दो गुना हुआ चावल का रेट, प्रतिबंध को लेकर चावल कारोबारी चिंतित
गेहूं और चीनी निर्यात में बैन की सूचना के बाद चावल कारोबारी चिंतित हैं। निर्यात बैन होने की आहट से चावल के रेट दो गुना हो गए हैं। प्रतिबंध लगने की स्थिति में चावल कारोबारियों का अरबों का आर्डर लटक जाएगा।
करनाल, [अश्विनी शर्मा]। भारत में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के आसार बन रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण चावल के दामों में तेजी का है। आम तौर पर रसोई में बनने वाले बासमती श्रेणी का चावल का रेट 80 से 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है। चावल के रेट में हुआ इजाफा रसोई को तंग कर रहा है तो साथ ही चावल कारोबारियों की चिंता भी बढ़ा रहा है।
चावल निर्यातकों चिंतित है कि गेहूं व चीनी के बाद बढ़ते हुए मूल्यों को देखते हुए चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग गया तो उनके अरबों रुपये के आर्डर लटक जाएंगे तो साथ ही उन्हें मोटा नुकसान भी उठाना पड़ेगा। करनाल जिले में चावल निर्यातक राइस के दामों में आए उछाल से चिंता में है। चावल कारोबारी मानते हैं कि दाम बढऩे से रोकने के लिए सरकार निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है। जबकि चावल के दाम बढऩे से उन व्यापारियों को लाभ है, जिन्होंने पहले धान या चावल स्टाक किया हुआ है।
40 से 50 रुपये हुआ महंगा चावल
चावल के रेट आम आदमी को दर्द देते हुए आगे बढ़ रहा है। बासमती चावल की सामान्य श्रेणी का चावल भी बढ़ते रेट की वजह से रसोई से विदा हो सकता है। पिछले साल बासमती श्रेणी 1509, 1718 व 1121 का चावल का रेट 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम था। जो इस समय बढ़कर 80 से 90 रुपये के बीच में है।
अरब देशों में सबसे ज्यादा बासमती पसंद
बासमती सबसे ज्यादा अरब देशों में पसंद किया जाता है। भारत के निर्यातक इन्हीं देशों में अरबों रुपये का चावल निर्यात करते हैं। निर्यात में प्रतिबंध लग जाता है तो अरबों रुपये का स्टाक अटक सकता है। चावल निर्यातकों पर बैंकों का भी मोटा कर्ज होता है। प्रतिबंध की स्थिति में वह बैंक का प्रतिमाह का कर्ज भी अदा नहीं कर पाएंगे।