समिति के समक्ष स्कूल प्रिसिपल ने रखा अपना पक्ष, शिक्षा विभाग जारी करेगा कारण बताओ नोटिस
जागरण संवाददाता पानीपत निजी स्कूल के वैन चालक द्वारा बच्चों को नहर किनारे नशा करने वालों
जागरण संवाददाता, पानीपत
निजी स्कूल के वैन चालक द्वारा बच्चों को नहर किनारे नशा करने वालों के भरोसे छोड़ने के मामले में जिला बाल कल्याण समिति ने संज्ञान लिया है। उन्होंने स्कूल प्रिसिपल को तलब किया। वहीं प्रिसिपल ने समिति के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हर रोज भेजी जाने वाले वाहन में अचानक दिक्कत आने पर उसे मेंटीनेंस के लिए भेजा गया था। इसलिए मजबूरी वश उक्त ईको को भेजा गया। हालांकि चालक का नंबर नहीं लग पाने पर समिति पदाधिकारी की उनसे बात नहीं हो सकी।
पंचर होने पर हुई थी घटना--
सोमवार को पालीवाल बचपन पेराडाइज स्कूल के बच्चों को ईको वैन में लेकर चालक घर छोड़कर आने के लिए निकला था, लेकिन नहर किनारे टायर पंचर हो गया। गाड़ी में स्टेपनी न होने पर चालक ने बगल में खड़े युवकों से स्कूटी ली और बच्चों को गाड़ी में छोड़ टायर का पंचर लगवाने के लिए चला गया। तभी स्कूटी सवार युवकों ने गाड़ी के साथ ही महफिल जमा ली और शराब पीने लगे। जबकि गर्मी में बच्चे परेशान हो रहे थे। इसी दौरान राहगीर ने वीडियो बना वायरल कर दी। तभी जिला बाल कल्याण समिति सदस्य डा. मुकेश आर्य व पुलिस मौके पर पहुंच गई। अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए। हालांकि स्कूल की तरफ से चालक को तभी हटा दिया गया। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन गोयल का कहना है कि स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। साथ ही उसकी मान्यता से संबंधित जांच की जा रही है।
प्रिसिपल को बुलाया गया था--
जिला बाल कल्याण समिति सदस्य डा. मुकेश आर्य ने बताया कि स्कूल की प्रिसिपल को मंगलवार को बुलाया गया था। उनसे बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था आदि बारे जाना गया। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए हर रोज भेजी जाने वाली गाड़ी को मेंटीनेंस के लिए भेजने और ईको वैन को हायर कर बच्चों को छोड़कर आने की बात कहीं। उन्होंने चालक द्वारा वैन में प्राथमिक उपचार आदि सुविधा होने की बात कहने पर हायर करने की बात कहीं। उन्होंने बताया कि स्कूलों में बच्चों की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को लेकर संज्ञान लिया गया है। वहीं स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के मध्यनजर अन्य व्यवस्थाओं की जांच को लेकर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, फायर ब्रिगेड़, नगर निगम कमिश्नर आदि को भी पत्र लिखा जाएगा। ताकि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न हो। नियमों को ताक पर रख चलाए जा रहे हैं स्कूल वाहन--
जिले में 600 के करीब निजी स्कूल है। बच्चों को लाने व ले जाने को लेकर छोटे व बड़े वाहन चलाए जा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर वाहन नियमों की अनदेखी कर चलाए जा रहे हैं। किसी में प्राथमिक उपचार को लेकर बाक्स नहीं है तो किसी पर खिड़ी के साथ वाले शीशों पर लोहे की जाली नहीं लगी। काफी वाहन ऐसे हैं, जिनका पता नहीं चल पाता है कि ये स्कूली वाहन है। उन पर न तो स्कूल नाम लिखा है और न नंबर। खासकर छोटे वाहनों में बच्चों को ठूसकर ले जाया जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की सरेआम अवेहलना की जा रही है।