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किले के कब्जेबाजों पर दिखावे की कार्रवाई

हाई कोर्ट के अवमानना नोटिस पर किला मैदान से 27 कब्जों को हटवाने गया प्रशासन करीब 250 पुलिसकर्मियों के होते हुए भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 09:21 AM (IST)
किले के कब्जेबाजों पर दिखावे की कार्रवाई
किले के कब्जेबाजों पर दिखावे की कार्रवाई

जागरण संवाददाता, पानीपत : हाई कोर्ट के अवमानना नोटिस पर किला मैदान से 27 कब्जों को हटवाने गया प्रशासन करीब 250 पुलिसकर्मियों के होते हुए भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। ड्यूटी मजिस्ट्रेट और निगम अधिकारी साढ़े आठ घंटे के ड्रामे के बाद खाली लौट आए। हालांकि किलावासियों ने अब खुद लिख कर दिया है कि वे 31 अगस्त तक अपने कागज कोर्ट में पेश नहीं कर पाते हैं तो प्रशासन कार्रवाई कर सकता है। वहीं, 27 कब्जाधारियों में बिजली निगम का दफ्तर भी है। इस पर अधिकारी पूरा दिन चुप्पी साधे रहे। कब्जे हटाने गए अधिकारी और कर्मचारी इसी जमीन के एक हिस्से में बने थाने में बैठे रहे।

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प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी किले से कब्जा हटाने की कार्रवाई के लिए शुक्रवार सुबह 10 बजे पहुंचे। इससे पहले डीएसपी राजेश लोहान और एसएचओ सिटी दीपक की अगुवाई में करीब 250 पुलिसकर्मी सुबह 8 बजे ही किला थाने में पहुंच गए थे। पुलिस को जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग करने के लिए अ¨हसा के पुजारी महात्मा गांधी के नाम से बने गांधी पार्क में तैनात कर दिया गया। ड्यूटी मजिस्ट्रेट एसडीएम विवेक चौधरी और निगम कमिश्नर प्रदीप डागर ने पहुंचने के बाद अधिकारियों से रिपोर्ट ली। निगम अधिकारियों ने इसके बाद 12 बजे एक जेसीबी मंगवाई। महिलाओं ने इसे किले पर पहुंचने से पहले ही रास्ते में रुकवा लिया। प्रशासनिक अमला शाम करीब 5:30 बजे वहां से वापस आया।

तीन दौर में किलावासियों के साथ चली बैठक : प्रशासन इस मामले को लेकर सुबह से ही नरम रुख अपनाए था। ड्यूटी मजिस्ट्रेट और निगम कमिश्नर ने किलावासियों को बातचीत के लिए बुलाया। उनकी तरफ से किला बचाओ संघर्ष समिति के प्रधान दीपक अरोड़ा और भाजपा पार्षद अशोक नारंग पहुंचे। उन्होंने प्रशासन से 31 अगस्त तक कोर्ट में अपनी बात रखने का समय मांगा। प्रशासन और किलावासियों की तीन दौर में बैठक चली। इससे पहले किलावासी सुबह ही किला थाना के नजदीक प्रशासन को घेरने के लिए एकजुट हो गए थे।

यह है मामला : पानीपत निवासी दीपक तायल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी बीच समान नागरिक संहिता अभियान के संयोजक नेमचंद जैन और जन आवाज सोसाइटी के प्रधान एवं पूर्व पार्षद जो¨गद्र स्वामी ने आरटीआइ के तहत नगर निगम से किले की सूचना ली थी। निगम ने सूचना में 54 हजार वर्ग गज में से 45 वर्ग गज जमीन पर 245 लोगों का कब्जा होने की जानकारी दी थी। हाई कोर्ट ने नगर निगम को कब्जा हटाने के आदेश दिए थे। निगम कब्जा नहीं हटा पाया तो हाई कोर्ट में दीपक तायल बनाम शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक एसएन राय के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस 2016 में दायर किया। हाई कोर्ट ने दो अगस्त इस मामले में सुनवाई करते हुए 22 कब्जों को सही बताया था। जबकि 27 लोग किसी तरह के सबूत नहीं दे पाए थे। हाई कोर्ट ने इनको खाली कराकर सात सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी है। इसी बीच किला की मिट्टी गिरने से राजू नाम के व्यक्ति की मंगलवार को मौत हो गई। प्रशासन इसके बाद हरकत में आया था। ये दो बड़े सवाल, जिनका प्रशासन और निगम दोनों से चाहिए जवाब

सवाल-1

तत्कालीन पंजाब सरकार ने किला की जमीन 1937 में नगरपालिका नजूल के नाम पर दी थी। इस पर पौधरोपण किया जा सकता है। किसी तरह का कब्जा नहीं किया जा सकता। नपा केवल इसकी देखरेख कर सकता था। इस पर धीरे-धीरे कब्जा करना शुरू कर दिया। आज 54 हजार वर्ग गज में से 45 हजार वर्ग गज में करीब 245 लोगों का कब्जा है। कुछ लोगों ने बिजली के बिल और हाउस टैक्स की रसीद पर रजिस्ट्री तक करा ली, जबकि हाई कोर्ट के आदेशानुसार इनके आधार पर रजिस्ट्री नहीं की जा सकती। सवाल-2

नगर निगम अधिनियम की धारा 408-ए के तहत नगर निगम की ज्वाइंट कमिश्नर को कब्जा हटवाने की पावर है। नगरपालिका में यह पावर एसडीएम के पास होती है। पिछली बार विरोध का सामना करने के बाद ज्वाइंट कमिश्नर इस बार तो मौके पर पहुंची तक नहीं, जबकि प्रशासन का पूरा अमला किला पर सुबह ही पहुंच गया था।

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बिजली निगम की सब डिविजन समेत 27 कब्जे

नगर निगम के अनुसार बिजली निगम के किला सब डिविजन, महाबीर दल मंदिर के प्रधान, महाबीर मंदिर, रवि कुमार टेक्सटाइल, सुधीर मंगल टेंट हाउस, जैन फ्लोर मिल और अग्रवाल पंचायत का यहां कब्जा है। इसके अलावा रामजीदास कपूर, प्यारेलाल, उत्तम देवी, विनोद कुमार, दीवान चंद, प्रताप ¨सह, वजीर देवी, सतीश, शेरचंद, कृष्ण, कालीदास, ओमप्रकाश, सुशील कुमार, अविनाश, अमृत ¨सह और ओमप्रकाश प्रमुख हैं।

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किलावासियों ने भारत सरकार से खरीदी है जगह

किला बचाओ संघर्ष समिति के प्रधान दीपक अरोड़ा ने कहा कि नगर निगम किलावासियों को स्पष्ट नोटिस नहीं दे रहा था। लोग अपनी पैरवी नहीं कर पा रहे थे। हाई कोर्ट में किलावासी पार्टी भी नहीं हैं। उन्होंने भारत सरकार से जमीन खरीदी है और उनके पास इसके सारे सबूत भी हैं। प्रशासन ने उन्हें 31 अगस्त तक का समय दिया है। वे कोर्ट के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। --

हाई कोर्ट के आदेशानुसार किले पर 27 लोगों के कब्जे खाली कराए जाने थे। प्रशासन से ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस बल मांग लिया गया था। इन सब लोगों ने अपना पक्ष कोर्ट में रखने की बात कही है। करीब 16 लोगों ने निगम को लिखकर दे दिया है। निगम क्षेत्र में इस तरह के कब्जेधारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रदीप डागर, कमिश्नर, नगर निगम।

-------------------- स्थानीय लोगों ने जमीन पर अपना हक होने के कुछ सबूत दिखाए हैं। उन्होंने कोर्ट में अपना पक्ष रखने की कहते हुए 31 अगस्त तक का समय मांगा है। वे कोर्ट में खुद को साबित नहीं कर पाते हैं तो प्रशासन हाई कोर्ट के आदेशानुसार कब्जा खाली करा देगा।

विवेक चौधरी, एसडीएम एवं ड्यूटी मजिस्ट्रेट।


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