त्याग तपस्या एवं क्षमा याचना का पर्व है संवत्सरी : राजेंद्र जैन
भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाया जाता है। पर्यूषण पर्व का मूल लक्ष्य आत्मा की शुद्धि है। पर्यावरण का शोधन इसके लिए जरूरी होता है। आत्मा को पर्यावरण के प्रति तटस्थ या वीतराग बनाए रखना होता है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाया जाता है। पर्यूषण पर्व का मूल लक्ष्य आत्मा की शुद्धि है। पर्यावरण का शोधन इसके लिए जरूरी होता है। आत्मा को पर्यावरण के प्रति तटस्थ या वीतराग बनाए रखना होता है। मुनियों और विद्वानों के सान्निध्य में स्वाध्याय किया जाता है।पर्यूषण पर्व पर क्षमावाणी का कार्यक्रम भी होता है। यह सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत माना जाता है। अग्रवाल मंडी जैन स्थानक में मंगलवार को यह बात एसएस जैन सभा के महामंत्री राजेन्द्र जैन ने कही।
उन्होंने कहा कि इस दिन लोग उपवास रखते हैं। स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने का संकल्प लेते हैं। चौरासी लाख योनियों में विचरण कर रहे समस्त जीवों से क्षमा मांगते हैं। आचार्य नरेंद्र मुनि, पाल मुनि व जयंत मुनि का पावन चतुर्मास चल रहा है। जैन समाज के लोग अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखते हैं। संवत्सरी पर्व जैन समाज के समस्त श्रावक श्राविकाओं की तरफ से मनाया गया। प्रवचन में कई श्रावक श्राविकाओं ने पर्व संबंधित अपने मन की बात को रखा। भक्ति भजन गाए। सभी ने पोसध व्रत किए। गुरुओं व आपस मे एक दूसरे से क्षमा याचना की। पार्षद विजय जैन ने कहा कि भारत के अलावा ब्रिटेन,अमेरिका,कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान सहित विभिन्न देशों में भी जैन समाज के लोग पर्यूषण पर्व मनाते हैं।
इस मौके पर एसएस जैन सभा के प्रधान गौतम जैन, सुभाष जैन,जुगमंदर दास जैन,जगदीश जैन,सुलेख जैन,अजित जैन,संजय जैन,सुरेंद्र जैन,अनिल जैन, रेणु, जैन,सन्तोष जैन व शीला जैन मौजूद थे। ---------अरविन्द