जीवन में प्रेम करना शबरी केवट से सीखें : खुशहाल महाराज
खुशहाल दास महाराज ने कहा कि जीवन में प्रेम करना शबरी एवं केवट से सीखें। शबरी वर्षों तक राम जी का इंतजार करती रही, क्योंकि उनके गुरु मंतग ऋषि ने उन्हें बताया था कि उनके गृह में राम स्वयं आएंगे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : खुशहाल दास महाराज ने कहा कि जीवन में प्रेम करना शबरी एवं केवट से सीखें। शबरी वर्षों तक राम जी का इंतजार करती रही, क्योंकि उनके गुरु मंतग ऋषि ने उन्हें बताया था कि उनके गृह में राम स्वयं आएंगे। गुरु के वचनों को शबरी ने शिरोधार्य किया और राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। खुशहाल दास नई सब्जी मंडी स्थित सतजींदा कल्याणा मंदिर के 22वें वार्षिक उत्सव के समापन पर प्रवचन दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने भजनों के माध्यम से भक्ति का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि जो है नूर मुझमें वही और में है, वही और में है। हम सब के शरीर पांच तत्व से बने, प्राकृतिक भी पंच तत्व से बनी है। फिर हम किससे लड़े। सब एक नूर से उपजा है।
हर जीव में एक ही नूर है। सभी में एक ही नूर होने के बाद हम भेदभाव क्यों करते हैं। केवट का प्रेम भी अनंत था, मांगी नाव न केवट आना कहही तुम्हार मर्म में जाना। केवट कहना लगा हे राम जी आप पत्थर की शिला को नारी बना देते हो कहीं मेरी नाव भी नारी बन गई तो पहले एक परिवार संभालना मुश्किल है, मैं दूसरी नारी को कैसे संभालूंगा, लेकिन इतनी छोटी जाति का होते हुए भी केवट का राम जी के चरणों में बहुत प्रेम था। इसी प्रेम के बल पर उन्होंने भगवान को पा लिया।
खुशहाल महाराज ने कहा कि एक ही गुरु को अपनाना चाहिए। वह आपको भव से पार लगा देगा। मानव पैसा कमाने की अंधी दौड़ में जुटा हुआ है। इतना कीमती जीवन जिस दाता ने हमें दिया उसका धन्यवाद करने के लिए भी हमारे पास समय नहीं होता। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को सुमरिन करने का आह्वान किया। महाराज ने भक्ति भाव से भरे गूढ़ रहस्यों को उजागर करते हुए भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा भक्ति के लिए माला जरूरी है। माला से प्रभु के चरणों में ध्यान लगाने से सबकुछ मिलता है। लोग क्या कहेंगे इस पर न जाकर अपना काम करो। लोगों को तो कहना है।
कार्यक्रम में कलानौर से पधारे कपूर जी ने ठाकुर जी के गुरू भक्ति के भजन गाए। समारोह में शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी भी शामिल हुई। उन्होंने गुरु खुशहाल महाराज से आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम के पश्चात विशाल भण्डारा हुआ। हजारों लोगों ने भंडारा चखा। मंच संचालन हरभगवान नारंग ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्मऋषि श्रीनाथ जी, जयदयाल तनेजा, अशोक बतरा, जगदीश तनेजा, शिव आहुजा, राजकुमार, भारत, सोमनाथ, कमलकांत, चिमनलाल, सुभाष छाबड़ा, अशोक कालड़ा, कैलाश नारंग, धर्मपाल, सुरेन्द्र, हरीश बतरा, सुरेश मलिक, श्याम बतरा आदि उपस्थित थे।