संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किया है।

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उधर, जिला न्यायावादी राजेश चौधरी ने भी पानीपत की पोक्सो कोर्ट के सरकारी वकील, सहायक जिला न्यायवादी को इस बाबत पत्र जारी किया है। दरअसल,पीड़िता की शिकायत पर थाना मॉडल टाउन में 22 मई 2019 को आरोपित सन्नी के विरुद्ध 506 आइपीसी और पोक्सो एक्ट की धारा-छह के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

19 मई, 2019 से आरोपित जेल में था। केस अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमित गर्ग की कोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस ने पीड़िता, उसकी मां सहित 18 लोगों को गवाह बनाया हुआ है। इस केस में 15 लोगों की गवाही हो चुकी थी, पीड़िता व उसकी मां की नहीं हुई थी। आरोपित ने रेगुलर जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई थी। आरोपित के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि लंबा समय बीतने के बावजूद पीड़िता, उसकी मां की एडीजे कोर्ट में गवाही नहीं हो सकी है। हाई कोर्ट के जज अरविद सिंह सांगवान ने एसपी को आदेश दिए थे कि पांच मार्च 2021 को पीड़िता व उसकी मां को कोर्ट में पेश करें।

जिला न्यायवादी को निर्देश थे कि मां-बेटी के बयान कराए जाएं। आरोपित के वकील राकेश गुर्जर व अनिल रावल ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने पांच मार्च को पीड़िता, उसकी मां को कोर्ट में पेश कर बयान करा दिए थे। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमित गर्ग की कोर्ट से आरोपित को जमानत मिल गई है। एक माह में गवाही का प्रविधान

जिला न्यायवादी राजेश चौधरी ने बताया कि जिले में पोक्सो के केसों की सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट बनी हुई है। उसके सरकारी वकील सुरेंद्र दहिया है। पीड़िता या गवाह की गवाही नहीं होने पर कोर्ट समन जारी करती है। पुलिस समन पहुंचाती है और पीड़िता-गवाह को कोर्ट में पेश करती है। केस चार्ज पर आने के बाद एक माह में गवाही का पहले से प्रविधान है। हाई कोर्ट के आदेश पर दोबारा पत्र जारी कर दिया है। उक्त केस में पीड़िता व उसकी मां 22 मई 2019 को पेश हुए थे, इसके बाद नहीं। कोर्ट ने वारंट भी जारी किए थे। मां-बेटी दूसरी बार पांच मार्च 2021 को पेश हुई हैं।


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