खेलमंत्री संदीप सिंह की चेतावनी, कोच सुधार लें कार्यप्रणाली, हत्थे चढ़े तो नहीं बचेंगे Panipat News
जींद में खेल मंत्री संदीप सिंह पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि कोच सुधार लें कार्यप्रणाली फ्लाइंग टीम के हत्थे चढ़े तो बचेंगे नहीं।
पानीपत/जींद, जेएनएन। खेल राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा कि जो कोच खिलाडिय़ों को समय पर और सही कोचिंग नहीं दे रहे हैं, वह अपनी कार्यप्रणाली में सुधार कर लें। कोचिंग में लापरवाही बरतने पर कोई भी कोच उनकी फ्लाइंग टीम के हत्थे चढ़ गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। खिलाडिय़ों के भविष्य के लिए वह कुछ भी कर सकते हैं।
किनाना के पास स्थित इंडस ग्लोबल एकेडमी में स्व. मित्रसेन आर्य की 89वीं जयंती के उपलक्ष्य में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे खेल मंत्री ने कहा कि अभी वह सभी जिलों से खेल सुविधाओं की रिपोर्ट ले रहे हैं। उनका सीधा लक्ष्य है कि हर खेल के खिलाडिय़ों को बेहतर सुविधाएं मिलें और राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीत सकें। खेल मंत्री ने कहा कि जींद में खेल सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। युवाओं को पूरी लग्न और निष्ठा से अपने अपने खेल में मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने खेल स्टेडियम की बजाय खेल नर्सरी पर ज्यादा जोर दिया। इस मौके पर उनके साथ पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा, चरखी दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान भी मौजूद रहे।
स्वीमिंग पूल और खेल स्टेडियम के बारे में डीएसओ से मांगी रिपोर्ट
हुडा के सेक्टर-9 में बनाया गया स्वीमिंग पूल डेडलाइन बीत जाने के दो साल बाद भी खेल विभाग के अधीन नहीं किया गया और एकलव्य स्टेडियम भी अभी तक खेल विभाग के अधीन नहीं हो पाया है। दैनिक जागरण ने स्वीमिंग पूल और खेल स्टेडियम का मुद्दा उठाया था। उसके बाद खेल विभाग भी हरकत में आया था। रविवार को खेल मंत्री से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिला खेल अधिकारी से स्वीमिंग पूल, एकलव्य स्टेडियम संबंधी स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है। जिला मुख्यालय पर हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ मैदान, सिंथेट्रिक ट्रैक और अन्य सुविधाएं न होने के बारे में खेल राज्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में भी वह जिला खेल अधिकारी के साथ मीङ्क्षटग करेंगे। यहां खिलाडिय़ों की संख्या और जरूरत का आकलन किया जाएगा। जरूरत हुई तो सिंथेटिक ट्रैक भी जरूर बिछाएंगे।
स्टेडियम के बजाय ट्रेनिंग सेंटर पर रहेगा जोर
खेल मंत्री ने कहा कि स्टेडियम वहां बनाए जाते हैं, जहां टूर्नामेंट ज्यादा होते हैं। ट्रेनिंग सेंटर वहां बनाए जाते हैं, जहां खिलाडिय़ों को तराशना होता है। हमारा जोर स्टेडियम के बजाय ट्रेनिंग सेंटर बनाने पर रहेगा।