अच्छी तरह से जीवन जीने के लिए अध्यात्म बल जरूरी : स्वामी ज्ञानानंद
अर्जुन पूछता है ब्रह्म क्या है अध्यात्म क्या है। भगवान ने कहा कि अध्यात्म तो तेरा स्वरूप है तेरा स्वभाव है। अर्जुन जैसा निष्ठा पारायण श्रोता ही अध्यात्म है और कृष्ण जैसा प्रवक्ता ही ब्रह्म है। मन की समता का नाम योग है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि जीवन सबसे अनमोल है। जीवन में सब कुछ मिल सकता है, परंतु सब कुछ देकर भी जीवन नहीं मिल सकता। कुछ ऐसा साधन बनाना चाहिए कि यह जीवन अच्छी तरह जी सकें। उसके लिए अध्यात्म बल जरूरी है। वह श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा सेक्टर 24 स्थित एमजेआर स्कूल के ग्राउंड में आयोजित चार दिवसीय दिव्य ज्ञान सत्संग में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अर्जुन पूछता है ब्रह्म क्या है, अध्यात्म क्या है। भगवान ने कहा कि अध्यात्म तो तेरा स्वरूप है, तेरा स्वभाव है। अर्जुन जैसा निष्ठा पारायण श्रोता ही अध्यात्म है और कृष्ण जैसा प्रवक्ता ही ब्रह्म है। मन की समता का नाम योग है। प्रतिकूल स्थितियों में दुख न हो, उद्वेग न हो, अनुकूल स्थिति में प्रसन्नता न हो, अहम न हो, मन सम रहे वही स्थितप्रज्ञ की स्थिति है। तनाव इसी बात से शुरू होता है कि यह बात मेरे अनुकूल नहीं। किसी डाक्टर के पास भी तनाव की दवाई नहीं है। भगवत गीता वो ग्रंथ है, जिसका पहला अध्याय ही विषाद योग है यानि तनाव ग्रस्त अर्जुन। विषाद को दूर करने के उपाय भी गीता में ही श्री कृष्ण ने बताए हैं। गीता ज्ञान के अद्भुत श्लोक जीवन को सुखमय जीने का माध्यम हैं।
दिव्य गीता ज्ञान सत्संग (स्थितप्रज्ञ दर्शन) कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्य अतिथि कांता देवी महाराज, सांसद संजय की पत्नी अंजू भाटिया, गो सेवा आयोग चेयरमैन श्रवण गर्ग, डीसी धर्मेद्र की पत्नी सुमन, अनिल सर्राफ, ओम प्रकाश माटा, चंदन विज, हरिओम तायल ने दीप प्रज्वलित किया। गीता पूजन शहर में डा. अनिल गुप्ता, डा. अर्चना गुप्ता, रमेश माटा, प्रदीप चौधरी, श्रीभगवान अग्रवाल, निरंजन पराशर, वेद पाराशर, ललित गोयल, सुनील ग्रोवर, प्रीतम गुर्जर, वीरेंद्र सोनी शामिल रहे।