'ऑक्सीजन' बिना सिसकती एसएनसीयू, 20 फीसद नवजात किए जा रहे रेफर
सिविल अस्पताल की सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) मैनपावर और मशीनरी की कमी से सिसक रही है। एक जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 तक 949 नवजात भर्ती हुए 185 (लगभग 20 फीसद) को खानपुर मेडिकल या रोहतक पीजीआइ रेफर किया गया है। सही इलाज न मिलने का आरोप लगाते हुए 55 नवजातों को उनके परिजन दूसरे अस्पतालों में ले गए16 की मौत भी हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल की सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) मैनपावर और मशीनरी की कमी से सिसक रही है। एक जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 तक 949 नवजात भर्ती हुए, 185 (लगभग 20 फीसद) को खानपुर मेडिकल या रोहतक पीजीआइ रेफर किया गया है। सही इलाज न मिलने का आरोप लगाते हुए 55 नवजातों को उनके परिजन दूसरे अस्पतालों में ले गए,16 की मौत भी हो चुकी है।
फिजिशियन, वेंटिलेटर, सेंट्रल ऑक्सीजन, बिल्ली ब्लैंकेट सहित अन्य मशीनरी, मैन पावर कम होने से एसएनसीयू के हालात सुधर नहीं रहे हैं। सोमवार को एसएनसीयू में सात रेडियंट वार्मरों में 18 नवजात (किसी पर दो-किसी पर तीन) लेटे हुए दिखे।दो वार्मरों का पल्स ऑक्सीमीटर मॉनिटर,दो की लाइट खराब थी। बगल के कमरे में सात वार्मर कबाड़ के रूप में पड़े थे। एसएनसीयू में पांच सिगल फोटोथैरेपी की मशीनें थी, चार कंडम हो चुकी हैं। एक डबल सरफेस फोटोथैरेपी मशीन है, पांच की जरूरत है।पोर्टेबल एक्स-रे मशीन तक नहीं है। एसएनसीयू में सक्शन पंप पोर्टेबल मशीन तीन होनी चाहिए, एक है।
एसएनसीयू के खराब हालात के कारण करीब 20 फीसद नवजातों को उच्च इलाज के लिए रेफर करना पड़ रहा है। बता दें कि गत वर्ष नवजातों को एडमिट करने, कम रेफर के लिए एसएनसीयू को प्रदेश में प्रथम स्थान मिला था। डिमांड भेजी, लेकिन पूरी नहीं हुई
13 सितंबर 2015 को वेंटिलेटर, अगस्त 2017, मई 2018 में वेंटिलेटर, सी-पेप, डबल सरफेस फोटोथैरेपी की डिमांड भेजी गई, पूरी नहीं हुई। 20 करोड़ की लागत से बनने वाली मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर यूनिट भी घोषणा तक सिमटकर रह गई है। वर्जन :
मशीनरी के लिए अनेक बार डिमांड भेजी गई है। जरूरी मशीनरी मिल जाए तो रेफर की संख्या घट सकती है। एमसीएच विग बनने के बाद हालात स्वत: ठीक हो जाएंगे।
डॉ. निहारिका, एसएनसीयू इंचार्ज।