Move to Jagran APP

इंजन को लुधियाना पहुंचाने के लिए सात कंपनियां आईं आगे, 47 दिन पहले गिरा था गड्ढे में

लखनऊ वाराणसी और लुधियाना से टीम कर चुकी है मुआयना। ट्रेन के इंजन उठाने के लिए लग चुका है टेंडर। पहली बार इंजन को उठाने के लिए रेलवे के हाथ खड़े निजी कंपनियों का सहारा। 20 अक्टूबर साइडिंग करते समय।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 05:55 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 05:55 PM (IST)
इंजन को लुधियाना पहुंचाने के लिए सात कंपनियां आईं आगे, 47 दिन पहले गिरा था गड्ढे में
रेल इंजन उठाने के लिए कंपनियां आगे आईं।

अंबाला, [दीपक बहल]। 20 अक्टूबर को कालका से चंडीगढ़ आ रहा रेल इंजन का ब्रेक फेल हो गया। इसके बाद रेलवे कर्मचारी इंजन का साइडिंग करा रहे थे कि इंजन पटरी से करीब पचास फीट दूर गड्ढे में पलट गया है। तब से इंजन गड्ढे में पड़ा है जिसे अब उठाने के लिए रेलवे को प्राइवेट कंपनियों का सहारा लेना पड़ रहा है। इस इंजन को लुधियाना वर्कशाप तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने टेंडर डाला, जिसके बाद सात कंपनियों ने इंजन को उठाने में रुचि दिखाई है। इन सात कंपनियों में से किसी एक को इंजन उठाने का जिम्मा दिया जाएगा।

loksabha election banner

अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इंजन को लुधियाना वर्कशाप पहुंचाने में किस कंपनी ने क्या रेट दिया है। चार-पांच दिन में किसी एक कंपनी को टेंडर अलाट हो जाएगा, जिसके बाद पता चलेगा कि इंजन को लुधियाना पहुंचाने में कितना खर्च आएगा। रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब अपने ही इंजन को उठाने के लिए रेलवे की मशीनरी फेल हो गई। करीब 47 दिन बाद भी इंजन गड्ढे में ही गिरा हुआ है, जिसकी सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को तैनात करना पड़ रहा है।

चौबीस घंटे क्षतिग्रस्त इंतजन की निगरानी करनी पड़ रही है कि कहीं पार्ट्स चोरी न हो जाएं। उल्लेखनीय है कि पठानकोट से डिब्बे छोडऩे के लिए कालका 20 अक्टूबर 2021 को आया था। इंजन में ब्रेक की खराबी थी, जिसके बावजूद पटरी पर दौड़ता रहा। इसका नतीजा यह रहा कि डाउन में आते यह इंजन कंट्रोल से बाहर हो गया। इस मामले में करीब आठ लोगों को विभागीय जांच में जिम्मेदार ठहराया गया था।

120 टन के इंजन की कीमत है दस करोड़

करीब दस करोड़ का इंजन ब्रेक में खराबी होने से बेपटरी हुआ था। करीब 120 टन वजनी इंजन को गड्ढे से उठाने के लिए लखनऊ, वाराणसी, लुधियाना की टीमें आ चुकी है। पहले रेलवे की योजना थी कि इस इंजन को लखनऊ की वर्कशाप भेजा जाए। इंजन को पटरी पर चढ़ाकर लखनऊ भेजने में खर्च अधिक के चलते तय किया गया कि इसे लुधियाना वर्कशाप भेजा जाएगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह का है नियम

पहाड़ी रेल मार्ग पर स्लिप साइडिंग बनाई है। डाउन आते समय जब रेलगाड़ी अथवा सिर्फ इंजन आता है, तो स्टार्टर के पास गाड़ी को रुकना होता है। स्टार्टर पाइंट पर यदि गाड़ी रुक जाती है, तो उसे मुख्य लाइन पर भेज दिया जाता है। यदि यह स्टार्टर पाइंट पर नहीं रुकती, तो तकनीकी सिस्टम इस तरह का है कि ट्रेन स्लिप साइडिंग की ओर रवाना हो जाती है। स्लिप साइडिंग पर बफर एंड बने होते हैं, जिससे टकराकर गाड़ी रुकती है या फिर बेपटरी हो जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इंजन या गाड़ी मेन लाइन पर न आ जाए और दूसरी दिशा (अप साइड) से आ रही गाड़ी से टकरा न जाए।

टेंडर आमंत्रित किया है : डीआरएम

मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) जीएम सिंह ने कहा कि रेल इंजन को उठाने के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया है। इस में सात कंपनियों ने रुचि दिखाई है। जल्द ही इसे फाइनल कर दिया जाएगा। यह इंजन लुधियाना वर्कशाप तक पहुंचाया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.