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खेत की सेहत सुधरने के साथ बढ़ी किसान की आमदनी

पांच साल पहले भारत सरकार द्वारा शुरु की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। स्वास्थ्य कार्ड से खेत की सेहत सुधरने के साथ किसान की आमदनी भी बढ़ी है। जांच के दौरान जिले के खेतों की मिट्टी में क्षारता व सूक्ष्म तत्वों की कमी पाई गई है। किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के बाद मिली कमी को दूर करने के हिसाब से चीज का प्रयोग किया तो फायदा मिला। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार की तरफ से 19 फरवरी 2015 में शुरु की गई थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:31 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:31 AM (IST)
खेत की सेहत सुधरने के साथ बढ़ी किसान की आमदनी
खेत की सेहत सुधरने के साथ बढ़ी किसान की आमदनी

जागरण संवाददाता, समालखा :

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पांच साल पहले भारत सरकार द्वारा शुरु की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। स्वास्थ्य कार्ड से खेत की सेहत सुधरने के साथ किसान की आमदनी भी बढ़ी है। जांच के दौरान जिले के खेतों की मिट्टी में क्षरता व सूक्ष्म तत्वों की कमी पाई गई है। किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के बाद मिली कमी को दूर करने के हिसाब से चीज का प्रयोग किया तो फायदा मिला। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार की तरफ से 19 फरवरी 2015 में शुरु की गई थी। प्रति एकड़ बढ़ी डेढ़ क्विंटल की पैदावार

--फोटो संख्या -65

मनाना वासी किसान नरेंद्र ने बताया कि पहले वो ऐसे ही खेत में उर्वरक आदि चीजें डाल देते थे। लेकिन स्वायल हेल्थ कार्ड बनवाने के बाद उन्हें खेत की मिंट्टी में कमी बारे पता चला तो उसी दिन से उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से सलाह कर हर फसल में जरूरत के हिसाब से उर्वरक आदि चीज देना शुरु कर दिया। इससे न केवल उसकी प्रति एकड़ करीब डेढ़ क्विटल पैदावार बढ़ी, बल्कि उर्वरक की लागत भी घट गई। पहले प्रति एकड़ वो यूरिया के दो बैग खेत में डालता था, लेकिन अब एक भी मुश्किल से डालता है। इसी तरह डीएपी भी आधा कम कर दिया। कमी की कर पाते है पूर्ति

फोटो संख्या -65 ए

बुड़शाम वासी किसान अजीत सिंह ने बताया कि स्वायल हेल्थ कार्ड बहुत अच्छा चीज है। खेत की मिंट्टी के जांच के बाद मुझे कमी के बारे में पता चला। इसके बाद उसी हिसाब से उर्वरक आदि का फसल में प्रयोग करता आ रहा हूं। ऐसा करने से न केवल मेरे खेत की सेहत सुधरी, बल्कि आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई। उसने बताया कि प्रति एकड़ दो क्विंटल से ज्यादा पैदावार बढ़ी है। चाहे वो गेहूं की फसल हो या धान। साथ में खाद का प्रयोग भी उसी जरूरत के हिसाब से करने पर खर्च कम हुआ। सॉयल हेल्थ किसान की जरूरत --

खंड कृषि अधिकारी डॉ. जितेंद्र सरोहा ने कहा कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग जरूरत के हिसाब से न होने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बिगड़ जाती है। जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और अधिक पैदावार के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड किसान की आवश्यकता है। किसानों को मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के अनुसार खाद का प्रयोग करना चाहिए, ताकि सफल व टिकाऊ खेती हो सके।


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