समालखा और मतलौडा अस्पताल में भी अब होगी टीबी की जांच
समालखा सब डिवीजनल अस्पताल और मतलौडा पीएचसी में ट्रू-नेट मशीन इंस्टाल हो चुकी हैं। क्षेत्र के आशंकित मरीजों को टीबी जांच के लिए अब सिविल अस्पताल की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को जनवरी से अक्टूबर 2020 तक 42.76 लाख का भत्ता दिया जा चुका है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मंगलवार को लघु सचिवालय में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हुई। इसमें बताया गया कि समालखा सब डिवीजनल अस्पताल और मतलौडा पीएचसी में ट्रू-नेट मशीन इंस्टाल हो चुकी हैं। क्षेत्र के आशंकित मरीजों को टीबी जांच के लिए अब सिविल अस्पताल की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को जनवरी से अक्टूबर 2020 तक 42.76 लाख का भत्ता दिया जा चुका है।
अध्यक्षता कर रही नगराधीश अनुपमा मलिक ने कहा कि जिले के सक्रिय पांच सामाजिक संगठनों को टीबी मुक्त भारत अभियान से जोड़ा जाए। कंफर्म केस लाने पर संगठन सदस्य को भी निक्षय पोषण योजना (500 रुपये मासिक) का लाभ दिया जाए। ब्लाक स्तर पर तीन माह में छह बैठकें होनी चाहिए। ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता बैठकें कराई जाए। खंड एवं विकास पंचायत अधिकारी व सरपंच बैठकों की जिम्मेदारी लें। टीबी मरीजों को ठीक करने में पानीपत दूसरे स्थान पर
सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि नए मरीज चिन्हित करने, उनके इलाज, भत्ता वितरण आदि में जिला की सफलता दर 90 फीसद प्रतिशत से अधिक है। प्रदेश में पानीपत द्वितीय स्थान पर चल रहा है। इस वर्ष 2388 केस दर्ज हुए हैं। वर्तमान में 1593(मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के 55 केसों सहित) मरीजों का उपचार चल रहा है।
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. सुधीर बत्रा ने बताया कि वर्तमान में 41 मरीज ऐसे हैं जिन्हें टीबी के साथ एचआइवी भी है। 141 मरीज टीबी-मधुमेह से ग्रस्त हैं। 270 केसों में टीबी का कारण तंबाकू का सेवन है। ये रहे मौजूद :
डिप्टी सिविल सर्जन डा. नवीन सुनेजा, डा. सुनील संडूजा, डा. कर्मवीर चोपड़ा, डा. अमित पोरिया, डा. मनीष पासी, जिला पार्षद देव मलिक, एडवोकेट अनिल लठवाल, पंचायत विभाग से अकाउंटेंट राजेश्, सामाजिक संगठन गुडवीव के सदस्य संतलाल, जीत प्रोग्राम के सदस्य दलबीर आदि मौजूद रहे। हरियाणा के आंकड़े :
70 हजार केस प्रतिवर्ष
46 हजार केस पब्लिक सेक्टर से
05 टीबी रोगियों की प्रतिदिन मौत
06 फीसद रोगी नहीं लेते दवा का पूरा कोर्स