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सेशन जज ने एसिड पीड़िता को सौंपा दो लाख का डिमांड ड्राफ्ट

हरियाणा विक्टिम मुआवजा स्कीम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से पीड़ितों को मुआवजा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 07:11 AM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 07:11 AM (IST)
सेशन जज ने एसिड पीड़िता को सौंपा दो लाख का डिमांड ड्राफ्ट
सेशन जज ने एसिड पीड़िता को सौंपा दो लाख का डिमांड ड्राफ्ट

जागरण संवाददाता, पानीपत : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चेयरपर्सन एवं सेशन जज मनीषा बतरा ने एसिड अटैक पीड़िता को दो लाख का डिमांड ड्राफ्ट सौंपा। इससे पहले फरवरी में पीड़िता को एक लाख का डिमांड ड्राफ्ट दिया गया था।

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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि हरियाणा विक्टिम मुआवजा स्कीम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से पीड़ितों को मुआवजा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। स्कीम के तहत पानीपत जिले में दुष्कर्म, पोक्सो, मर्डर व एसिड अटैक के करीब 54 मामलों में पीड़ितों को 1.62 करोड़ रुपये की धनराशि मुआवजे के रूप में दी जा चुकी है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास केस आने के दौरान से ही पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। हालांकि, केस आने के बाद सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन एवं प्राधिकरण के जज तय करते हैं कि कोर्ट में लंबित मामले का फैसला आने से पहले पीड़िता को खाने-पीने और मेडिसिन के लिए मुआवजा देना है या नहीं। क्या है हरियाणा विक्टिम कंपनसेशन स्कीम

दुष्कर्म, पोक्सो मर्डर व एसिड अटैक से संबंधित मामले जो पुलिस ने केस दर्ज होने के बाद कोर्ट में न्याय के लिए पहुंच जाते हैं, जिन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से मामलों की सुनवाई की जाती है, उसमें सुबूत के आधार पर पीड़िता को हरियाणा विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के तहत कम से कम 20 हजार और अधिकतम 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दिलाया जाता है। हालांकि इसमें वे मामले भी शामिल होते हैं, जिनमें जिला कोर्ट की बेंच सुनवाई करती है। तथ्यों एवं सुबूतों के आधार पर पीड़िता के पक्ष में आदेश जारी करती है। इसके साथ ही इन्हें भी विक्टिम कंपनसेशन स्कीम में मुआवजे के लिए शामिल कर लिया जाता है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि जो भी पीड़िता न्याय के लिए आते हैं, उन्हें सुबूतों व तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष तरीके से न्याय दिलाने हेतु फैसला लिया जाता है।


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