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बढ़े खांसी-जुकाम-सांस के मरीज

चार दिन से स्मॉग की मोटी चादर फैली है। सिविल अस्पताल की ओपीडी के बाहर बुधवार को खांसी-जुकाम के मरीजों की कतार लगी रही। स्मॉग के कारण बीमार करीब 172 नए मरीज इलाज के लिए पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 09:32 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 09:32 AM (IST)
बढ़े खांसी-जुकाम-सांस के मरीज
बढ़े खांसी-जुकाम-सांस के मरीज

जागरण संवाददाता, पानीपत

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चार दिन से स्मॉग की मोटी चादर फैली है। सिविल अस्पताल की ओपीडी के बाहर बुधवार को खांसी-जुकाम के मरीजों की कतार लगी रही। स्मॉग के कारण बीमार करीब 172 नए मरीज इलाज के लिए पहुंचे।

सिविल अस्पताल में बुधवार को सबसे अधिक भीड़ मेडिसिन और शिशु रोग ओपीडी के बाहर रही। मेडिसिन ओपीडी में डॉ. अश्वनी गर्ग, इंटर्नशिप कर रहे डॉ. गौरव, डॉ. कंवर अली मरीजों का चेकअप कर स्मॉग से बचाव का परामर्श देते दिखे। ओपीडी में कुल 356 मरीज पहुंचे, इनमें 172 मरीज स्मॉग के कारण बीमार रहे। दमा और टीबी के पुराने रोगियों, बुजुर्गों और बच्चों को सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही है। नेत्र रोग ओपीडी में भी आंखों में जलन की शिकायत लेकर मरीज पहुंचे। डॉ. गर्ग ने बताया कि स्मॉग मानव स्वास्थ्य के लिए विगत कुछ वर्षों से बड़ा खतरा बना हुआ है। यह है स्मॉग :

स्मॉग शब्द स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। धुंआ, खतरनाक गैसों और कोहरे के मेल से स्मॉग बनता है। तेज हवा चलने या बारिश के बाद ही स्मॉग का असर खत्म होता है। स्मॉग कई मायनों में स्मोक और फॉग दोनों से ज्यादा खतरनाक है। स्मॉग से होनेवाली दिक्कतें :

-खांसी, सांस लेने में तकलीफ।

-आंखों में जलन।

-दिल की बीमारी।

-त्वचा संबंधी बीमारियां।

-नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन। कल से बढ़ सकती है मरीजों की दिक्कत :

सिविल अस्पताल की मेडिसिन ओपीडी में अभी तक डॉ. अश्वनी गर्ग, डॉ. जितेंद्र त्यागी मरीजों को परामर्श देते रहे हैं। डॉ. गर्ग का री-अपॉइंटमेंट 31 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा। अब डॉ. त्यागी ही मरीजों को देखेंगे। हालांकि, अस्पताल प्रशासन इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टरों को उनकी कितनी मदद के लिए लगाने का दावा कर रहा है। ओपीडी में रोजाना 350 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। तीन ओपीडी में नहीं रहे डॉक्टर :

बुधवार को सिविल अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ, सर्जन और त्वचा रोग विशेषज्ञ ओपीडी में नहीं बैठे। नतीजा, 300 से अधिक मरीजों को निराशा हुई। नेत्र सर्जन भी ऑपरेशन थियेटर में थी, इस कारण सुबह के दो घंटे उनकी ओपीडी की स्लिप नहीं बनाई गई।


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