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पुराना वेस्ट होटल में ऑनर दुकानदारों का आरोप निगम से गायब कर दी 37 दुकानों के नक्शों की फाइल

दुकानदारों का आरोप है कि नगर निगम से उनकी दुकानों के नक्शों से संबंधित फाइल गायब कर दी गई। अब निगम अधिकारी ही उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। जबकि वे 2013 में नगर निगम में सब चार्ज भरकर नक्शों की फाइल जमा करा चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 08:39 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 08:39 AM (IST)
पुराना वेस्ट होटल में ऑनर दुकानदारों का आरोप निगम से गायब कर दी 37 दुकानों के नक्शों की फाइल
पुराना वेस्ट होटल में ऑनर दुकानदारों का आरोप निगम से गायब कर दी 37 दुकानों के नक्शों की फाइल

जागरण संवाददाता, पानीपत : पुराना वेस्ट होटल में दुकानदार निगम के निर्माण कार्य पर रोक लगाने के बाद खुलकर सामने आ गए हैं। दुकानदारों का आरोप है कि नगर निगम से उनकी दुकानों के नक्शों से संबंधित फाइल गायब कर दी गई। अब निगम अधिकारी ही उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। जबकि वे 2013 में नगर निगम में सब चार्ज भरकर नक्शों की फाइल जमा करा चुके हैं। दुकानदारों ने डीसी सुमेधा कटारिया को ज्ञापन सौंपकर मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने इसमें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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जीरकपुर निवासी अशोक कुमार गोयल और अन्य दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने 2013 में एक कंपनी से वेस्ट होटल की जमीन पर अलग-अलग प्लॉट खरीदे थे। उन्होंने तय फीस जमा कर एनओसी ले ली थी। इसकी रजिस्ट्री भी उनके नाम है। उन्होंने इसके बाद फीस जमा कर नक्शों के लिए आवेदन कर दिया था। नियमानुसार 60 दिन में आपत्ति दर्ज की जा सकती है। ऐसा न होने पर नक्शा मंजूर माना जाता है। उन्होंने इसके आधार पर डीपीसी तक निर्माण कर दिया। अब उसी के आधार पर ऊपर निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन नगर निगम ने प्लॉटों को अनअप्रूव्ड एरिया में बताकर नक्शा न पास करके कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि उनमें से कई अपने जीवनभर की जमा पूंजी दुकानों पर लगा चुके हैं। पार्किंग की जमीन पर बना दिया होटल

अशोक कुमार गोयल, यशपाल और देवेंद्र चौहान का आरोप है कि उनको मार्केट का नक्शा उपलब्ध कराया गया था। जिसमें पार्किंग के लिए जगह दर्शाई गई थी। अब उक्त स्थान पर होटल बना दिया गया। उनका कहना है कि उक्त जमीन कस्टोडियन की है। वेस्ट पेटेंट प्रेस कंपनी ने इस जमीन को हार्दिक रियलेटर्स प्रा. लिमिटेड गुरुग्राम एक हजार गज व उससे कम टुकड़ों में बांटकर बेचा था। इसके आगे कंपनी ने 10 से 50 गज के टुकड़ों में दुकानों के प्लॉट बनाकर बेच दिए गए। उस वक्त अधिकारियों ने जांच में सब कुछ ठीक बताया था। अधिकारियों का तबादला होते ही नक्शों की फाइलों को अटका दिया। अब डीटीपी से एनओसी जरूरी बताया जा रहा है। सत्ता पक्ष के स्थानीय नेता भी सियासी खेल खेल रहे हैं।

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