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पानीपत में बन रही राष्‍ट्र को समर्पित RSS की पहली प्रयोगशाला, सौ गांवों को अक्‍टूबर से फायदा

पानीपत में संघ की प्रयोगशाला बनाई जा रही है। हरियाणा प्रांत संघचालक पवन जिंदल के नेतृत्व 70 फीसद काम पूरा भी हो चुका है। इससे पानीपत के सौ गांवों को फायदा होगा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2020 11:07 AM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 12:47 PM (IST)
पानीपत में बन रही राष्‍ट्र को समर्पित RSS की पहली प्रयोगशाला, सौ गांवों को अक्‍टूबर से फायदा
पानीपत में बन रही राष्‍ट्र को समर्पित RSS की पहली प्रयोगशाला, सौ गांवों को अक्‍टूबर से फायदा

पानीपत, [सतीश चंद्र श्रीवास्तव]। पानीपत के समालखा जीटी रोड से सटे पट्टीकल्याणा गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक राष्ट्र निर्माण की भव्‍य प्रयोगशाला बनाई जा रही है। प्रयोगशाला को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसकी खास बात ये है कि आसपास के 100 गांवों को गोद लेकर शिक्षा, चिकित्सा, कृषि व आर्थिकी में समग्र विकास किया जाना है। 

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समाजिक सहयोग से एकत्र 150 करोड़ रुपये की लागत से 27 एकड़ में इस ‘सेवा साधना केंद्र’ को विकसित करने की जिम्मेदारी हरियाणा प्रांत संघचालक पवन जिंदल संभाल रहे हैं। केंद्र के संचालन व रख रखाव पर आने वाला प्रतिमाह 40 लाख रुपये का खर्च भी समाज ही वहन करेगा। केंद्र या राज्य सरकार पर कोई निर्भरता नहीं होगी। 

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प्रयोग सफल रहा तो उठाएंगे बड़ा कदम

प्रयोग सफल रहने पर दो-तीन वर्ष बाद राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर तक संघ ऐसे ही केंद्रों को विकसित करने का काम आगे बढ़ाएगा। राष्ट्र निर्माण में सामाजिक दायित्व के निर्वहन पर गंभीर मंथन के बाद 9 जून 2018 को सरसंघचालक मोहन भागवत ने यहां भूमि पूजन किया था।

21 सितंबर 2018 को शुरू हुआ था निर्माण कार्य

दिल्ली से पानीपत के रास्ते में समालखा से पहले पट्टीकल्याणा गांव में बारिश का मौसम समाप्त होने पर 21 सितंबर 2018 को निर्माण काम शुरू हो सका।  अब पहले शारदीय नवरात्र (अक्टूबर 2020) में केंद्र समाज को समर्पित कर दिया जाएगा। सहज विश्वास नहीं होता कि 25 मार्च को चैत्र नवरात्र से पहले श्री माधव जन सेवा न्यास के इस प्रकल्प का 70 फीसद काम पूरा हो चुका है।

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केंद्र की आवश्यकता क्यों

पवन जिंदल बताते हैं कि संस्कार युक्त अच्छे नागरिक तैयार करने में जुटे संघ का शीर्ष नेतृत्व लंबे समय से गांवों के विकास में संगठन के योगदान पर मंथन कर रहा था। सेवा साधना केंद्र गांवों से पलायन रोकने का काम करेगा। सभी लोग बच्चों को अपने पेशे से जोड़ना चाहते हैं परंतु आधुनिक जीवन शैली में किसान जमीन बेच रहा है। एक करोड़ में बिकने वाली जमीन के पैसे का ब्याज भी तीन लोगों की मेहनत से होने वाली औसतन 40 हजार रुपये की आमदनी से 10 से भी गुना ज्यादा है। समाज ने अगर किसानों की चिंता नहीं की तो भविष्य में रासायनिक खाद वाला जहरीला भोजन ही मिलेगा। देश के 65 फीसद लोग आज भी गांवों में रहते हैं। उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।

क्या है परिकल्पना

यह सेवा साधना केंद्र  100 गांवों  के शिक्षा, स्वास्थ्य,  रोजगार और आमदनी की चिंता करेगा। हर पांच गांव के लिए औसतन 50 हजार रुपये वेतनमान पर एक व्यक्ति की नियुक्ति होगी। उसका काम ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना भी होगा। गांवों के विद्यार्थियों, युवाओं और पंचायतों के साथ तालमेल से लक्ष्य हासिल किया जाएगा। इसी तरह महिला व पुरुष डॉक्टरों, नर्सों और तकनीकी सहायकों से युक्त केंद्र की दो बसें (चल चिकित्सालय) प्रतिदिन दो गांवों में जाएंगी। दो महीने में सभी 100 गांवों तक सुविधा पहुंचती रहेगी। 10 करोड़ के आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित अस्पताल भी केंद्र में विकसित हो रहा है। 15 एकड़ में खेल परिसर ओलंपिक स्तरीय सुविधाओं से युक्त होगा। लाइब्रेरी में एक साथ 100 कंप्यूटरों पर युवा पढ़ाई कर सकेंगे।

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क्या – क्या गतिविधि 

सेवा साधना केंद्र में खेती से संबंधित 20  प्रकार के प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी। आत्मनिर्भर गोशालाओं को विकसित कराया जाएगा। गुरुग्राम में पवन जिंदल इसका सफल प्रयोग कर चुके हैं। गांवों के 70 फीसद युवा दसवीं-12वीं के बाद पढ़ाई नहीं जारी रख पाते। सामाजिक सहयोग से उन्हें पढाया जाएगा। युवाओं को योग्यता और क्षमता अनुसार प्रशिक्षण और रोजगार दिलाया जाएगा। संघ के इस केंद्र का लक्ष्य ऐसे अपराध मुक्त गांव विकसित करना है जहां पुलिस और थानों की जरूरत ही न रह जाएगा। पंचायत स्तर पर ही सभी विवादों का निपटारा हो जाएगा। केंद्र में 400 लोगों से लेकर 3000 लोगों तक की क्षमता वाले चार सभागार होंगे। वहां दैनिक तौर पर इंडोर गेम हो सकेंगे।

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घर से एक फीसद भागीदारी

समाज के योगदान पर चर्चा करते हुए पवन जिंदल की आंखें चमक उठती हैं। अपने बच्चों के प्रति उनका दुलार भी उमड़ता है। बताया कि 2018 में यह प्रोजेक्ट 100 करोड़ का था। धन संग्रह की शुरुआत घर से की। स्वजनों से एक फीसद का योगदान मांगा। दोनों बेटों और बहुओं सहित पूरे परिवार ने एक करोड़ का चेक देने में देरी नहीं की। आरएसएस पहली बार समाज के लिए समाज से सीधे योगदान ले रहा है। दूसरा घर गुरुग्राम के ही एक मित्र का था जिन्होंने करोड़ों के प्रोजेक्ट में करोड़ों के योगदान की बात की और पांच करोड़ का अंशदान किया। 50 दिन में जमीन के लिए 18 करोड़ एकत्रित हो गए। 

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कैसे कैसे योगदान

समाज हित में काम करने वाले इस केंद्र की स्थापना में सहयोग के लिए लोगों का हजार-दो हजार से लेकर करोड़ों – करोड़ तक में योगदान आ रहा है। संचालन में भूमिका सुनिश्चित करने के लिए 10 लोग फिक्सड डिपाजिट करा रहे हैं ताकि हर वर्ष ब्याज से उनका पांच लाख का योगदान केंद्र के खाते में पहुंच सके। ऐसे 100 लोग होंगे जो हर वर्ष पांच लाख का योगदान करेंगे। एक माह पहले रोहतक में अपना घर तक दान कर चुकी 85 वर्षीया सेवानिवृत्त गजटेड अधिकारी ने 10  वर्ष बाद बैंक लॉकर खोल वहां पड़े गहने बेच केंद्र को लाखों रुपये दान कर सबको अचंभित कर दिया। इसी तरह करनाल में एक स्कूल में बैठक के बाद ताला लगाने का इंतजार कर रहे कर्मचारी ने योजना समझने के बाद एक लाख रुपये का योगदान कर सबको द्रवित कर दिया। 

Pawan jindal

कौन हैं पवन जिंदल

मूल रूप से पंजाब के मोगा निवासी पवन जिंदल आरएसएस के हरियाणा प्रांत संघचालक हैं। पारिवारिक फर्निचर व्यवसाय में गुणवत्ता ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जिसकी वजह से 1986 में मारूति ने पहली बार अपनी कार के लिए कोई सामान भारत में बनवाना शुरू किया। गुरुग्राम में मारूति के लिए सीटें बनाने का प्लांट स्थापित किया। 1994 से सपरिवार गुरुग्राम के निवासी हैं। पटना, इंदौर, रायपुर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में फैक्ट्रियां हैं। 60 वर्ष की आयु होने पर पेशेवर जीवन से संन्यास ले लिया। 2014 से जीवन सामाजिक कार्यों को समर्पित हैं।

  • महत्वपूर्ण बिंदु 
  • 27 एकड़ में है श्री माधव जन सेवा न्यास का सेवा साधना केंद्र  
  • 2000 लोग एक साथ पंगत में भोजन कर सकेंगे 
  • 1000 से अधिक वाहनों के लिए पार्किंग व्यवस्था
  • 400 लोगों की क्षमता वाला अंडरग्राउंड ध्यान केंद्र 
  • 600 वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आवासीय व्यवस्था
  • 2000 लोगों के ठहरने और प्रशिक्षण की सुविधा 
  • 24 कर्मचारी आवास सभी साथ ही हो रहा तैयार
  • 15 एकड़ के खेल परिसर में इंडोर-आउटडोर गेम्स की विश्व स्तरीय सुविधाएं     
  • प्रशासनिक भवन के साथ चिकित्सालय, पुस्तकालय, ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस हॉल, केंद्रीय अधिकारी आवास में भारतीय भवन निर्माण कला की झलक

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