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पानीपत नगर निगम में खलबली, स्ट्रीट लाइट घोटाले में दर्ज हो सकते हैं मुकदमें

पानीपत नगर निगम के अधिकारियों में खलबली मच गई है। स्‍ट्रीट लाइट घोटाले में मुकदमे दर्ज हो सकते हैं। जांच कमेटी निगम की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 09:17 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 09:17 AM (IST)
पानीपत नगर निगम में खलबली, स्ट्रीट लाइट घोटाले में दर्ज हो सकते हैं मुकदमें
पानीपत नगर निगम में खलबली, स्ट्रीट लाइट घोटाले में दर्ज हो सकते हैं मुकदमें

पानीपत, जेएनएन। स्ट्रीट लाइट घोटाले का जिन्न बाहर निकल आया है। दोषी कर्मचारियों, अफसरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो सकते हैं। जांच के लिए मंत्री की बनाई कमेटी को रिकार्ड नहीं देने पर निकाय विभाग सख्त कदम उठा रहा है। निदेशक ने निगम अधिकारियों को रिपोर्ट के लिए प्रोफार्मा दिया है। इसी प्रोफार्मा के अनुसार रिपोर्ट दी जानी है। लॉकडाउन लगने के कारण जांच मामला शांत चल रहा था। 

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दरअसल, स्ट्रीट लाइट घोटाले के कारण ठेकेदार का भुगतान भी नहीं हो रहा है। वार्डों में छह-सात माह से स्ट्रीट लाइट नहीं लगने से लोग भी परेशान हैं। पिछले दिनों भी स्टॉक में पड़ी 500 लाइटों को लेकर एक्सईएन व पार्षदों के बीच विवाद हो गया था। पार्षद इन स्ट्रीट लाइटों को उठाकर ले गए, लेकिन ये स्ट्रीट लाइटें भी नहीं लगी। स्ट्रीट लाइट की जांच के आदेश निकाय मंत्री ने 18 दिसंबर को दिए थे। उस समय निगम में पांच जेई थे। वर्तमान में निगम में दो ही जेई हैं, जिन्हें सभी 26 वार्डों की स्ट्रीट लाइट का रिकॉर्ड देना है। नगर निगम में स्ट्रीट लाइट के भुगतान को लेकर पड़ते दबाव व नई स्ट्रीट लाइट के लिए टेंडर के दबाव को देखते हुए स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच में तेजी आई है। 

स्थानीय निकाय शहरी विभाग के निदेशक अमित कुमार के आदेश के बाद से निगम के अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई है। स्ट्रीट लाइट रिकॉर्ड में ऐसी-ऐसी फर्मों से स्ट्रीट लाइट के बिल लिए गए हैं जो रेत-बजरी, सोने चांदी के कारोबारी है। बिङ्क्षल्डग मटीरियल सप्लायरों को भी स्ट्रीट लाइट के एवज में भुगतान हुआ है। 

पार्षद की जांच रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई नहीं 

स्ट्रीट लाइट घोटाले के बाद आए आयुक्त ओमप्रकाश ने हाउस की बैठक में पार्षद दुष्यंत भट्ट की अध्यक्षता में कमेटी को जांच सौंपी थी। 16 दिसंबर को हाउस की मीङ्क्षटग में जांच रिपोर्ट में तीन करोड़ का घोटाले की रिपोर्ट दी गई। जेई भूपेंद्र को सस्पेंड करने की सिफारिश की गई। पार्षद ने कहा था कि उन्हें रिकॉर्ड देने में एक्सईएन सहित अन्य अधिकारियों ने रुचि नहीं ली। जेई भूपेंद्र को सस्पेंड नहीं किया गया। वे पदोन्नति पाकर बतौर एमई चरखी दादरी में काम कर रहे हैं। उनकी मेजरमेंट बुक न मिलने से वर्तमान में कार्यरत अधिकारी परेशान हैं। फरीदाबाद से आए एक्सईएन जेपी वधवा को जांच कमेटी को रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी सौंपी। अब जेपी वधवा से भी स्ट्रीट लाइट का प्रभार लेकर नवीन एक्सईएन को दिया गया। उन्होंने ही रिकॉर्ड देना है। 

उस घड़ी को कोस रहे अधिकारी जब अपनी दाढ़ी दूसरे के हाथ में दी 

मामले में शामिल अधिकारी उस घड़ी को कोस रहे हैं जब अपनी (दाढ़ी स्ट्रीट लाइट की जिम्मेदारी) पार्षद की जांच कमेटी को सौंपी। 

छह माह में टुकड़ों में दी जानकारी 

नगर निगम के अधिकारियों ने निकाय मंत्री अनिल विज द्वारा गठित की गई जांच कमेटी को टुकड़ों  में स्ट्रीट लाइट का रिकार्ड सौंपा। अब तक भी पूरा रिकार्ड नहीं दिया गया है।

क्या है मामला 

10 अगस्त 2019 की हाउस की मीङ्क्षटग में स्ट्रीट लाइट घोटाले का मामला उठा था। ङ्क्षसगल बिड टेंडर हुए थे। आरोप है कि कबाड़ी से खरीदकर पानी सप्लाई की लाइन पर ही स्ट्रीट लाइट लगाई गई। अलग-अलग ठेकेदार को रेट में तीन-तीन गुना का अंतर मिला। जिस कंपनी की स्ट्रीट लाइट का टेंडर हुआ, उसकी लाइट नहीं लगी। बाद में निकाय मंत्री ने जांच के लिए के आईएएस व दो विभागीय इंजीनियर की कमेटी को नियुक्त किया। इस कमेटी को नगर निगम पूरा रिकॉर्ड नहीं दे पाया।  

रिकॉर्ड के लिए सभी नए अधिकारी 

उच्च स्तरीय जांच कमेटी को रिकॉर्ड देने के लिए सभी नए अधिकारी, एसई महिपाल, एक्सईएन नवीन, जेई मनोज, आयुक्त ओमप्रकाश लगे हुए हैंं।

उच्च स्तरीय जांच चल रही : महिपाल 

मामले के नोडल अधिकारी नगर निगम के अधीक्षण अभियंता महिपाल ने बताया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है। एसआइटी गठित की गई थी। एक दिन पहले निकाय विभाग को रिकॉर्ड की जानकारी दी गई। उन्होंने एक दो जानकारी और मांगी है। स्टाफ लगा हुआ है। स्ट्रीट लाइट के नए टेंडर अगले सप्ताह होंगे। 

महामारी संकट में निगम का टेंडर घोटाला दुर्भाग्यपूर्ण

कांग्रेस नेता धर्मपाल गुप्ता ने भाजपा नेताओं पर घोटाला करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोडऩे का मन बनाया है। सफाई घोटला, कूड़ा घोटला स्ट्रीट लाइट घोटाला और टाइल घोटाला प्रमुख है। घोटाला उजागर होने पर इंक्वायरी बिठा दी जाती है लेकिन परिणाम शून्य है। अफसर और कर्मचारी सब अपने पल्ले झाड़ कर स्वयं का निर्दोष साबित करने में लगे हैं। 


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