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आपके '10 रुपये' में इतनी बड़ी ताकत, 600 अफसर बर्खास्त

घोटालेबाज इनसे खौफ खाते हैं। इनके 10 रुपये से सरकार को बड़े से बड़ा फैसला बदलना पड़ गया। कई घोटालेबाज अधिकारियों को जेल तक भेजना पड़ा गया। ये खौफ है आरटीआइ का।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 09:33 AM (IST)
आपके '10 रुपये' में इतनी बड़ी ताकत, 600 अफसर बर्खास्त
आपके '10 रुपये' में इतनी बड़ी ताकत, 600 अफसर बर्खास्त

पानीपत, जेएनएन। आज हम आपको बताते हैं 10 रुपये की अहमियत। आपका 10 रुपये का नोट बड़े काम का है। बड़े से बड़ा घोटाला हो या फिर कोई बड़ा घोटालेबाज अफसर, कर्मचारी। हर कोई खौफ खाएगा। बस आपको करना होगा ये। फिर देखिए 10 रुपये से लगाई गई आरटीआइ से किस तरह का बदलाव आता है। यकीन नहीं हो रहा है, तो पढ़ें दैनिक जागरण की ये विस्तृत रिपोर्ट।

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इनका नाम है एचसी अरोड़ा। उम्र 66 वर्ष 4 महीने। ये किसी सरकारी कार्यालय में पहुंच जाते हैं तो इनके नाम से ही घोटालेबाज सहम जाते हैं। दरअसल, इन्होंने आरटीआइ को ऐसा हथियार बनाया कि हरियाणा ही नहीं, चंडीगढ़ और पंजाब के भी बड़े घोटाले पकड़े गए। आरटीआइ से मिले सुबूतों पर जब राज्यों सरकारों ने कार्रवाई नहीं की तो अंबाला के एडवोकेट एचसी अरोड़ा हाई कोर्ट पहुंच गए। जनहित याचिका के बाद आखिरकार सरकारों को फैसले बदलने पड़े। इनकी ही याचिका की वजह से हरियाणा और पंजाब सरकार को छह सौ अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्त करना पड़ा।

आरटीआइ में सामने आया चौकाने वाला सच
हरिचंद अरोड़ा ने आरटीआइ के माध्यम से हरियाणा और पंजाब विजिलेंस से ब्योरा एकत्र किया। पूछा कि इन राज्यों में कितने कर्मी या अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मुकदमे में सजा हो रखी है। मौजूदा स्टेट्स क्या है। चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि पंजाब पुलिस में 6 हत्या के दोषी थे। इसके बावजूद उनकी नौकरी बरकरार चल रही थी। 

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अपील को ढाल बनाकर बचा रखी थी भ्रष्टाचारियों ने नौकरी
हरियाणा में भी पुलिस अधिकारी, कुछ डॉक्टर, हेड मास्टर्स, एसडीओ, अधीक्षण अभियंता और भ्रष्ट तहसीलदार कुर्सी संभाले हुए थे। इनमें छह डीएसपी रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। कानून यह था कि भ्रष्टाचार के मुकदमे में सजा होने के बाद नौकरी में नहीं रहेंगे। इन भ्रष्टाचारियों ने हाई कोर्ट में अपील को ढाल बनाकर नौकरी बचा रखी थी। 

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पीआइएल दायर की छह सौ अधिकारी बर्खास्त
अरोड़ा ने आरटीआइ में मिली जानकारी पर हाई कोर्ट में पब्लिक इंटरस्ट लिटिगेशन (पीआइएल) दायर की तो करीब छह सौ कर्मी व अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके अलावा एसिड अटैक पीडि़तों का मुफ्त इलाज और मुआवजे की आवाज उठाई तो कानून बन गए। अब अटैक पीडि़तों का मुफ्त इलाज और  मुआवजे का प्रावधान है। यहां तक की आठ हजार रुपये पेंशन के रूप में दिए जा रहे हैं।

एक आरटीआइ से चार महीने में थानों में शौचालय बने 
इसके अलावा पुलिस थानों में महिला पुलिस अफसरों एवं मुलाजिमों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था न होने का तथ्य आरटीआइ में उजागर होने के बाद अरोड़ा की जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक को चार महीने में सभी थानों में अलग से महिला शौचालय बनाने का निर्देश जारी कर दिया। 

तीन महीने तक चाइनीज डोरे में लग गई थी रोक
करंट आने व काटने की क्षमता रखने वाली चाइनीज डोर का मामला भी हाई कोर्ट पहुंचाने वाले एचसी अरोड़ा ही थे। इसके बाद हरियाणा ने सभी पुलिस कमिश्नरों, आयुक्तों व जिला मजिस्ट्रेटों को धारा-144 की शक्तियों का इस्तेमाल कर तीन महीने की अवधि के लिए चाइनीज डोर पर रोक लगाने के लिए कहा गया था।

अफसरशाही को किया चैलेंज
नीली-लाल बत्ती के उल्लंघन का मामला भी अरोड़ा ने हाई कोर्ट तक पहुंचाया। हाई कोर्ट ने अफसरशाही को तलब कर दोनों राज्यों को निर्देश जारी किए। लालबत्ती लगाने वाले एक डीआरएम को माफी तक मांगनी पड़ी थी। इनकी पीआइएल के बाद ही राजकीय स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय, कंडम स्कूलों को गिराने के निर्देश जारी हुए। पंजाब में जमीन अधिग्रहण के मामले में जालंधर के एक आइएएस अफसर ने अपने हिसाब से जमीन के रेट तय करते हुए किसानों और नेशनल हाईवे अथॉरिटी को राशि जमा कराने के निर्देश दिए। किसानों ने करीब तीन करोड़ रुपये जमा करा दिए, जबकि नेशनल हाईवे अथॉरिटी इसके अलावा लड़ाई लड़ता रहा। रुपये जमा नहीं कराए। अरोड़ा ने हाई कोर्ट में कहा कि अफसर इस तरह रुपये जमा नहीं हो सकते। तब कोर्ट ने रिकवरी कराई।

यह जंग अभी जारी है 
1- भ्रष्टाचार व अन्य मामलों में दोषी विधायकों और पूर्व मंत्रियों को दी जा रही पेंशन को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर कर रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व सांसद अजय चौटाला, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान और अन्य दोषी ठहराए गए हैं।
2- पंजाब के सरकारी स्कूलों के बच्चों को वर्दी के लिए अनुदान जारी करने के लिए जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। 
3- संविधान जातिवाद मुक्त फिर एफआइआर में आरोपित की जाति क्यों दर्ज। 
4- सीएम सहित अन्य मंत्री, पूर्व मंत्री, आइएएस और आइपीएस क्यों ले रहे सब्सिडी का लाभ। सब्सिडी की जरूरत गरीब किसानों को है, जबकि वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री, पूर्व मंत्री, आईएएस और आईपीएस भी सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई थी।  इस मामले में कानूनी लड़ाई जारी है।

जन्म और शिक्षा
एचसी अरोड़ा का जन्म अबोहर (पंजाब) में हुआ। बीएससी फाजिल्का से की और फिर 20 साल तक न्यू बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। नौकरी के दौरान ही 1989 में श्रीगंगानगर, राजस्थान से लॉ की पढ़ाई की। 1992 में नौकरी छोड़ दी और 1993 में चंडीगढ़ आ गए। इसके बाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और फिर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाकर सरकारों को जगाया। करीब सवा चार सौ जनहित याचिकाएं दायर कीं।

दो सवाल 
एक सवाल- क्या आपको केस वापस लेने की कभी धमकी मिली ?
जवाब - कई बार। भ्रष्ट डीएसपी के मामले में एक व्यक्ति ने उनके पास आकर कहा कि हाई कोर्ट में यह केस क्यों डाल दिया। तब उन्होंने कोर्ट को सूचित कर दिया। अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस को आदेश दिया कि जब भी वह पंजाब जाएंगे, उन्हें सुरक्षा मुहैया करानी होगी। 

क्या तब आप घबराए नहीं?
जवाब - मुझे किसी से क्यों घबराना। जिन्होंने गलत किया है, उन्हें डरना चाहिए। मैं कभी पीछे हटने वाला नहीं हूं। चाहे कितने ही प्रलोभन क्यों न दिए जाएं। यही वजह है कि डीएसपी स्तर के अफसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा और पंजाब के आइएएस से रिकवरी हो सकी।

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इनकी आवाज पर बदलने पड़े सरकार को फैसले
यमुनानगर: यह हैं गुमथला राव के वरयाम सिंह। पेशे से वकील। खास बात यह कि ये शहीदों को लिए आयोग बनाने की आवाज उठा रहे हैं। जिन शहीदों का सरकार के पास भी रिकॉर्ड नहीं है। उनका रिकॉर्ड भी इन्होंने अपने प्रयासों से एकत्र कर लिया है। छह हजार शहीदों का ब्योरा इनके पास है। भगवान की तरह इंकलाब मंदिर में शहीदों की रोज पूजा होती है। आरटीआइ में शहीदों का रिकॉर्ड देने में राज्यसभा व लोकसभा ने इनकार कर दिया तो इनकी अपील पर सूचना आयुक्त ने राज्यसभा सचिवालय के सीपीआइओ को जवाब तलब कर लिया। 

ये उठाई है आवाज 
एडवोकेट वरयाम सिंह ने 12 अप्रैल 2017 को देश को आजाद कराने वाले अमर शहीदों के बारे में आरटीआइ के तहत सूचना मांगी थी। पूछा था कि 1857 से 1947 तक शहीद हुए क्रांतिकारियों शहीदों के सम्मान के लिए आयोग के गठन का नियम बताने की जानकारी मांगी। इसके अलावा शहीदों पर सम्मान से लेकर, शहीद दर्जा देने, सुरक्षा के लिए कानून बनाने, शहीदों के इतिहास को सुरक्षित रखने, उनकी विरासत व मकान को सुरक्षित रखने और शहीदों के परिजनों को तलाशने के बारे में सूचना मांगी गई थी। इसमें कई अन्य बिंदु और भी थे। 

जवाब में कहा, पोर्टल में खोज सकते हैं  
उनके पास 3 मई 2017 को राज्य सभा सचिवालय के सीपीआइओ की ओर से जवाब आया। जिसमें कहा गया था कि जो सूचना मांगी गई है। वह उपलब्ध नहीं है। यदि वह चाहें, तो राज्य सभा के वाद विवाद पोर्टल पर खोज सकते हैं। इस पर वह संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने 16 मई 2017 को संयुक्त सचिव व वित्त सलाहाकार राज्य सभा के नाम प्रथम अपील की। अपील के बाद एक जून 2017 को उनके पास जवाब आया कि जो जानकारी मांगी गई है। वह वाद विवाद के पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। इसलिए विभाग जानकारी देने में असमर्थ है। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग को छह जुलाई 2017 को  दोबारा से अपील कर दी। 

जारी किया गया नोटिस
जब दोबारा अपील की, तो केंद्रीय सूचना आयोग की ओर से राज्य सभा, लोकसभा व गृह मंत्रालय के सीपीआइओ को नोटिस जारी किए गए। यह नोटिस 13 दिसंबर 2018 को जारी हुए। इसके साथ ही केंद्रीय सूचना आयोग के चीफ कमिश्नर सुधीर भार्गव ने इस मामले में सुनवाई के लिए 11 जनवरी का समय दिया। जिसमें शुक्रवार को वीसी के जरिए सुनवाई हुई।  

इसलिए भी रहते हैं चर्चा में 
वरयाम सिंह ने शहीदों का एक मंदिर गुमथला में तैयार किया है। ये भ्रष्टाचार के भी पुरजोर विरोधी हैं। वर्ष 2014 में इन्होंने अवैध माइनिंग की शिकायत की। पुलिस ने माइनिंग करने वालों को पकड़ लिया। सुविधा शुल्क लेकर बाद में छोड़ दिया। इसके विरोध में वरयाम सिंह कोर्ट गए। थाना प्रभारी सहित कई पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करा दिया। केस अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

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हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई थी फटकार 
वर्ष 2015-16 में जिले में ओवरलोड से हो रहे हादसों को देखते हुए वरयाम सिंह ने आरटीआइ लगाई। संतोषजनक जवाब न देने पर हाईकोर्ट तक पहुंचे। इनकी अपील को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए जिले में 15 नाके लगाने के आदेश दिए। इन पर 350 कर्मचारी तैनात किए गए थे। कोर्ट ने सरकार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी यमुनानगर एसपी व डीसी को भी तलब कर लिया था। अवैध माइनिंग के मामले में भी उनकी हाईकोर्ट में अपील विचाराधीन है। जनहित याचिका दायर की थी। नियमों पर रखकर माइनिंग  हो रही है।


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