इनकी सेवा को सलाम, 5 महीने बिना छुट्टी लिए फील्ड में रहे कैथल के ये अधिकारी
इनकी सेवा को सलाम है। ये हैं तत्कालीन कैथल के नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार। कोराना काल में पांच महीने बिना छुट्टी लिए डटे रहे। बेहतर कार्यों के लिए राज्यमंत्री ने ईओ अशोक कुमार को सम्मानित किया था।
पानीपत/कैथल, [सुनील जांगड़ा]। कोरोना काल यानि एक काला दौर, जो अब खत्म हो रहा है। कोरोना के समय वे छह महीने पूरी दुनिया पर भारी पड़े। सरकार, प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं ने तालमेल बनाकर बेहतर कार्य किया। कोरोना के समय फील्ड में उतरकर काम करने में स्वास्थ्य विभाग के बाद नगर परिषद का नाम आता है।
तत्कालीन नप कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उन्होंने शहर के लोगों के लिए दिन-रात काम किया। सुबह छह बजे फील्ड में निकल जाते और रात को दस बजे तक भी लोगों के बीच रहते। करीब पांच महीने तक बिना कोई छुट्टी लिए लगातार कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दिया। प्रशासन की ओर से जो भी निर्देश दिए जाते, उन पर खरा उतरे। उनके इस कार्य में तत्कालीन नप सुपरिटेंडेंट नरेंद्र शर्मा और पालिका अभियंता राजकुमार शर्मा ने भी बेहतर साथ दिया। अशोक कुमार के सराहनीय कार्यों को लेकर सुशासन दिवस पर राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने और 15 अगस्त पर डीसी सुजान ङ्क्षसह ने उन्हें सम्मानित भी किया था। हालांकि कैथल नगर परिषद में दो साल दो महीने सेवाएं देने के बाद अब वे कालका नगर परिषद में सेवाएं दे रहे हैं।
सामाजिक संस्थाओं को जोड़ कर रखा
शहर में करीब 22 मुख्य समाजसेवी संस्थाएं हैं। अशोक कुमार ने इन सभी संस्थाओं को एक मंच पर ला दिया। सभी का आपसी तालमेल बनाया ताकि हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंच सके। सभी संस्थाओं को वार्डों के अनुसार एरिया बांट दिए गए ताकि संस्थाओं को भी कोई परेशानी ना हो।
हर जरूरतमंद परिवार तक पहुंचाया भोजन
जिला प्रशासन की ओर से भी जरूरतमंद लोगों को राशन और भोजन बांटा गया था। यह जिम्मेदारी भी नगर परिषद को दी गई थी। ईओ और उनकी टीम ने इस कार्य को बेहतर ढंग से किया। सुबह और शाम अपनी टीम के साथ लोगों तक भोजन और राशन किट पहुंचाने का काम किया। वहीं इसके अलावा नगर परिषद की ओर से बेसहारा पशुओं को चारा भी डाला गया था।
कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार करवाया
कोरोना काल सबसे बुरा समय था, लेकिन उससे भी बुरा था कोरोना से किसी की मौत हो जाना। हालात यह थे कि कोरोना से मौत होने पर घर वाले भी पास नहीं जा पाते थे। उस समय में अशोक कुमार और उनकी टीम ने कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार करवाया था।
लोगों को किया जागरूक
कोरोना से बचाव का उस समय एक ही तरीका था और वह था जागरूकता का। ईओ ने टीमें बनाकर लगातार लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक किया। दो गज दूरी और मास्क जरूरी के बारे में बताया। शहर में सफाई की जिम्मेदारी उठा रहे सफाई कर्मचारियों को समय-समय पर मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए। शहर में सैनिटाइजर का छिड़काव करने वाली टीम को पीपीई किट भी उपलब्ध करवाई गई थी।