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जींद में पशुओं में फैली चेचक की बीमारी, संक्रामक होने की वजह से पशुपालन विभाग ने किया अलर्ट

हरियाणा के जींद में पशुओं में चेचक की बीमारी फैल रही है। पशुपालन विभाग ने अलर्ट किया है कि जो व्यक्ति बीमार पशु की देखभाल करता है उसके कपड़े जूते ग्लब्स स्वस्थ पशुओं के पास ना ले जाएं। लापरवाही भारी पड़ सकती है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:34 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 05:34 PM (IST)
जींद में पशुओं में फैली चेचक की बीमारी, संक्रामक होने की वजह से पशुपालन विभाग ने किया अलर्ट
पशुओं में चेचक की बीमारी फैल रही।

जींद, जागरण संवाददाता। पशुओं में लंपी स्किन डिजीज यानि चेचक बीमारी आ गई है। यह संक्रामक बीमारी है, जो तेजी से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैल रही है। इस बीमारी में चेचक की तरह पशु के पूरे शरीर पर फफोले हो जाते हैं और लगातार बुखार रहता है। इलाज नहीं मिलने पर यह फफोले बड़े घाव का रूप ले लेते हैं। कुछ दिन बाद पशु की मौत हो जाती है। इस बीमारी के बारे में ज्यादातर पशुपालक अनजान हैं। सरकार इस बीमारी को महामारी घोषित किया है।

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पशु विज्ञान केंद्र पिंडारा के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रमेश सिंहमार ने बताया कि संक्रमण मच्छरों, मक्खियों और चीचड़ जैसे खून चूसने वाले कीटों से और लार, दूषित पानी व भोजन के माध्यम से दूसरे पशुओं में फैलती है। इस रोग में पशु के पूरे शरीर में विशेष रूप से सिर, गर्दन, थन एवं लेवटी, जननांगों के आसपास दो से पांच सेंटीमीटर व्यास की गांठ उभर आती हैं। इसके अन्य लक्षणों में पशु को बुखार, आंख व नाक में पानी आना, मुंह में छाले होना व लार टपकना तथा दूध उत्पादन में अचानक कमी आना शामिल है। कुछ समय बाद उन गांठों में जख्म बन जाते हैं और पशु कमजोर हो जाता है।

बीमारी के लक्षण और बचाव

इस रोग से बचाव के लिए बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। पशु घर को कीटनाशक दवाओं के घोल से संक्रमण मुक्त कर दें। अगर पशु को खरीद कर लाते हैं, तो एक महीने तक उस पशु को अलग रखें। बीमार पशु को तालाब में न ले जाएं और चारा व पानी अलग से रखें। पशुओं में मच्छर, मक्खी व चीचड़ को मारने के लिए स्प्रे करते रहें।

डा. रमेश सिंहमार ने कहा कि जो व्यक्ति बीमार पशु की देखभाल करता है, उसके कपड़े, जूते, ग्लब्स स्वस्थ पशुओं के पास ना ले जाएं। इस बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक होने की जरूरत है। जहां पशुओं को रखते हैं, उसके आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें। इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तो नजदीकी पशु चिकित्सक या पशु विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।


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