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सिमरन का योग से खत्म तनाव, विद्यार्थियों को भी सिखाने लगीं कमलेश

पानीपत में पतंजलि और भारत स्वाभिमान की ओर से सेक्टर 13-17 में योग शिविर लगाया जा रहा है। यहां रोजाना 50 से अधिक साधक पहुंचते हैं। सिमरन कहती हैं कि योग करने से तनावमुक्त रहती हूं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 06:30 AM (IST)
सिमरन का योग से खत्म तनाव, विद्यार्थियों को भी सिखाने लगीं कमलेश
सिमरन का योग से खत्म तनाव, विद्यार्थियों को भी सिखाने लगीं कमलेश

जागरण संवाददाता, पानीपत : पतंजलि और भारत स्वाभिमान की ओर से सेक्टर 13-17 में योग शिविर लगाया जा रहा है। यहां रोजाना 50 से अधिक साधक पहुंचते हैं। सिमरन कहती हैं कि योग करने से तनावमुक्त रहती हूं। जीटी रोड स्थित राजकीय माडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल की फिजिकल ट्रेनिग इंस्ट्रक्टर (पीटीआइ)कमलेश रानी कहती हैं कि यहां जो भी सीखा उसे विद्यार्थियों में बांट देती हूं। प्रभारी अशोक अरोड़ा और प्रवक्ता आरडी गुप्ता ने कहा कि योग शिविर से हर साधक कुछ न कुछ लेकर ही लौटता है।

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पूरे दिन मूड फ्रैश

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सिमरन ने बताया कि दो साल पहले योग शिविर ज्वाइन किया। अब तो यह जीवन का हिस्सा बन गया है। मुझे कोई बीमारी नहीं थी, कभी-कभी किसी बात को लेकर तनाव में आ जाती थी। तनाव तो अब उड़न-छू हो गया है। नसों-मांसपेशियों की अकड़न खत्म हुई है। पूरे दिन मूड फ्रैश रहता है।

हर बच्चा रहे स्वस्थ

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माडल संस्कृति स्कूल की पीटीआइ कमलेश रानी ने बताया कि फिजिकल एक्सरसाइज को स्कूल में ही बहुत हो जाती है। योग के बहुत फायदे हैं। प्राचीन ग्रंथों में भी योग-ध्यान-साधना, आयुर्वेद, का जिक्र है। मैंने शिविरों में जाकर योग क्रियाएं-आसन सीखे। अब विद्यार्थियों को सिखाती हूं ताकि हर बच्चा स्वस्थ रहे।

अंशुल की अपनी कहानी

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सेक्टर 13-17 वासी 28 वर्षीय अंशुल बजाज ने बताया कि मैं पहले जमीन में देखकर चलता था। ठीक से बोल नहीं पाता था। आंखों पर नजर का चश्मा चढ़ा है। कुछ लोग मुझे मानसिक दिव्यांग समझते थे। रोजाना योग क्रियाएं करने से मैं सिर उठाकर चलता हूं। बात भी सहजता से करता हूं। स्टेशनरी की दुकान चलाता हूं।

स्टेमिना बढ़ गया है

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सुमन ने बताया कि सिर में दर्द रहता था। किसी के सुझाव पर योग शिविरों में पहुंचना शुरू किया था। अब तीन साल हो गए हैं, सिर दर्द खत्म है। विटामिन डी की पूर्ति होती है, नसों-मांसपेशियों में खिचाव नहीं होता। घर में कुछ मेहनत का कार्य करना पड़ जाए या पैदल चलना पड़े तो श्वास नहीं फूलती।

जैसे ऊर्जा वापस आ गई

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डीएवी स्कूल, थर्मल की शिक्षिका कमल चुघ ने बताया कि लाकडाउन में स्कूल बंद हो गए थे। सभी जगह आवागमन बंद था। शरीर में अकड़न रहने लगी थी। समय का सदुपयोग करते हुए योग करना शुरू कर दिया। योग करते लगभग एक साल हो गया है। अब थकावट नहीं होती, ऊर्जा लौट गाई है।

पारिवारिक मिलता माहौल

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अमित भाटिया ने कहा कि इस काल में जब हर व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक व मानसिक चुनौतियों से गुजर रहा है तो योग बहुत कारगर है। लाकडाउन के दौरान मैं तनाव में आ गया था। अशोक अरोड़ा के कहने से योग शिविरों में पहुंचने लगा। तनाव तो बहुत दूर, पूरे दिन शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।

शरीर के हर अंग को लाभ

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विनोद बांगड़ ने कहा कि स्वस्थ रहना तो नियमित योग करो। जो भी व्यक्ति इस पथ पर चलेगा वह बहुत कम बीमार होगा। सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, तनाव, अनिद्रा, भूख-प्यास कम लगना से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में लोगों को लाभ मिला है। लोगों ने अपना वजन भी कम किया है।


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