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सभी के प्रति सेवा भाव मानव धर्म का हिस्सा

जागरण संवाददाता, पानीपत मानव की उत्पत्ति सद्कर्म, सदाचार व सेवा भाव के लिए हुई है। सबके प्रति

By Edited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 02:32 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 02:32 AM (IST)
सभी के प्रति सेवा भाव मानव धर्म का हिस्सा

जागरण संवाददाता, पानीपत

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मानव की उत्पत्ति सद्कर्म, सदाचार व सेवा भाव के लिए हुई है। सबके प्रति सेवा भाव रखना ही मानव धर्म है। वर्तमान में इंसान से इंसान दूर होता जा रहा है। सेवा भाव भी कम हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को हर प्राणी के प्रति सेवा भाव रखना चाहिए। जरूरतमंदों के प्रति सेवा का भाव रखने वाले व्यक्ति ईश्वर के भी प्रिय होते हैं। समाज में कुछ बांटने वाले व्यक्ति पर ईश्वर का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

सेवा भाव रखते समय जाति, धर्म, वर्ग और क्षेत्रवाद का भेदभाव मन में नहीं आना चाहिए। जरूरतमंद को उसी की नजर से देखना चाहिए। सेवा भाव के कई माध्यम हैं। किसी भी मंदिर और धर्मशाला में जाकर कार सेवा करना भी सेवा भाव है। श्रद्धालुओं की मदद करना भी सेवा भाव है। जरूरतमंदों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कराना, चिकित्सीय सुविधाएं देना, बीमारों और घायलों को अस्पताल पहुंचाना व नेत्रहीनों, विकलांगों और बुजुर्गो को सड़क पार कराना जैसा कार्य भी सेवा भाव है। रोटी, कपड़ा और मकान हर प्राणी की बुनियादी जरूरत है। इसके लिए आश्रालय खोला जा सकता है। निर्धन को तन ढंकने के लिए कपड़े दिए जा सकते हैं। भूखों को भोजन कराया जा सकता है। निर्धन तबके के अनपढ़ बच्चों को साक्षर बनाना सेवा भाव की कड़ी का अहम हिस्सा है। ऐसे बच्चे साक्षर होकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे। बिखरते परिवारों में माता-पिता के प्रति भी सेवा भाव कम होता जा रहा है। बुजुर्गो की सेवा ड्यूटी समझकर की जाती है। जबकि, उनके प्रति संवेदनाएं होना जरूरी हैं। बुजुर्गो की सेवा करते समय उन्हें अपनेपन का अहसास होना चाहिए।

देश की सेवा भी सेवा भाव का हिस्सा है। इस के लिए जरूरी नहीं कि आर्मी ज्वाइन की जाए। ईमानदार राजनेता बनकर या फिर समाजसेवी बनकर भी देश की सेवा करना भी सेवा का दूसरा रूप है। पेड़-पौधों पर हमारी निर्भरता टिकी है। इसके लिए पेड़-पौधे भी सेवा भाव के हकदार हैं। पेड़-पौधे लगाकर उनकी निरंतर सेवा की जाए तो भविष्य में समाज के लिए ही फलदार होंगे। पशु-पक्षी, जीव-जंतु भी सेवा भाव के भूखे होते हैं। इन बेजुबानों को समय पर दाना-पानी देना सेवा भाव और कर्तव्य का हिस्सा है।

सड़क में घूमते किसी आवारा पशु व जानवर को सेवा भाव की दृष्टि से देखो, वह भी आपसे स्नेह रखने लगेगा। उसे रोजाना कुछ न कुछ खाने को दोगे तो आपको देखकर दौड़ा हुआ आपकी ओर चला आएगा।

-रजनी शर्मा, प्रधानाचार्या, आर्य ग‌र्ल्स पब्लिक स्कूल पानीपत


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