70 फीसद गर्भवती और जच्चा-बच्चा को नहीं मिलती सरकारी एंबुलेंस
जिले की आबादी तकरीबन 14 लाख है। स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के मुताबिक 60 हजार की आबादी पर एक एंबुलेंस होनी चाहिए। इसके अलावा मुख्यालय हर सीएचसी-पीएचसी पर एक एंबुलेंस चौबीसों घंटे रहने चाहिए। इस हिसाब से जिले में सरकारी एंबुलेंस की संख्या 49 होनी चाहिए फिलहाल 13 हैं। नतीजा करीब 70 फीसद गर्भवती और जच्चा-बच्चा को निश्शुल्क एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलती।
जागरण संवाददाता, पानीपत : जिले की आबादी तकरीबन 14 लाख है। स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के मुताबिक 60 हजार की आबादी पर एक एंबुलेंस होनी चाहिए। इसके अलावा मुख्यालय, हर सीएचसी-पीएचसी पर एक एंबुलेंस चौबीसों घंटे रहने चाहिए। इस हिसाब से जिले में सरकारी एंबुलेंस की संख्या 49 होनी चाहिए, फिलहाल 13 हैं। नतीजा, करीब 70 फीसद गर्भवती और जच्चा-बच्चा को निश्शुल्क एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलती।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को पलीता लगाने वाले आंकड़े देखिए। सिविल अस्पताल में वर्ष-2018 में करीब 9516 महिलाओं का प्रसव हुआ था। इनमें से लगभग 30 फीसद को एंबुलेंस सेवा प्रदान की गई थी। जनवरी 2019 से जुलाई माह तक करीब 5681 महिलाओं की डिलीवरी हो चुकी है। मात्र 1600 को ही एंबुलेंस की सुविधा मिली। बाकी महिलाएं निजी वाहनों, ई-रिक्शा, थ्री-व्हीलर या प्राइवेट एंबुलेंस में बैठकर घर से अस्पताल, डिलीवरी के बाद अस्पताल से घर तक पहुंची। घायलों का आंकड़ा भी लगभग समान है। यहां से खानपुर, रोहतक और करनाल रेफर मरीजों-घायलों को एंबुलेंस के इंतजार में घंटों तड़पना पड़ता है।
जिले में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 18 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। एक पर भी एंबुलेंस नहीं हैं। कुछ केंद्रों में डिलीवरी हट हैं, कॉल करने पर वहां भी एंबुलेंस नहीं पहुंचती। विभागीय अधिकारियों ने 10 एंबुलेंस की डिमांड छह माह पहले भेजी राज्य मुख्यालय भेजी थी, अभी तक सुध नहीं ली गई है। वर्जन :
राज्य सरकार ने 105 एंबुलेंस खरीदी हैं, इनमें से पांच पानीपत को मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 2017 में नवजातों के लिए विशेष एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी। पहले चरण में 10 जिलों को एंबुलेंस मिल चुकी हैं। दूसरे चरण में पानीपत सहित छह जिलों को मिलेंगी। यह एंबुलेंस मिनी नर्सरी की तरह होगी।
ऋषिपाल, फ्लीट मैनेजर, एंबुलेंस कंट्रोल रूम।