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International Day of Disabled Persons 2019: कभी खुद को काटते थे, दूसरों को पीटते थे, अब लोग तारीफ करते नहीं थकते

International Day of Disabled Persons 2019 अंकुर दिव्यांग शिक्षण संस्थान मानसिक व मूकबधिर बच्चों की जिंदगी में रस घोल रहा। बच्चों को इस काबिल बना रहे ताकि दूसरों पर निर्भर न हों।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 12:37 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 12:40 PM (IST)
International Day of Disabled Persons 2019: कभी खुद को काटते थे, दूसरों को पीटते थे, अब लोग तारीफ करते नहीं थकते
International Day of Disabled Persons 2019: कभी खुद को काटते थे, दूसरों को पीटते थे, अब लोग तारीफ करते नहीं थकते

पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। International Day of Disabled Persons 2019 मानसिक रूप से दिव्यांग अनुज की उम्र अब 22 साल हो चुकी है। पांच साल पहले वह बहुत गुस्सैल था। खुद को भी काट लेता था। सामने वालों के साथ मारपीट करता था। चीजें भी फेंक देता था। बड़ों का कहना भी नहीं मानता था। अब वह ऐसा नहीं है। कोई बाहर का आदमी दिखते ही अनुज उसके पैर छूता है। सबके साथ शांति से रहता है। उसमें यह सब बदलाव आया है अंकुर मानसिक दिव्यांग शिक्षण संस्थान में आने के बाद। अनुज ही नहीं, उस जैसे काफी बच्चों की जिंदगी में रस घोल रहा है अंकुर संस्थान।

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अर्बन एस्टेट में जींद सेंट्रल जेसीज एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित अंकुर दिव्यांग संस्थान की शुरुआत 2007 में दो बच्चों के साथ हुई थी। अब यहां करीब 80 बच्चे आते हैं। इनमें 50 मानसिक दिव्यांग और 30 मूकबधिर हैं।

प्रिंसिपल ममता शर्मा बताती हैं कि काफी बच्चे तो 10 साल से आ रहे हैं। इन बच्चों में काफी सुधार हुआ है। स्कूल में तीन स्तर पर बच्चों का विकास किया जा रहा है। पहले स्तर पर बच्चों की ग्रूमिंग इस तरह की जा रही है कि वे दूसरों पर निर्भर न हों। खुद कपड़े पहन सकें और बटन बंद कर सकें। ठीक तरीके से बाथरूम जा सकें। शिक्षा के स्तर पर खुद का नाम बोलना व लिखना सिखाया जा रहा है। माता-पिता का नाम, घर का फोन नंबर बता सकें, यह भी सिखाया जाता है।

बच्चे खुद को समाज में ढाल सकें, इसके लिए बताया जाता है कि घर में कोई मेहमान आए तो उसके सामने ठीक व्यवहार करें। स्कूल या घर में अतिथियों के हाथ जोड़कर नमस्ते करें। पैर छूकर आशीर्वाद लें। दुख के समय हंसें नहीं और खुशी के मौके पर खूब मस्ती करें। इन बच्चों पर मेहनत कर रहे स्पेशल टीचर विशाल कौशिक, हरीश कुमार, जयकुंवर, साहिल, परमीत, रेणु, सोनिका, किरण, प्रीति, सुमन व ज्योति कहती हैं कि ये बच्चे तो भगवान का रूप हैं। इनको हर बात प्यार से समझानी पड़ती है।

International Day of Disabled Persons 

अब दूसरों को हैंडल करने लगा है वीरभान

मानसिक दिव्यांग 19 वर्षीय वीरभान 9 साल पहले अंकुर स्कूल में आया था। तब वह टिकता नहीं था और भाग जाता था। दूसरे बच्चों से मारपीट करता था। किसी की सुनता भी नहीं था। अब वह सबका कहना मानता है। पैदल या साइकिल से स्कूल आ जाता है। बस में दूसरे बच्चों को हैंडल करता है। उसके हाव-भाव देखकर कोई उसे मानसिक दिव्यांग नहीं कह सकता।

 International Day of Disabled Persons

प्रियंका नाम नहीं बता सकती थी, अब 10वीं पास

मूकबधिर प्रियंका की उम्र 19 साल है। न व बोल सकती है न सुन सकती है। वह 9 साल से अंकुर स्थान में आ रही है। पहले उसे सांकेतिक भाषा का ज्ञान नहीं था। अपना नाम भी नहीं बता सकती थी। शैक्षणिक व सामाजिक कौशल जीरो था। अब वह ओपन से दसवीं पास कर गई है। बाल भवन की डांस व पेंटिंग प्रतियोगिताओं में कई बार इनाम जीते हैं। 

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समीक्षा पहले बोलती नहीं थी, अब जीत रही पदक

मानसिक दिव्यांग 10 साल की समीक्षा पहले कुछ बोलती भी नहीं थी। हमेशा चुप रहती थी। जब बोलती थी तो गुस्सा ज्यादा रहता था। अब तीन साल से अंकुर संस्थान में आने के बाद वह पापा सहित कुछ शब्द बोलने लग गई है। बाल भवन की ओर से पेंङ्क्षटग प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया। स्कूल की ओर से डांस प्रतियोगिताओं में भी भाग लेती है।

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माता-पिता का सहयोग बढ़े तो आए ज्यादा सुधार

अंकुर संस्थान की प्रिंसिपल ममता शर्मा कहती हैं कि जितने बच्चे यहां आ रहे हैं, उनमें काफी सुधार हो रहा है। माता-पिता का सहयोग और ज्यादा मिल जाए तो काफी पड़ सकता है। कुछ माता-पिता ही ऐसे हैं, जो इन बच्चों की गंभीरता से देखभाल करते हैं। 


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