सॉफ्टवेयर हैक कर एक करोड़ की हेराफेरी, बड़े-बड़े स्वर्णकार खा गए धोखा
करोड़ों का कारोबार करने वालों को हेराफेरी करके चपत लगाने में इनका कोई सानी नहीं है। जरा से ध्यान हटा, समझो लाखों का चूना लगा। धीरे-धीरे यह करोड़ों में बदला।
जेएनएन, पानीपत: करोड़ों का कारोबार करने वाले भी उसके दिमाग के आगे फेल हो गए। जरा सी चूक हुई और करोड़ों के नुकसान में आ गए। वह अकेला नहीं था, पूरी टीम के साथ सॉफ्टवेयर हैक करता और चपत लगाता। किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लग पाई। उसकी तरकीब भी ऐसी थी कि हर कोई उसके कारनामों को सुनने के लिए बेताब हुआ। जानिए आखिर ऐसा वह क्या करता था, पढि़ए ये रिपोर्ट...।
सॉफ्टवेयर को हैक कर ज्वैलर्स मनीष अग्रवाल के छह कारिंदों ने एक करोड़ रुपये की चपत लगा दी। करीब तीन साल तक ज्वैलर्स के यह कारिंदे षड्यंत्र के तहत यह चपत लगाते रहे। आरोपित पहले फर्जी ग्राहक दुकान पर भेजते और उधार में सोना ले जाते। इसके बाद इस उधार लिए सोने की एंट्री सोफ्टवेयर से डिलीट कर देते ताकि कारोबारी के पास उधार दिए गए सोने का कोई रिकार्ड ही न रहे। लेकिन जब नुकसान लगातार बढ़ता गया तो ज्वैलर्स को शक हो गया और छानबीन की गई तो बड़े फर्जीवाड़े से पर्दा उठ गया।
तोल और कारीगर के मेहनताना का लगता था टैग
बाल भवन अंबाला शहर होलसेल टेक्सटाइल मार्केट में स्थित मैसर्ज मनीष अग्रवाल ने बताया कि उनकी एसएस ज्वैलर्स की दुकान है। वह और उसके परिवार के सदस्य इसके पार्टनर हैं। वह सोने के आभूषण की खरीद-फरोख्त का काम लंबे समय से करते हैं। इसके अलावा सोने के आभूषण बनाने का काम भी करते हैं। जैसे ही सोने के आभूषण बनकर उसकी दुकान में आते हैं तो उन पर तोल व कारीगर की मेहनताना के मुताबिक टैग लगाया जाता था।
टीम बनाकर हैकर ने लगाया चूना
इस पर एक अनोखी पहचान भी लगाई जाती है। इसी अनोखी पहचान को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में दर्ज कर दिया जाता ताकि इसके हिसाब से ही आभूषण की खरीद-फरोख्त आसानी से की जा सके। यह सारा सिस्टम कंप्यूटर साफ्टवेयर आइ क्लाउड सिस्टम पर चलता था। दुकान पर काफी नौकर /एजेंट/अकाउंटेंट काम करते हैं जिनके पास खरीद-फरोख्त व साफ्टवेयर की सारी जानकारी थी। इसी का फायदा उठाकर रतनगढ़ अंबाला शहर निवासी अशीष यादव, कमल टेंट हाउस के नजदीक काजीवाड़ा में रहने वाले हर्ष सिंगला, राहुल पुरी, राम सिंह, राहुल शर्मा, मनी ने षड्यंत्र के तहत सॉफ्टवेयर को हैक किया और उसे करीब एक करोड़ की चपत लगाई।
एक करोड़ के ऊपर का हो सकता है आंकड़ा
यह आंकड़ा एक करोड़ से ऊपर का हो सकता है। पुलिस ने इन सभी पर केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। कारोबार बढऩे के साथ-साथ मुनाफा लगातार घटता जा रहा था। इसी कारण मुनीष व उसके पार्टनर को कुछ हेराफेरी का शक हुआ। इसके बाद उन्होंने माल की चेकिंग करनी शुरू कर दी। काफी आभूषण दुकान से गायब थे व कुछ आभूषण अपने असल तोल से कम।
ऐसे ले जाते थे सोना
आरोपित ऐसे फर्जी ग्राहक दुकान पर भेजते जो किसी न किसी कारिंदे का जानकार होता, इसीलिए उन्हें उधार पर दुकान से सोने के आभूषण या सोना मिल जाता था। उधार की एंट्री सोने के तोल के मुताबिक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सिस्टम में चढ़ जाती थी। इसके बाद साफ्टवेयर में से इस एंट्री को आरोपित या तो डिलीट कर देते थे या फिर कुल वजन को कम कर देते। इस तरह जो सोना गया या तो वह कम आता या आता ही नहीं था क्योंकि उसका कोई रिकार्ड ही नहीं होता था।